मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी 'स्टार्ट-अप इंडिया' योजना पर ग्रहण लगाएगा 'एंजेल टैक्स'
देश में लगभग 39,000 स्टार्ट अप हैं जिसमें से 15,417 स्टार्ट-अप औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डीआइपीपी) से मान्यताप्राप्त हैं।
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी 'स्टार्ट-अप इंडिया' योजना पर 'एंजेल टैक्स' का ग्रहण लग गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के युवाओं को नौकरी मांगने वाले की बजाय नौकरी देने वाला बनाने के इरादे से यह योजना शुरु की थी लेकिन इस टैक्स की मार से आज सैकड़ों 'स्टार्ट-अप' बंद होने के कगार पर हैं। अगर समय रहते सरकार ने कदम नहीं उठाए तो हजारों युवा बेरोजगार हो सकते हैं।
देश में लगभग 39,000 स्टार्ट अप हैं जिसमें से 15,417 'स्टार्ट-अप' औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (डीआइपीपी) से मान्यताप्राप्त हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि तीन साल पहले स्टार्ट अप इंडिया योजना शुरु होने से नवंबर 2018 तक सरकार मात्र 91 'स्टार्ट-अप' को ही टैक्स छूट का लाभ देने के लिए मान्यता प्रदान कर पायी है। इसका नतीजा यह हुआ है कि आयकर विभाग ने बड़ी संख्या में 'स्टार्ट-अप' को आयकर कानून की धारा 56(2)(सात) के तहत असेसमेंट ईयर 2015-16 और 2016-17 के लिए 30 प्रतिशत 'एंजेल टैक्स' के नोटिस थमाकर इस साल 31 मार्च तक भारी भरकम टैक्स जमा करने का आदेश दिया है। विभाग की इस कार्रवाई से स्टार्ट-अप कम्युनिटी सन्न रह गयी है। स्थिति यह है कि कई स्टार्ट-अप बंद होने कगार पर आ गये हैं।
स्थिति कितनी चिंताजनक है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2018 में लगभग हर तीसरे स्टार्ट अप को आयकर विभाग से किसी न किसी प्रकार का नोटिस भेजा गया है। आइटी क्षेत्र की जानी मानी कंपनी 'लोकल सर्किल्स' के एक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2018 में लगभग 38 प्रतिशत स्टार्ट अप को आयकर विभाग की ओर से नोटिस गए जिसमें एंजेल टैक्स से संबंधित नोटिस भी शामिल हैं।
दरअसल जब कोई अन-लिस्टेड कंपनी शेयरों के माध्यम से पूंजी जुटाती है और आयकर विभाग को ऐसा लगता है कि कंपनी ने शेयर जिस रेट पर दिया है वह फेयर मार्केट वैल्यू से अधिक है तो वह उस अतिरिक्त राशि को उक्त कंपनी की आय मानकर उस पर 30 प्रतिशत की दर से एंजेल टैक्स लगा देता है। तत्कालीन यूपीए सरकार ने 2012 के वित्त कानून के जरिए आयकर कानून में इस तरह के टैक्स का प्रावधान किया था।
आयकर विभाग ने भी स्वीकार किया है कि उसने स्टार्ट अप्स को नोटिस भेजे हैं। हालांकि विभाग ने यह बताने से इंकार कर दिया है कि कुल कितने स्टार्ट-अप्स को इस तरह के नोटिस दिए गए हैं। दैनिक जागरण ने जब इस बारे में सेंट्रल बोर्ड ऑफ डाइरेक्ट टैक्स यानी सीबीडीटी से प्रतिक्रिया मांगी तो विभाग ने कहा कि कुछ मामलों ही विभाग ने स्टार्ट अप से टैक्स मांग की है। यह पूछे जाने पर कि विभाग ने स्टार्ट-अप पर टैक्स लगाकर कुल कितना राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा है, सीबीडीटी ने सफाई देते हुए कहा है कि पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि जिन मामलों में भी मांग खड़ी गयी है, उसे वसूलने के लिए दवाब नहीं बनाया जाएगा। हालांकि जमीनी हकीकत इससे अलग है। इस बीच डीआइपीपी ने भी 16 जनवरी को एक आदेश जारी कर स्टार्ट अप को एंजेल टैक्स से राहत देने को कदम उठाने का दावा किया है।
इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने वाले लोकल सर्किल्स के चेयरमैन सचिन तापडि़या का कहना है कि सरकार ने अगर एंजेल टैक्स से राहत देने के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए तो स्टार्ट-अप इंडिया अभियान खतरे में पड़ जाएगा और हजारों युवा बेरोजगार हो जाएंगे।
तापड़िया का कहना है कि डीआइपीपी ने 16 जनवरी को जो आदेश जारी कर राहत दी है वह अपर्याप्त है। सरकार को आगामी अंतरिम बजट में समुचित कानूनी बदलाव कर स्टार्ट-अप को एंजेल टैक्स से पूरी तरह मुक्त रखना चाहिए। साथ ही स्टार्ट-अप को मान्यता देने की शर्तो में भी बदलाव करना चाहिए।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 जनवरी 2016 को स्टार्ट अप इंडिया योजना लांच की थी। उस समय उन्होंने कहा था कि अगर कोई स्टार्ट अप पांच लोगों को भी रोजगार देता है तो वह देश को आगे बढ़ाने का काम करेगा। उन्होंने कहा था कि स्टार्ट अप इंडिया अभियान एक मनोवैज्ञानिक बदलाव लाकर युवाओं को नौकरी मांगने वाले की मानसिकता से बाहर लाकर नौकरी देने वाला बनाने की दिशा में कदम होगा।