अरुण जेटली ने IT के बेंगलूर कार्यालय पर प्रदर्शन पर कांग्रेस व जेडीएस पर निशाना साधा
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आयकर विभाग के बेंगलूर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करने पर कांग्रेस और जेडीएस नेताओं की आलोचना की है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आयकर विभाग के बेंगलूर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करने पर कांग्रेस और जेडीएस नेताओं की आलोचना की है। इन दोनों पार्टियों ने पीडब्ल्यूडी के ठेकेदारों और इंजीनियर्स के यहां आयकर विभाग की छापेमारी व तलाशी की कार्यवाही के विरोध में यह प्रदर्शन किया था।
जेटली ने कहा कि जब किसी मंत्री या नेता के यहां छापेमारी या तलाशी नहीं हुई है तो फिर प्रदर्शन किसलिए किया गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और जेडीएस द्वारा प्रदर्शन के रूप में प्रतिक्रिया व्यक्त करने पर आशंका प्रकट होती है।
सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर लिखे एक पोस्ट में जेटली ने कहा कि बेंगलूर का मामला दो मामलों में यूपीए की कार्यशैली का उदाहरण है। पहला, सरकारी धन का उपयोग कीजिए, इसे ठेकेदारों के माध्यम से घुमाकर ले लीजिए और लाभार्थी बनकर खुद का फायदा कीजिए। दूसरे, संघीय ढांचे के प्रति थोथी सहानुभूति दिखाइये और मौका मिलते ही इसे बर्बाद कीजिए। यह बेहद सेल्फ-गोल का बेहद पारदर्शी तरीका है।
गौरतलब है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारास्वामी और कांगे्रस के नेताओं ने गुरुवार को पूरे राज्य में जगह-जगह पार्टी नेताओं और अन्य पर आयकर के छापेमारी के विरोध में प्रदर्शन किया था। जेटली ने कहा कि यह अभूतपूर्व है जब किसी मुख्यमंत्री ने राजनीति से प्रेरित होकर आयकर विभाग की तलाशी कार्रवाई के खिलाफ सड़क पर प्रदर्शन किया है।
कांग्रेस और जेडीएस के इस कदम से आशंका उभरती है। सवाल उठता है कि क्या मंत्री के भतीजे को ठेका मिलना भाई-भतीजावाद का मामला है। मुख्यमंत्री और जो मंत्री इस प्रदर्शन में शामिल हुए थे उन्हें इन सवालों का जवाब देना होगा।
जेटली ने कहा कि राज्य के जेडीएस और कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि एक मंत्री के ठिकानों पर छापेमारी की गयी है लेकिन वे सिर्फ मंत्री के भतीजे के यहां छापेमारी का ही सबूत दे सके। टैक्स प्रशासन ने एक बयान जारी कर स्पष्ट भी कर दिया है कि किसी एमपी, एमएलए या मंत्री के यहां छापेमारी नहीं की गयी।
जेटली ने राज्य के इस रवैये को संघीय ढांचे के लिये खतरे को लेकर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि संघीय ढांचा सिर्फ राज्यों के अधिकारों के बारे में नहीं है। भारत का संघीय ढांचा यूनियन ऑफ स्टेट यानी राज्यों के संघ के रूप में है। ऐसे में केंद्र का अधिकार भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
भारत की सुरक्षा, संप्रभुता, आतंकवाद का मुकाबला, सीमा प्रबंधन, कस्टम चैक प्वाइंट, आयकर वसूलने सहित कई शक्तियां केंद्र को दी गयी हैं। अगर राज्य उनकी किसी की राह में आड़े आते हैं तो वे संघीय ढांचे के नियमों का उल्लंघन करने के दोषी होंगे। क्या कोई राज्य कस्टम्स के क्षेत्र में अपनी पुलिस को भेजकर कस्टम्स को निर्देश दे सकता है? अगर वह ऐसा करता है तो यह संघीय ढांचे के लिए खतरा होगा।
जेटली ने कहा कि कई राज्यों ने आयकर अधिकारियों को कार्रवाई के दौरान पुलिस सुरक्षा देना बंद कर दिया है। इसके अलावा जब राज्य से पुलिस सुरक्षा के लिए आग्रह किया जाता है तो राजनीतिक दल की सरकार सूचना लीक कर देती है और वह टारगेट के पास पहुंच जाती है। ऐसी स्थिति में टैक्स अधिकारियों को केंद्रीय बलों के भरोसे रहना पड़ता है। हाल में कश्मीर घाटी में राज्यपाल शासन के दौरान 17 साल बाद आयकर विभाग ने छापेमारी की। सरकार जो ये कर जुटाती है वे गरीबों के कल्याण के लिए होते हैं।