Move to Jagran APP

Exclusive Interview: उत्तर प्रदेश की राजनीति के तीन नासूर बने जनता की परेशानी का सबब: अमित शाह

उत्तर प्रदेश की राजनीति के तीन नासूर थे जो जनता की परेशानी का सबब बने हुए थे। एक परिवारवाद दूसरा जातिवाद और तीसरा तुष्टीकरण की नीति। ये तीनों समस्याएं वहां लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत नहीं होने दे रही थीं। लोगों का चयन भी जातिवाद के आधार पर होता था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 10 Feb 2022 10:40 PM (IST)Updated: Fri, 11 Feb 2022 09:06 AM (IST)
Exclusive Interview: उत्तर प्रदेश की राजनीति के तीन नासूर बने जनता की परेशानी का सबब: अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का इंटरव्‍यू

वर्ष 2013 का वक्त था, जब वर्तमान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को सबसे कठिन राज्य उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई थी। शत प्रतिशत मेहनती और कुशल रणनीतिकार शाह ने जमीन को इतना सींचा कि रसदार फल 2019 तक टपकते रहे। 2014, 2017 और 2019 में केंद्र और राज्य में बहुमत की सरकार मिलती चली गई। फिर से चुनाव सामने है और अन्य नेताओं के साथ शाह ने शुरुआत वहां से की जो फिलहाल सबसे कठिन माना जा रहा था-पश्चिमी उत्तर प्रदेश। जिस जाट समुदाय के नाराज होने की बात कही जा रही थी, उसी जाट समुदाय ने एक सम्मेलन में शाह को चौधरी कहा। लेकिन खुद शाह उत्तर प्रदेश में जीत का शत प्रतिशत भरोसा जताते हुए पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कामकाज को देते हैं। दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा और विशेष संवाददाता नीलू रंजन से विस्तृत बातचीत का दूसरा अंश-

loksabha election banner

-कहा जा रहा है कि जनता ने भाजपा को 2014 में वोट दिया, फिर 2017 में और फिर 2019 में। ऐसा नया क्या कर रहे हैं जिसके कारण फिर से वोट दे?

-देखिए मैं गिनाने लगूं तो वोट न देने का एक भी कारण नहीं है और देने के पचासों कारण। आप पूरे उत्तर प्रदेश की 2014 की स्थिति को देखिए। आपको लगेगा कि दोहरा रहा हूं, लेकिन यह दोहराया जाना जरूरी है। जनता के दिमाग में भी बार-बार यही आता है। उत्तर प्रदेश की राजनीति के तीन नासूर थे, जो जनता की परेशानी का सबब बने हुए थे। एक परिवारवाद, दूसरा जातिवाद और तीसरा तुष्टीकरण की नीति। ये तीनों समस्याएं वहां लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत नहीं होने दे रही थीं। लोगों का चयन भी जातिवाद के आधार पर होता था। उनकी पार्टियां ही ऐसे ही चलती थीं। पार्टियां भी परिवार के आधार पर ही चलती थीं और वही चुनी भी जाती थीं। तुष्टीकरण के कारण कानून-व्यवस्था के बहुत बड़े मुद्दे खड़े होते थे। आज यह सुनिश्चित रूप से कहता हूं कि 2014 से 2022 तक की यात्रा में इन समस्याओं से हमने राज्य को मुक्ति दिलाई है। दूसरी सबसे बड़ी समस्या थी कि 15 करोड़ गरीबों का जीवन स्तर ऊपर ही नहीं आ पाता था। कोई अपनी फोटो खिंचाने के लिए कोई योजना कर देता था, फिर छोड़ देता था। कोई अपनी लोकप्रियता के लिए अपनी आइडियोलाजी जोड़कर योजना चालू करता था, जो नीचे तक नहीं पहुंचती थी। आज 15 करोड़ गरीबों तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गैस का सिलेंडर पहुंचाया है।

