SC verdict on Ayodhya: छह दिसंबर की सालाना कटुता की बन चुकी परंपरा पर लगेगा विराम
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला राम मंदिर के पक्ष में देकर कानूनी रुप से दूसरे पक्ष को विवाद से दूर कर दिया है। सालाना कटुता के इस संग्राम का भी अब अंत हो जाएगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पक्ष में आए फैसले ने इस विवाद को लेकर हर साल 6 दिसंबर को होने वाले सियासी संग्राम को भी अब लगभग विराम दे दिया है। खासकर संसद में इस मुद्दे पर हर 6 दिसंबर को लेकर दिखने वाली कटुता और हंगामे का पटाक्षेप होना तो तय है।
अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 के बाद से आई कटुता और हंगामे का होगा पटाक्षेप
दरअसल अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ध्वस्त होने के बाद से ही राम मंदिर आंदोलन से जुड़े संगठनों और बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी के अलावा राजनीतिक पार्टियों के बीच इस पर जमकर संग्राम चलता आ रहा है। हिन्दू संगठन 6 दिसंबर के ढांचे विध्वंस की घटना को शौर्य दिवस के रुप में मानते आ रहे हैं। जबकि बाबरी समर्थक इस दिन पूरे देश में काला दिवस के रुप में मनाते हुए विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं।
संसद में भी होती थी अयोध्या विवाद की घटना की निंदा
अयोध्या विवाद पर दोनों पक्षों के इस संग्राम का असर संसद में भी लगभग हर साल 6 दिसंबर या इसके आस-पास की तारीख को लोकतंत्र के मंदिर में नजर आता रहा है। एआइएमआइएम, मुस्लिम लीग, वामपंथी दलों के साथ कई विपक्षी पार्टियां ढांचा ढहाए जाने की घटना को देश के कानून और संविधान के खिलाफ बताते हुए निंदा करती रही हैं। जबकि भाजपा और मंदिर आंदोलन की समर्थक पार्टियां इसे जन भावनाओं के स्वत: स्फूर्त प्रकटीकरण से जोड़ती रही हैं।
संसद से सड़क तक 6 दिसंबर को काला दिवस बनाम शौर्य दिवस मनाया जाता था
इस विरोधाभासी रुख को लेकर ही संसद से सड़क तक दोनों खेमों में हर वर्ष ढांचा विध्वंस की बरसी के मौके पर कटु संग्राम जैसे परंपरा ही बन गई है। संसद के दोनों सदनों में भी बीते कई सालों में 6 दिसंबर को काला दिवस बनाम शौर्य दिवस के बहाने अयोध्या विवाद पर चर्चा भी हो चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के पक्ष में फैसला देकर अयोध्या विवाद का अंत कर दिया
जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला राम मंदिर के पक्ष में देकर कानूनी रुप से दूसरे पक्ष को विवाद से दूर कर दिया है तो उम्मीद की जानी चाहिए कि सालाना कटुता के इस संग्राम का भी अब अंत हो जाएगा।