हिटलर की तरह इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र को तानाशाही में बदल दिया : जेटली
तत्कालीन एआईसीसी अध्यक्ष देवकांत बरुआ ने घोषणा की कि 'इंदिरा भारत है और भारत ही इंदिरा'।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने इंदिरा गांधी और जर्मन तानाशाह हिटलर की तुलना करते हुए कहा है कि दोनों ने ही लोकतंत्र को तानाशाही में बदलने का काम किया। लेकिन इंदिरा गांधी हिटलर से भी आगे निकल गई और उन्होंने संसदीय कार्यवाही का प्रकाशन रोककर भारत को 'वंशवादी लोकतंत्र' में बदल दिया।
अपनी फेसबुक पोस्ट के जरिए तीन किस्तों में लिखे लेख 'इमरजेंसी रीविजिटेड' की दूसरी किस्त में जेटली ने लिखा है कि चार दशक पहले 25 जून, 1975 को लगाया गया आपातकाल संभवत: 1933 के नाजी जर्मनी से प्रेरित होकर लगाया गया था। क्योंकि हिटलर और इंदिरा गांधी दोनो ने संविधान की परवाह नहीं की। दोनो ने गणतांत्रिक संविधान का उपयोग लोकतंत्र को तानाशाही में परिवर्तित करने में किया। जेटली ने इस दूसरे भाग का शीर्षक 'आपातकाल का उत्पीड़न' (टायरैनी ऑफ इमरजेंसी) दिया है। जेटली के इस ब्लॉग को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया है। उन्होंने लिखा है, 'अरुण जेटली ने आपातकाल के काले दिनों पर लिखा है जब अतिवादी कदमों के जरिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन किया गया था। आपातकाल हमारे संवैधानिक आदर्शो पर सीधा हमला था।
इस ब्लॉग को अवश्य पढ़ें।'जेटली ने लिखा है कि इंदिरा गांधी ने कुछ ऐसे काम किए जो हिटलर ने भी नहीं किए थे। भारत और जर्मनी में लागू किए गए पे्रस सेंसरशिप के नियम लगभग एक जैसे थे। वस्तुत: उस समय एकदलीय शासन प्रणाली लागू हो गई थी। हिटलर ने 25 सूत्री आर्थिक कार्यक्रम लागू किया था। जबकि इंदिरा गांधी ने 20 सूत्री कार्यक्रम शुरू किया। अंतर को पाटने के लिए संजय गांधी ने पांच सूत्री आर्थिक एवं सामाजिक कार्यक्रम लागू कर दिया। असहमति पाप हो गई और चमचागीरी ने नियम का रूप ले लिया। हिटलर लगातार ये तर्क देता था कि उसके कदम संविधान के चार स्तंभों के दायरे में हैं। इंदिरा गांधी ने भी अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल लगाने और अनुच्छेद 359 के तहत मूलभूत अधिकारों को निलंबित करने के बाद दावा किया कि ऐसा देश में अव्यवस्था फैलाने की विपक्ष की योजना को ध्वस्त करने के लिए किया गया है।
चूंकि सुरक्षा बलों को गैरकानूनी आदेशों की अवहेलना करने के लिए कहा जा रहा है, इसलिए देश के व्यापक हित में भारत को 'अनुशासित लोकतंत्र' बनना होगा। जेटली के अनुसार हिटलर की भांति इंदिरा गांधी ने संसद के ज्यादातर विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया और उनकी अनुपस्थिति में दो तिहाई सदस्यों का समर्थन हासिल कर संवैधानिक संशोधनों के जरिए अनेक अप्रिय प्रावधान पारित कराने में कामयाब हो गई। उन्होंने 42वें संवैधानिक संशोधन के जरिए उच्च न्यायालयों के रिट याचिका जारी करने के अधिकार सीमित कर दिए।
जबकि इस अधिकार को डा. अंबेडकर ने भारतीय संविधान का हृदय और आत्मा के रूप में निरूपित किया था। यही नहीं, तत्कालीन सरकार ने अनुच्छेद 368 में संशोधन के जरिए संवैधानिक संशोधनों को न्यायिक समीक्षा से परे रखने का इंतजाम भी कर लिया। जिस तरह एक नाजी नेता ने दावा किया था कि जर्मनी में केवल एक ही नेता 'फ्यूहरर' है। उसी प्रकार तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष देवकांत बरुआ ने भी कहा था कि 'इंदिरा भारत है और भारत इंदिरा है' (इंदिरा इज इंडिया, एंड इंडिया इज इंदिरा)।