एक करोड़ 82 लाख परिवारों में बिजली पहुंचाई है। सभी परिवारों को शुद्ध पीने का पानी पहुंचाने का हमारा प्रकल्प 30 प्रतिशत पार कर गया है। मुझे भरोसा है कि 31 मार्च तक हम इसे समाप्त कर लेंगे। हर घर में गैस का सिलेंडर पहुंच गया है। हर घर में आजादी के 75 साल बाद शौचालय पहुंचा है। इस 15 करोड़ आबादी को दो साल में प्रति व्यक्ति पांच किलो मुफ्त राशन मोदी सरकार ने पहुंचाया है। 15 करोड़ की आबादी को पांच लाख तक मुफ्त इलाज की सुविधा मोदी सरकार दे रही है। इस तरह से ढेर सारी योजनाएं उन तक पहुंची हैं। उत्तर प्रदेश के हर किसान के खाते में साल में छह हजार रुपये पहुंच रहा है।

मैं मानता हूं कि यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। हर किसी के घर में बैंक अकाउंट पहुंच गया है। इन सबके बाद उसको सुरक्षा भी मिली है। डिफेंस कारिडोर बन रहा है। इतने सारे एक्सप्रेस-वे बन रहे हैं। इतनी सारी सिंचाई योजनाएं, एक तो मेरे जन्म के पहले की थी। आज हमने उसे पूरी करके वहां सिंचाई चालू कर दी। केन-बेतवा शुरू हो चुकी है। कभी यूपी में 10 घंटे ज्यादा बिजली आ जाए तो गांव में पेड़े बांटते थे। आज हर गांव में 22-23 घंटे बिजली पहुंचती है। महानगरों में 24 घंटे बिजली पहुंचती है। मुझे भरोसा है कि 2022 दिसंबर के पहले हम सभी गांव में 24 घंटे बिजली भी पहुंचा देंगे।

-जब आप शुरुआती दौर में गए थे तो 2022 के चुनाव को 2024 से जोड़ा था। क्या आप भी मान रहे हैं कि उत्तर प्रदेश का चुनाव सेमीफाइनल है।

-सेमीफाइनल जैसा कुछ नहीं होता है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा सूबा है। वहां पार्टी के मजबूत होने का मतलब होता है। कुछ मीडिया ने इसका अलग तरीके से विश्लेषण किया तो अच्छा हुआ कि आपके अखबार के माध्यम से स्थिति स्पष्ट हो गई। उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटें हैं और किसी भी दल को केंद्र में सरकार बनाने के लिए मैटर करती है।

-राजनीतिक रूप से उत्तर प्रदेश चुनाव को सबसे अधिक अहम और पंजाब को रोचक माना जा रहा है। पंजाब के बारे में आपका क्या आकलन है।

-पंजाब के बारे में स्पष्ट आकलन करना बहुत मुश्किल है। वहां पंचकोणीय चुनाव हो रहा है। लेकिन मैं यह कह सकता हूं कि कैप्टन अमरिंदर सिंह और ढींढसाजी के गठबंधन से भाजपा अपने पुराने आधार से आगे बढ़ रही है।

-लेकिन अगर वहां किसी को बहुमत नहीं मिलता है तो क्या?

-मैं नकारात्मक क्यों सोचूं। मैं तो सोच रहा हूं कि हमारे गठबंधन को जनता का भरपूर समर्थन मिल रहा है। और लोकतंत्र में जनता को कई मुद्दों पर सोचना पड़ता है जिनमें से एक अहम मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा है। मुझे वहां की जनता पर भरोसा है।

-अकाली दल के साथ लंबा रिश्ता रहा है भाजपा का। क्या चुनाव बाद की स्थिति में फिर से रिश्ते में सुधार की गुंजाइश हो सकती है?

