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हताशा से भरी कांग्रेस लड़ रही है अस्तित्व की लडाईः अरुण जेटली

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी को झूठे मुद्दे रचने का आदत है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 24 Jul 2018 09:50 PM (IST)Updated: Tue, 24 Jul 2018 09:50 PM (IST)
हताशा से भरी कांग्रेस लड़ रही है अस्तित्व की लडाईः अरुण जेटली
हताशा से भरी कांग्रेस लड़ रही है अस्तित्व की लडाईः अरुण जेटली

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राफेल डील पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से सरकार पर लगाए गए आरोपों पर अब केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने जवाब दिया है। जेटली ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी को झूठे मुद्दे रचने का आदत है। कांग्रेस को अहसास हो गया है कि 2019 का चुनाव नरेंद्र मोदी के प्रदर्शन पर जनमत होगा और कांग्रेस दूर दूर तक खड़ी नहीं है। इसलिए वह भाजपा पर आरोप लगा रही है।

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जेटली ने राजनीतिक हकीकत बताते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल में तो कांग्रेस पार्टी का अस्तित्व नहीं है या फिर वह तीसरे और चौथे स्थान पर है। इन राज्यों में लोकसभा की 50 फीसदी सीटें हैं। अगर कांग्रेस बची हुई सीटों पर गठबंधन करती है तो उसे अपने सहयोगियों को कई राज्यों में ज्यादा सीटें देनी पड़ सकती हैं। ऐसे में कांग्रेस प्रभावी तौर पर केवल 225 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जहां उसका सीधा मुकाबला भाजपा से होगा।

राहुल गांधी पर सीधा हमला करते हुए जेटली ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी की बड़ी मुश्किल है कि एक तरफ उनका नेता पर भ्रष्टाचार का कलंक है। और दूसरी तरफ मोदी सरकार है जिसपर कोई कलंक नहीं है।

असल में कांग्रेस की दोहरी रणनीति है, पहले राफेल डील के मुद्दे पर हल्ला करो, और जब इस से भी कुछ हासिल नहीं हुआ। दूसरी ओर कांग्रेस की दूसरी रणनीति फेडरल फ्रंट के खिलाफ है। हिंदू तालिबान और हिंदू पाकिस्तान जैसे शब्दो का उपयोग इसलिए किया जा रहा है ताकि अल्पसंख्यकों का वोट हासिल कर सके। लेकिन हर दांव फेल हो रहा है।

राफेल पर कांग्रेस को जवाब देते हुए जेटली ने कहा कि राफेल दो सरकारों के बीच का समझौता है, इसमें कोई तीसरी प्राइवेट एजेंसी नहीं है। लिहाजा भ्रष्टाचार का सवाल नहीं है। इस समझौते में देश की सुरक्षा का मुद्दा शामिल है। यूपीए के मंत्रियों ने भी कभी हथियारों की कीमतों का खुलासा नहीं किया था।

जेटली ने लिखा है कि 1989 में पूरे देश में कांग्रेस पार्टी के खिलाफ बोफोर्स मुद्दे पर गुस्सा था। सेंट किट्स में वी पी सिंह के बेटे के नाम पर एक बैंक अकाउंट खोला गया ताकि कांग्रेस अपना चेहरा बचाने के लिए तर्क दे सके। वही 1999 में कारगिल संघर्ष के बाद वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की चुनावों में जीत की पूरी संभावना थी। उस दौरान भी कांग्रेस ने पाकिस्तान को चीनी एक्सपोर्ट को मुद्दा बनाया था और इसपर करीब दो दर्जन प्रेस कांफ्रेस किए गए थे तथा सरकार की राष्ट्रीयता पर सवाल उठाए गए थे। कांग्रेस की यह मानसिकता रही है। इस बार भी वही राजनीति हो रही है।


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