आंध्र प्रदेश में आर्थिक संकट, कर्मचारियों को नहीं मिला वेतन, उधर तेलंगाना ने उधार लेने को बदला कानून
आंध्र प्रदेश में सालाना बजट पास नहीं होने की वजह से आर्थिक संकट पैदा हो गया है। उधर तेलंगाना सरकार ने अधिक उधार लेने के लिए एक कानून में संशोधन किया है।
अमरावती, पीटीआइ। आंध्र प्रदेश में सालाना बजट पास नहीं होने की वजह से आर्थिक संकट पैदा हो गया है। हालात ऐसे हो गए हैं कि राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को वेतन तक नहीं दे सकी। ऐसा पहली बार हुआ है जब राज्य सरकार को वित्तीय भुगतान का अधिकार नहीं रह गया है। उधर, तेलंगाना सरकार ने अधिक उधार लेने के लिए अध्यादेश जारी कर एक कानून में संशोधन किया है। बता दें कि कोरोना महामारी के चलते राज्य सरकार को अतिरिक्त उधार लेने की जरूरत पड़ी है।
दरअसल, आंध्र प्रदेश विधान परिषद में विनियोग विधेयक पारित नहीं हो सका है। राज्य सरकार तब तक सरकारी खजाने से कोई पैसा खर्च नहीं कर पाएगी जब तक कि संवैधानिक प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है और राज्य के राज्यपाल विनियोग विधेयक को अपनी मंजूरी नहीं दे देते हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार अजेया कल्लम ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि यह काम शनिवार तक पूरा हो जाएगा। इसके लिए जरूरी प्रक्रिया शुरू की जा रही है।' विनियोग विधेयक पारित नहीं होने की स्थिति में सरकारी कर्मचारियों के वेतन का भुगतान नहीं हो पाने के साथ ही सरकार कोई अन्य खर्च भी नहीं कर सकती है।
राज्य विधानसभा में विनियोग विधेयक 16 जून को पारित कर लिया गया था लेकिन इसे विधान परिषद में पारित नहीं कराया जा सका। राज्य की सत्ताधारी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस और विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी के बीच खींचतान की वजह से यह स्थिति बनी है। राज्य में मार्च में लेखानुदान का अध्यादेश जारी किया गया था। यह 30 जून को समाप्त हो गया लेकिन बजट खर्च का मार्ग प्रशस्त करने वाला विनियोग विधेयक अभी तक कानून नहीं बन पाया है।
संविधान के मुताबिक कोई भी धन विधेयक परिषद द्वारा यदि 14 दिन के भीतर विधानसभा को नहीं लौटाया जाता है तो उसे पारित मान लिया जाता है। 14 दिन की यह अवधि आज रात को समाप्त हो रही है। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष संबंधित फाइल को विनियोग विधेयक पर राज्यपाल की सहमति के लिए भेज देंगे।
उधार लेने के लिए तेलंगाना ने जारी किया अध्यादेश
तेलंगाना सरकार ने अधिक उधार लेने के लिए अध्यादेश जारी कर राजकोषीय जिम्मेदारी और बजट प्रबंधन अधिनियम 2005 में संशोधन किया है। इसके चलते अब राज्य सरकार कोरोना महामारी से निपटने के लिए तीन फीसद की तय सीमा से अधिक उधार ले सकती है। केंद्रीय करों में कमी के चलते राज्य सरकार ने पिछले वित्तवर्ष के दौरान 1,435 करोड़ रुपये का अतिरिक्त उधार लिया था।