-देखिए अभी तो हमारा गठबंधन है। सकारात्मक है और संभावनाएं प्रबल हैं। भविष्य में क्या होगा इस पर अभी से क्यों सोचें।

- कैप्टन साहब से आपका तालमेल चुनाव तक है या लंबा सोच है।

-भाजपा किसी भी दल से गठबंधन करती है तो स्थायी भाव से करती है। कई ऐसे उदाहरण हैं जहां पूर्ण बहुमत के बावजूद हमारे साथ मंत्री बने। केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश भी इसमें शामिल है।

-सामान्य तौर पर भाजपा अपना मुख्यमंत्री बहुत तेजी से नहीं बदलती है। लेकिन उत्तराखंड में कई एक्सपेरीमेंट हुए, लगातार मुख्यमंत्री बदले गए। नए मुख्यमंत्री को केवल सात महीने ही हुए हैं, वहां भाजपा की क्या स्थिति है?

-मुख्यमंत्री बदले हैं, लेकिन हमारी नीतियां तो वही रही हैं। उत्तराखंड में भी गरीब कल्याण, वहां के इन्फ्रास्ट्रक्चर की बात। आज आप केदारनाथ देखकर आइए, बद्रीनाथ के पुनर्निर्माण की योजना भी तैयार हो गई है। चार धाम का आलवेदर रोड बन रहा है। उत्तराखंड में बिजली की परिस्थिति बहुत सुधरी है। पांच साल में उत्तराखंड में हमारी सरकार पर एक भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है। हमारी सरकार स्थिरता के साथ चली है। मैं मानता हूं कि जिस ढंग से आलवेदर रोड बना है, वह उत्तराखंड के पलायन की समस्या का भी समाधान है। इस देवभूमि को सरकार ने बहुत सारी चीजें दी हैं। दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करने वाले केंद्र वहां हैं। लेकिन उन तक पहुंचने का इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं था वहां। सबसे बड़ी बात है कि हमने जो वन रैंक वन पेंशन किया है, उत्तराखंड में हर दूसरा घर इसका बेनिफिशियरी है। 40 साल से वन रैंक वन पेंशन का डिमांड था, भाजपा ने इसे पूरा किया।

-अगर केंद्र सरकार की बात की जाए तो नक्सली सिमट गए हैं, लेकिन आपकी ओर से पिछले दिनों में अर्बन नक्सल की बात हो रही है। यह बात भी आई कि सरकार से पूछा गया कि अर्बन नक्सल कौन हैं तो वह नहीं बताया गया?

देखिए, हमारी एजेंसियां बहुत मुस्तैदी के साथ नक्सली और अर्बन नक्सल दोनों को नियंत्रित कर रही है। 1980 के बाद पहली बार नक्सली घटनाओं की संख्या बहुत नीचे आई है। कई नक्सली मारे भी गए हैं। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। हमारे जवानों ने बहुत अच्छे से यह लड़ाई लड़ी है। कांग्रेस को प्रधानमंत्री ने अर्बन नक्सल करार दे दिया। कांग्रेस तो पहले से सिमट गई है फिर यह निशाना क्यों? प्रधानमंत्री जी ने सच्चाई बताई है और संसद में बताई है।

- अगर जम्मू-कश्मीर की बात की जाए तो वहां परिसीमन भी आखिरी दौर में है। हिंसक घटनाएं भी कम हो गई हैं तो क्या इस साल चुनाव हो सकते हैं?

मैंने तो कहा ही है कि परिसीमन होने के बाद जितनी जल्दी हो सके चुनाव करवाए जाएं। लेकिन मांग तो यह है कि उससे पहले पूर्ण राज्य का दर्जा मिले। उनकी मांग जो भी हो, बहुत स्पष्टता से कहा गया है कि पहले परिसीमन होगा, फिर चुनाव और फिर सही समय पर पूर्ण राज्य का दर्जा।

पिछले दिनों में ड्रग स्मगलिंग की घटनाएं सामने आई हैं। कश्मीर हो या पंजाब या फिर गुजरात के पोर्ट पर बड़ी मात्रा में ड्रग। यह रुक क्यों नहीं रहा?

