अमित शाह ने कहा-लुटियन जोन में बैठकर किसानों की समस्याओं को समझना आसान नहीं
अमित शाह ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र की भागीदारी 30 फीसद तक ले जानी होगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कृषि क्षेत्र की विकास दर को रफ्तार पकड़ानी होगी। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र की भागीदारी 30 फीसद तक ले जानी होगी। कृषि क्षेत्र की विकास दर के तेज होने के बाद हमारी अर्थव्यवस्था नई ऊंचाइयों को छूने लगेगी। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिशा में पहल करते हुए किसानों की आमदनी को दोगुना करने का लक्ष्य तय कर दिया है।
सेमिनार के आयोजन पर टिप्पणी करते हुए शाह ने कहा कि लुटियंस जोन में बैठकर किसानों को समझना आसान नहीं होगा। इस तरह के सेमिनार को दिल्ली से उठाकर जिला स्तर तक ले जाने की जरूरत है।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना होने के साथ ही देश आर्थिक मोरचे पर मजबूत हो जाएगा। कृषि, खनन, मजदूरी और बौद्धिक संपदा के भरोसे देख की वित्तीय सेहत में सुधार संभव है। जलवायु परिवर्तन से मानसून का मिजाज गड़बड़ा गया है, जिससे अनियमित बाढ़ और सूखे की स्थिति पैदा हो गई है।
शाह ने कहा कि देश की दो तिहाई खेती आज भी मानसून पर निर्भर है। तभी तो अच्छे मानसून के अनुमान भर से शेयर बाजार कुलांचे भरने लगता है। सभी को कृषि क्षेत्र की ताकत का एहसास है। प्राकृतिक आपदा खेती के लिए यह बड़ा संकट है, जिससे निपटने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बेहद कारगर साबित हो रही है। शाह शनिवार को 'खेती की अर्थव्यवस्था में बीमा की भूमिका' विषय पर आयोजित एक सेमिनार में बोल रहे थे।
खेती को जोखिम से बचाने की जरूरत है, जिसके लिए 2015 में शुरु की गई फसल बीमा योजना किसानों के बीच लोकप्रिय हुई है। उन्होंने चुटकी लेने के अंदाज में कहा कि पिछली सरकार में भी बीमा योजना थी, लेकिन उसमें फसलों का बीमा करने के बजाय बैंकों से लिए कृषि ऋण का बीमा किया जाता था। अब जरूरत गैर-कृषि ऋण लेने वाले किसानों को इसके लिए तैयार करने की है।
शाह ने कहा कि देश के कृषि क्षेत्र को उसकी जरूरतों के हिसाब से मदद नहीं की गई। 60 फीसद आबादी का बोझ ढोने वाली खेती की जीडीपी में हिस्सेदारी केवल 15 फीसद है। एक तिहाई खेती ही सिंचित है, जो उसका दुर्भाग्य है। क्राप पैटर्न में बदलाव के बारे में कभी विचार ही नहीं किया गया। सिंचाई के क्षेत्र में पश्चिमी राज्यों में अच्छे प्रयोग किये गये। गुजरात में 46 फीसद खेती के पैटर्न में परिवर्तन कर लिया गया है, जो एक बड़ी उपलब्धि है।
फसल बीमा की कवरेज को लेकर शाह का अनुमान है कि अगले साल तक देश के 40 फीसद किसान इसे अपना लेंगे। इसमें कुछ सुधार की जरूरत है। उन्होंने माना कि देश के 70 फीसद किसानों तक इसकी कवरेज हो जाए तो इसे सफल माना जा सकता है। इसमें गैर ऋणी किसानों को शामिल करने के बाद ही इसे सफल कहा जा सकता है।