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सहकारिता ही विकास का बेहतर माडल, कृषि उत्पादों का मार्केटिंग नेटवर्क तैयार करने की जरूरत : अमित शाह

केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने रविवार को गुजरात की राजधानी गांधीनगर में आयोजित अमूल डेयरी एक कार्यक्रम में कहा कि देश के विकास के लिए सबसे बेहतर सहकारिता का आर्थिक माडल है। पढ़ें अमित शाह का पूरा भाषण...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 07:27 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 08:44 PM (IST)
सहकारिता ही विकास का बेहतर माडल, कृषि उत्पादों का मार्केटिंग नेटवर्क तैयार करने की जरूरत : अमित शाह
अमित शाह ने रविवार को गुजरात की राजधानी गांधीनगर में आयोजित अमूल डेयरी एक कार्यक्रम को संबोधित किया...

नई दिल्ली, जागरण ब्‍यूरो। देश के विकास के लिए सबसे बेहतर सहकारिता का आर्थिक माडल है, जिससे 130 करोड़ की आबादी वाले देश का समावेशी आर्थिक विकास हो सकता है। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि सहकारिता कोई नया विचार नहीं है, यह 110 साल पुराना विचार है जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए परख लिया था। उन्होंने कहा कि सहकारिता में हर एक को संपन्न बनाने की क्षमता है। इसमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को एक छतरी के नीचे लाने की जरूरत है। सफलता के इस माडल को राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता देने का मुख्य उद्देश्य यही है।

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शाह गुजरात की राजधानी गांधीनगर में आयोजित अमूल डेयरी एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्‍होंने कहा कि सहकारिता के माध्यम से छोटे-छोटे लोगों को जोड़कर एक प्रचंड शक्ति खड़ी की जा सकती है। राष्ट्र निर्माण में इसका बड़ा योगदान हो सकता है। प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर सहकारिता का नया मंत्रालय गठित किया गया है। इसमें अब सहकारिता के माध्यम से देश के कृषि और इससे जुड़ी सेवाएं करोड़ों लोगों तक पहुंच रही हैं। नए मंत्रालय के गठन के समय कई लोगों को अजीब लगा कि भला इस मंत्रालय की भूमिका क्या होगी। लेकिन उन्हें इसकी अपार क्षमता के बारे में पता नहीं है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सहकारिता में केवल देश की अर्थव्यवस्था को गति देने की ही क्षमता नहीं है, बल्कि देश के सभी लोगों को समृद्ध बनाने का मंत्र भी इसमें निहित है। शाह ने सहकारी संस्थाओं से कुछ चुनौतियों का जिक्र करते हुए आगे आने की अपील की। कृषि में फर्टिलाइजर के बढ़ते उपयोग से भूमि की उर्वरा क्षमता कम हो रही है। फसलों की उत्पादकता प्रभावित हो रही है। उपज में भी फर्टिलाइजर का अंश पहुंच रहा है, जिससे शरीर का संतुलन बिगड़ रहा है। कैंसर जैसी घातक बीमारियां हो रही हैं।

ऐसे में जैविक कृषि उत्पाद ही एक मात्र विकल्प हैं। लेकिन मुश्किल यह है कि जैविक खेती में उत्पादकता कम होती है और उसका उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। जैविक उत्पादों के उचित मूल्य का बंदोबस्त हो जाए तो खेती के साथ स्वास्थ्य का भी लाभ होगा। ऐसी कुछ एजेंसियां हैं जो जैविक उत्पादों का कई गुना मूल्य दे रही हैं। ऐसे उत्पादों की मार्के¨टग के लिए मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर बल देना होगा। 


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