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जम्मू-कश्मीर: राहुल गांधी समेत सहित विपक्षी नेताओं को श्रीनगर एयरपोर्ट से वापस भेजा

Rahul Gandhi Visit To Jammu and Kashmir विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल को किसी से भी नहीं मिलने दिया गया पुलिस ने जबरन भेजा वापस।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 24 Aug 2019 09:32 AM (IST)Updated: Sat, 24 Aug 2019 10:03 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर: राहुल गांधी समेत सहित विपक्षी नेताओं को श्रीनगर एयरपोर्ट से वापस भेजा
जम्मू-कश्मीर: राहुल गांधी समेत सहित विपक्षी नेताओं को श्रीनगर एयरपोर्ट से वापस भेजा

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को श्रीनगर पहुंचा, लेकिन एयरपोर्ट पर भारी हंगामे के बाद सभी को वापस दिल्ली भेज दिया गया। विपक्ष के नेता अनुच्छेद-370 हटने के बाद कश्मीर के हालात जानने आए थे। इस दौरान एयरपोर्ट पर कुछ पत्रकारों की सुरक्षाकर्मियों से धक्का-मुक्की भी हुई।

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर कश्मीर में लोकतंत्र की आवाज दबाने और सभी वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं को नजरबंद करने की निंदा करते हुए कहा था कि वह कश्मीर के हालात का खुद जायजा लेंगे। स्थिति सामान्य नहीं है। उनकी इस मुद्दे पर राज्यपाल सत्यपाल मलिक से ट्विटर पर बहस भी हुई थी। इस पर राज्यपाल ने कहा था कि वह राहुल गांधी को हेलीकॉप्टर भेजकर बुलाएंगे। हालांकि राज्यपाल ने बाद में यह भी कहा था कि वह समय आने पर राहुल को खुद बुलाएंगे।

सुरक्षा बलों ने एयरपोर्ट पर ही रोका
शनिवार दोपहर करीब एक बजे गुलाम नबी आजाद, सीता राम येचुरी, माजिद मेनन, शरद पवार, डी राजा और मनोज झा समेत विपक्षी दलों के 12 वरिष्ठ नेताओं का दल राहुल के नेतृत्व में कश्मीर के हालात का जायजा लेने श्रीनगर पहुंचा। एयरपोर्ट से बाहर निकलने से पहले ही सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक लिया। उन्होंने शहर में धारा 144 का हवाला देते हुए कहा, वे नहीं जा सकते। राहुल ने एतराज जताया, पर सुरक्षाकर्मियों ने उनकी एक नहीं सुनी।

सुरक्षाबलों और मीडियाकर्मियों में हुई धक्कामुक्की
इस दौरान पत्रकारों ने तस्वीरें लेना शुरू कर दिया। इस पर सुरक्षाकर्मियों ने आपत्ति जताई और पाबंदियों का हवाला देते हुए सभी को कैमरे बंद करने के लिए कहा, लेकिन मीडियाकर्मियों ने सुरक्षा बलों को अनसुना कर शूटिंग जारी रखी। इस पर उनकी सुरक्षाबलों से धक्का-मुक्की भी हुई। इस दौरान एयरपोर्ट के बाहरी लाउंज में लगे कांच भी टूट गए और कुछ मीडियाकर्मियों को चोट भी आई है। पूरे दल को वापस दिल्ली भेजा : इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने मीडियाकर्मियों को वहां से हटाते हुए सभी वरिष्ठ नेताओं को वीआइपी कक्ष में बैठाया। बाद में सभी नेताओं को पौने चार बजे की फ्लाइट से श्रीनगर से दिल्ली के लिए भेज दिया गया।

स्थानीय लोगों ने पत्रकार को घेरा
इस बीच, एयरपोर्ट के बाहरी हिस्से में एक टीवी चैनल के पत्रकार को स्थानीय लोगों ने घेर कर उसके साथ धक्का- मुक्की शुरू कर दी। लोगों ने उस पर कश्मीर की सही स्थिति न दिखाने का आरोप लगाया। इससे पहले स्थिति बिगड़ती, पुलिस ने मौके पर पहुंच कर शरारती तत्वों को वहां से खदेड़ हालात पर काबू पाया।

पहले भी हुई श्रीनगर जाने की कोशिश
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और माकपा नेता सीता राम येचुरी पांच अगस्त के बाद पहले भी कश्मीर आने का प्रयास कर चुके हैं। उन्हें एयरपोर्ट से ही वापस दिल्ली भेजा गया था। शांति व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करें : प्रवक्ता राज्य सरकार के प्रवक्ता और राज्यपाल के प्रमुख सचिवायुक्त रोहित कंसल ने विपक्षी दलों के नेताओं को एयरपोर्ट से ही वापस भेजने के फैसले को सही ठहराया। हम पहले ही सभी दलों के नेताओं से आग्रह कर चुके हैं कि वे यहां के हालात को समझें। शांति व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करें। अगर किसी के आगमन से हालात बिगड़ने की आशंका है तो हम उसे कैसे अनुमति दे सकते हैं। राजनेताओं को चाहिए कि वे सहयोग करें।

राज्यपाल ने राहुल गांधी को कश्मीर आने का दिया था न्योता

दरअसल, जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राहुल गांधी को कश्मीर आने का न्योता दिया था जिसके बाद राहुल गांधी शनिवार को श्रीनगर जाने वाले हैं। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने जम्मू-कश्मीर में हिरासत में लिए गए नेताओं की रिहाई की मांग करते हुए बृहस्पतिवार को यहां प्रदर्शन भी किया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव डी राजा, सपा नेता रामगोपाल यादव, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा और तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे।

गौरतलब है कि हाल ही में सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के कई प्रावधान हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों को बांटने का कदम उठाया। इसके मद्देनजर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य के कई इलाकों में ऐहतियातन भारी सुरक्षा बलों की तैनाती की गई और मोबाइल एवं इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गईं। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती सहित कई नेताओं को हिरासत में लिया गया अथवा नजरबंद किया गया।

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