रुक नहीं रहा है, यह आपका आकलन है। सच्चाई यह है कि पकड़ा जा रहा है। इसीलिए आपको दिख रहा है। हमारी एजेंसी पकड़ भी रही है और उसके नेटवर्क को ध्वस्त भी किया जा रहा है। मैं आपको बताऊं कि आजादी के बाद से अब तक पिछले दो साल में सबसे ज्यादा कार्रवाई हो रही है। अपराधियों को जेल में डाला जा रहा है। सफल अभियान चल रहा है।

सीएए को कानून बने हुए दो साल हो गए। इस पर आगे बढ़ने का कोई रोडमैप तैयार है क्या?

-देखिये, सीएए एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें बहुत बड़ी संख्या में लोग शामिल होंगे। इसीलिए जनगणना और सीएए, दोनों का सीधा संबंध कोरोना के साथ है। कोरोना जब तक पूर्ण रूप से समाप्त नहीं होता या उस पर कंट्रोल नहीं पाया जा सकता तब तक ये दोनों चीजें करना जनता के हित में नहीं है। जहां संवैधानिक बाध्यता हो, वहां तो ठीक है क्या कर सकते हैं। मगर ये दोनों काम तभी हो सकते हैं, जब कोरोना पर कंट्रोल पाया जा सके।

-आप जबसे गृहमंत्री बने हैं, पूर्वोत्तर भारत के तमाम उग्रवादी संगठन हथियार डालकर मुख्यधारा से जुड़ते गए हैं, लेकिन नगा समस्या का अभी तक हल नहीं निकल सका है। जबकि फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर छह साल पहले ही सहमति बन चुकी है। इसमें क्या दिक्कत आ रही है?

नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद पूर्वोत्तर भारत में शांति और विकास दोनों प्रक्रिया समान रूप से चली है। सबसे बड़ा काम कनेक्टिविटी का हुआ। भ्रष्टाचार के बिना सारी योजनाओं को नीचे जनता तक पहुंचाने का काम किया गया। पिछले दो-ढाई साल में शांति के लिए काफी काम हुआ है। एक के बाद एक उग्रवादी संगठनों के साथ समझौते हो रहे हैं। पांच हजार से अधिक उग्रवादी अभी तक हथियार डाल चुके हैं। पूर्वोत्तर में एक विश्वास का वातावरण बना है कि मोदी सरकार जो कहती है, वह करती है। बोडोलैंड और ब्रू के साथ किए गए लगभग सारे वायदे पूरे हो चुके हैं।

असम के साथ सीमा विवाद में भी सभी राज्यों के साथ बातचीत हो रही है और भरोसा है कि एक-डेढ़ साल में हम इससे भी मुक्ति पा लेंगे। जहां तक नगा समस्या का सवाल इसके समाधान के लिए एक बेस बनकर तैयार है। इसके आधार पर हमारी उनके साथ चर्चा चालू है। पूरे क्षेत्र में एक शांति और विकास का वातावरण बनता है, तो उसका असर हर संगठन पर पड़ता है। नगाओं का भी भरोसा बढ़ा है। मुझे पूरा भरोसा है कि यह डेडलाक भी खत्म होगा, नगा समझौता भी हो जाएगा।

डी कंपनी के खिलाफ एनआइए ने नई एफआइआर दर्ज की है। उसकी गतिविधियों की जांच के लिए। इसकी क्या जरूरत पड़ गई?

ये तो एनआइए को पूछना पड़ेगा। जहां तक गृहमंत्रालय का एनआइए को मैंडेट का सवाल है। कहीं पर भी देशविरोधी गतिविधि कोई भी करता हो, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी होगी। उनको ढूंढ़ना, उसकी मेरिट में जाना, सीआरपीसी के दायरे में लेकर उसकी एनालाइसिस करना एनआइए का प्रोफेशनल काम है, वह अच्छे से कर रहे हैं। मैं मानता हूं कि यदि एफआइआर का मैटेरियल बनता है तो जरूर करना चाहिए।

इंटरव्‍यू का पहला अंश: योगी आदित्‍यनाथ ने पीएम मोदी की योजनाओं को शत-प्रतिशत धरातल पर उतारा और यूपी में माफिया राज खत्म किया


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.