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कारसेवकों के खिलाफ मामले वापस लेने की अपील, हिंदू महासभा ने पीएम मोदी समेत तीन नेताओं को लिखा पत्र

हिंदू महासभा यह भी चाहती है कि शहीद हुए कारसेवकों के नाम की तख्तियां भी अयोध्या में लगवाई जाएं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 08:56 PM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 12:01 AM (IST)
कारसेवकों के खिलाफ मामले वापस लेने की अपील, हिंदू महासभा ने पीएम मोदी समेत तीन नेताओं को लिखा पत्र
कारसेवकों के खिलाफ मामले वापस लेने की अपील, हिंदू महासभा ने पीएम मोदी समेत तीन नेताओं को लिखा पत्र

नई दिल्ली, आइएएनएस। अयोध्या मामले में टाइटल सूट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के महज 72 घंटे बाद ही अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने कारसेवकों के खिलाफ चलाए जा रहे सभी आपराधिक मुकदमों को वापस लेने की मांग की है। हिंदू संगठन ने यह मांग उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तीन प्रमुख नेताओं को चिट्ठी लिखी है।

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हिंदू महासभा ने अपने इस पत्र में विवादित ढांचा ढहाए जाने के आरोपित सभी कारसेवकों के खिलाफ मामले वापस लेने के साथ ही वर्ष 1990 में मारे गए सभी कारसेवकों और कारसेवा के अन्य आयोजनों में भी मरने वाले कारसेवकों को शहीद का दर्जा देने की मांग की है।

हिंदू महासभा ने अमित शाह और सीएम योगी को भी भेजा पत्र

हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने एक पत्र केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी भेजा है। 12 नवंबर की तारीख वाले इस पत्र में कहा गया है कि अब जब यह साफ हो गया है कि अयोध्या में राम लला का मंदिर क्षेत्र अविवादित है। साथ ही उस पर बना गुम्बद भी एक मंदिर का शीर्ष था नाकि किसी अन्य धर्मस्थल का था। ऐसे में विवादित ढांचे को गिराने के आपराधिक मामले का सामना कर रहे राम भक्तों को इस आपराधिक मामले से मुक्त कर दिया जाना चाहिए।

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चूंकि इन रामभक्तों ने बिना जाने-बूझे मंदिर के ही शिखर को नीचे गिरा दिया था। इसलिए मैं सरकार से अपील करता हूं कि वह कारसेवकों के खिलाफ जारी आपराधिक मामलों को वापस ले लें। चक्रपाणि ने 1990 में और अन्य समय पर कारसेवा के दौरान मारे गए कारसेवकों को शहीद का दर्जा दिया जाए। 30 अक्टूबर, 1990 को अयोध्या में तत्कालीन राज्य सरकार ने कारसेवा के दौरान कारसेवकों पर गोलियां चलवा दी थीं। इस घटना के खिलाफ देशभर में विरोध-प्रदर्शन हुए थे।

भाजपा के कई बड़े नेता हैं आरोपित

लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट के अनुसार करीब 5000 कारसेवकों ने छह दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचे को ढहा दिया था। इस मामले में सरकार ने कई कारसेवकों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे। इनमें करीब 47 भाजपा नेताओं के भी नाम शामिल हैं। इन नेताओं में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती का नाम प्रमुख है। इस मामले में अप्रैल, 2020 तक अंतिम फैसला आने की उम्मीद है।

जीवित कारसेवक कहलाएं धार्मिक सेनानी

हिंदू महासभा यह भी चाहती है कि शहीद हुए कारसेवकों के नाम की तख्तियां भी अयोध्या में लगवाई जाएं। इतना ही नहीं इस चिट्ठी में राम मंदिर के निर्माण के लिए कारसेवा में भाग लेने वाले जीवित कारसेवकों को स्वतंत्रता सेनानी की तर्ज पर 'धार्मिक सेनानी' बुलाए जाने की भी मांग की गई है। पीएम मोदी समेत अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में कहा गया है कि उनके लिए मासिक भत्ते का निर्धारण किया जाए।


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