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भारत में वियतनाम के उच्चायुक्त बोले- दक्षिणी चीन सागर में स्थिति गंभीर, चीनी पोत अभी मौजूद

भारत में वियतनाम के उच्चायुक्त ने कहा कि दक्षिणी चीन सागर में स्थिति काफी गंभीर है। चीनी पोत अभी भी वियतनामी जल में है।

By TaniskEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 01:58 PM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 02:13 PM (IST)
भारत में वियतनाम के उच्चायुक्त बोले-  दक्षिणी चीन सागर में स्थिति गंभीर, चीनी पोत अभी मौजूद
भारत में वियतनाम के उच्चायुक्त बोले- दक्षिणी चीन सागर में स्थिति गंभीर, चीनी पोत अभी मौजूद

नई दिल्ली, एएनआइ। भारत में वियतनाम के उच्चायुक्त फाम सं छौ ने कहा कि दक्षिणी चीन सागर में स्थिति काफी गंभीर है। चीनी पोत अभी भी वियतनामी जल में है। हमने चीनी पक्ष से अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करने और वियतनामी जल से अपने सभी जहाजों को वापस लेने के लिए बार-बार कहा है। लेकिन वे इस बात को नहीं मान रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि भारत ने दक्षिण चीन सागर में इस स्थिति पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। भारत ने इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता में रुचि दिखाई है और भारतीय पक्ष इस संबंध में काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर का मुद्दा भारत के साथ आगामी वार्षिक सुरक्षा वार्ता में जरूर उठाया जाएगा। उन्होंने इसे लेकर कहा, ' मुझे लगता है कि सुरक्षा संवाद के नए तंत्र से दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत होंगे और इसमें वियतनाम और भारत की सुरक्षा से जुड़े प्रश्न शामिल होंगे।'

किसी भी देश के योगदान का स्वागत

वियतनाम के भारत के राजदूत ने यह पूछे जाने पर कि क्या वियतनाम, चीनी राष्ट्रपति की भारत की आगामी यात्रा के दौरान भारत से दक्षिण चीन के समुद्री मुद्दे को उठाने की अपेक्षा करता है? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, 'हम सभी देशों को अंदर और बाहर के क्षेत्र में शांति और सुरक्षा में योगदान करने के लिए कहते हैं। हम किसी भी देश द्वारा किए गए योगदान का स्वागत करते हैं।' बता दें कि भारत और वियतनाम के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी है। दोनों देशों के बीच इसी महीने ची मिन्ह सिटी में वार्षिक बैठक का आयोजन होना है।

ये मुद्दे हैं प्राथमिक

बता दें कि भारत ने अगस्त में कहा था कि उसकी इस  क्षेत्र के शांति और स्थिरता में दिलचस्पी है और उसने इस दौरान अंतरर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन करने की भी बात कही। इसमें समें समुद्र के कानून के लिए संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन भी शामिल है। उन्होंने भारत के साथ अपने संबंधों में रक्षा और सुरक्षा सहयोग, व्यापार और निवेश और विज्ञान और प्रौद्योगिकी को दोनों देशों के बीच प्राथमिक मुद्दा बताया।

यह भी पढ़ें: Indo Pacific Maritime Route: समुद्री सुरक्षा के लिए भारत-रुस के इस योजना से चीन को मिलेगी चुनौती


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