राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान बोले, सुरक्षा कर्मी न होते तो इरफान हबीब हमला कर देते
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि अगर मंच पर सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं होते तो इतिहासकार इरफान हबीब उन पर हमला भी कर सकते थे।
तिरुवनंतपुरम, एजेंसी। भारतीय इतिहास कांग्रेस (आइएचसी) में हुए हंगामे के बारे में जानकारी देते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि अगर मंच पर सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं होते तो इतिहासकार इरफान हबीब उन पर हमला भी कर सकते थे। एक दिन पहले नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर विचार रखते समय केरल के गर्वनर के भाषण को हबीब ने रोकने की कोशिश की थी। राज्यपाल के एडीसी और सुरक्षा अधिकारी ने जब उन्हें रोकना चाहा तो उन्हें धक्का भी दे दिया था। राज्यपाल ने खुद ट्वीट कर हबीब के व्यवहार के बारे में बताया था।
अपने साथ हुई अभद्रता के एक दिन बाद केरल के राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खान ने राज्य के मुख्य सचिव टॉम जोस को राजभवन तलब किया। राजभवन के सूत्रों ने बताया कि रविवार को मुख्य सचिव ने राज्यपाल से मुलाकात की। हालांकि, उनके बीच क्या बात हुई, इसके बारे में जानकारी नहीं पाई है। इस बीच, माकपा ने राज्यपाल पर आइएचसी में राजनीतिक भाषण देने का आरोप लगाया है।
#WATCH: Kerala Governor Arif Mohammad Khan speaks to ANI on being heckled by historian Irfan Habib while Khan was delivering his inaugural address at the 80th Indian History Congress at Kannur University, yesterday. pic.twitter.com/i5Mg1AGOUX — ANI (@ANI) December 29, 2019
उन्होंने कहा कि राज्यपाल का कार्यक्रम एक घंटे से ज्यादा का नहीं हो सकता, लेकिन वक्ता नियम तोड़कर डेढ़ घंटे तक बोलते रहे। वो सीएए को संविधान के खिलाफ बताते रहे और संविधान पर खतरे का आरोप लगा रहे थे।मैं उनकी इन सब बातों को चुपचाप सुनता रहा। आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि इन सबको सुनने के बाद जब मैं बोलने लगा तो इतिहासकार इरफान हबीब ने मुझको रोकने की कोशिश की। वो मेरी ओर बढ़े, लेकिन जब मेरे एडीसी ने उनको रोका, तो उन्होंने एडीसी का बैज नोच लिया और बदसलूकी की।
कन्नूर विश्वविद्यालय के वीसी ने रोका
राज्यपाल ने बताया कि इस बीच सुरक्षाकर्मी और कन्नूर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर मेरे और इरफान हबीब के बीच दीवार बनकर खड़े हो गए। आरिफ मोहम्मद खान ने आरोप लगाया कि इरफान हबीब मुझ तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि वो करना क्या चाहते थे, इसकी मुझको जानकारी नहीं है। अपने ट्वीट में खान ने कहा कि इरफान ने उनसे मौलाना अब्दुल कलाम आजाद को कोट करने के अधिकार पर सवाल उठाते हुए गोडसे का जिक्र करने को कहा।
प्रोटोकाल का हुआ उल्लंघन
कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गोपीनाथ रविंद्रन ने माना है कि राज्यपाल के खिलाफ प्रदर्शन में प्रोटोकाल का उल्लंघन हुआ था। उद्घाटन सत्र को संबोधित करने वाले वक्ताओं में इरफान हबीब का नाम नहीं था। हालांकि, हबीब ने प्रोटोकाल के उल्लंघन के आरोपों को नकारा है। उन्होंने प्रतिनिधियों और छात्रों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई के लिए राज्य की माकपा नीत सरकार पर निशाना साधा है।
राज्यपाल ने बताया कि मंच पर मौजूद मलयाली साहित्यकार शाहजहां मादमपर के विचार भी मुझसे अलग थे। मैंने उनसे कहा कि जो भी लोग विरोध और नारेबाजी कर रहे हैं, उन्हें मेरी तरफ से बातचीत का बुलावा भेजिए। वह गए और लौटकर बताया कि प्रदर्शनकारी बात करने नहीं बल्कि प्रदर्शन करने आए हैं।
बातचीत बंद होने से हिंसा और नफरत का माहौल
राज्यपाल खान ने कहा कि इस दौरान मैंने कहा कि जब आप बातचीत का दरवाजा बंद कर देते हैं तो हिंसा-नफरत का माहौल शुरू हो जाता है। जैसे ही मैंने यह कहा, इरफान हबीब उठे और मेरी तरफ बढ़े। एडीसी ने रोका। फिर वह सोफा के पीछे से मेरी तरफ आए, जहां उन्हें सुरक्षा कर्मियों की तरफ से फिर से रोका गया।
सीपीएम ने की आलोचना
वहीं दूसरी ओर, केरल सीपीएम के सचिव कोडियेरी बालकृष्णन ने कहा कि सभी नागरिकों को राजनीतिक क्रियाकलापों में शामिल होने का हक है। अगर राज्यपाल अपने पद के संवैधानिक दायरों को नहीं पहचान रहे हैं तो उन्हें इस्तीफा देकर पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय हो जाना चाहिए।