अभिव्यक्ति की आजादी के मुद्दे पर जेटली का कांग्रेस पलटवार
अरुण जेटली ने शुक्रवार को अपनी नई फेसबुक पोस्ट में कांग्रेस को अभिव्यक्ति की आजादी को मुद्दा बनाने के लिए आड़े हाथों लिया।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बढ़ती असहिष्णुता और अभिव्यक्ति की आजादी के हनन का आरोप लगा रही कांग्रेस को केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने आड़े हाथों लिया है। जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जन्मदिन पर लिखे फेसबुक पोस्ट में जेटली ने पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हनन के लिए संविधान का पहला संशोधन पास कराने का आरोप लगाया है। जेटली के अनुसार श्यामा प्रसाद मुखर्जी के अखंड भारत के भाषणों को प्रतिबंधित करने के लिए यह संशोधन लाया गया था।
अरुण जेटली ने शुक्रवार को अपनी नई फेसबुक पोस्ट में कांग्रेस को अभिव्यक्ति की आजादी को मुद्दा बनाने के लिए आड़े हाथों लिया। जेटली के अनुसार 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी को 'अखंड भारत' का समर्थन करने से रोकने के लिए संविधान में पहला संशोधन किया गया। जेटली ने चुटकी लेते हुए लिखा कि आज वही कांग्रेस जेएनयू में कुछ लोगों की ओर से 'टुकड़े-टुकड़े' के आह्वान को अभिव्यक्ति की आजादी बता रही है। उनके अनुसार '1951 में संविधान में पहला संशोधन और 1963 में 16वां संशोधन अभिव्यक्ति की आजादी को सीमित करने के लिए लाया गया था।
अरुण जेटली के अनुसार आजादी के बाद श्यामा प्रसाद मुखर्जी लगातार अखंड भारत की बात कर रहे थे और कश्मीर पर हमले से लेकर हिंदुओं के कत्लेआम को लेकर पाकिस्तान की आलोचना कर रहे थे। इस आलोचना को रोकने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वाले संविधान के अनुच्छेद में नया प्रावधान जोड़ा गया। जिससे 'मित्र देशों के खिलाफ बोलने की आजादी' को प्रतिबंधित कर दिया गया। इसके लिए संविधान सभा और संसद के भीतर हुए बहस का हवाला देते हुए जेटली ने लिखा है कि यह संशोधन केवल श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आवाज को बंद करने के लिए किया था। उनके अनुसार देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू 'अखंड भारत' के विचार के खिलाफ थे और सोचते थे कि भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ सकता है।
जेटली ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए लिखा कि पिछले 70 सालों में, देश ने विभिन्न स्थितियों में बदलाव देखा है, जहां नेहरू संविधान में संशोधन करते हैं, क्योंकि 'अखंड भारत' की मांग युद्ध छिड़ सकता था और इसलिए इस पर रोक लगा दिया था। वहीं इसके ठीक विपरीत, मौजूदा समय में सभी को बताया जा रहा है कि बिना हिंसा किए देश को तोड़ने वाला बयान देना और नारे लगाना कहीं से गलत नहीं है कि यह कानूनी रूप से बोलने की आजादी है।