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आलोक वर्मा की वापसी की धुंधली हुई उम्मीद, सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के नहीं मिले संकेत

सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर सुनवाई की तारीख आगे बढ़ने के बाद सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा की वापसी की उम्मीदें धुंधली हो गई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 29 Nov 2018 07:27 PM (IST)Updated: Fri, 30 Nov 2018 12:45 AM (IST)
आलोक वर्मा की वापसी की धुंधली हुई उम्मीद, सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के नहीं मिले संकेत
आलोक वर्मा की वापसी की धुंधली हुई उम्मीद, सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के नहीं मिले संकेत

 नई दिल्ली, नीलू रंजन। सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर सुनवाई की तारीख आगे बढ़ने के बाद वर्मा की वापसी की उम्मीदें धुंधली हो गई हैं। अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है, जिससे वर्मा को राहत मिलने के आसार नजर आते हों। उलटे गुरुवार को सुनवाई के दौरान इस मामले के लंबा खिंचने के संकेत जरूर मिले।

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मामला लंबा खिंचने से वर्मा के दो साल के सुनिश्चित कार्यकाल में बचा हुआ समय लगातार कम होता जा रहा है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने अभी सीवीसी की रिपोर्ट पढ़ जरूर ली है, लेकिन कोई मन नहीं बनाया है। आलोक वर्मा पहले ही सीवीसी रिपोर्ट पर जवाब पेश कर चुके हैं।

गुरुवार को सरकार की ओर से पेश हुए अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सीवीसी की रिपोर्ट में जिन तीन-चार बिंदुओं पर वर्मा के खिलाफ आगे जांच की जरूरत बताई गई है, उनकी जांच भी कराई जा सकती है और अदालत किसी नतीजे पर पहुंचने के पहले उसपर भी विचार कर सकता है। जाहिर है कि इन सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने में लंबा वक्त लग सकता है। जबकि आलोक वर्मा का कार्यकाल 31 जनवरी तक ही सीमित है।

सीबीआइ के कुछ अधिकारियों का मानना है कि सतीश बाबू सना के आरोपों की गहराई से जांच के बिना शीर्ष अदालत के लिए आलोक वर्मा को क्लीन चिट देकर निदेशक का पदभार सौंपना आसान नहीं होगा। यदि सुप्रीम कोर्ट आरोपों की जांच का आदेश देता है तो वर्मा के 31 जनवरी तक बाकी कार्यकाल के लिए वापसी संभव नहीं होगी।

सतीश बाबू सना ने सीबीआइ को सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दिए बयान में तेदेपा के एक सांसद के मार्फत आलोक वर्मा से मदद मिलने का दावा किया था। सीबीआइ के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने आलोक वर्मा पर सतीश सना से दो करोड़ रुपये की रिश्वत लेने की कैबिनेट से शिकायत की थी।

वहीं इसी सतीश बाबू सना ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान में राकेश अस्थाना को 2.90 करोड़ रुपये रिश्वत देने का दावा किया था। इसी बयान के आधार पर राकेश अस्थाना के खिलाफ एफआइआर दर्ज की गई थी।

23 अक्टूबर की रात को वर्मा को पदभार से मुक्त कर छुट्टी पर भेज दिया गया था। इसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। उस समय उम्मीद की जा रही थी कि सुप्रीम कोर्ट आलोक वर्मा को तत्काल निदेशक का पदभार देने का फैसला सुना देगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पहले तो इस पर सीवीसी की जांच बैठा दी गई। बाद में उस जांच रिपोर्ट पर आलोक वर्मा से जवाब मांगा गया। अब पांच दिसंबर को इसकी सुनवाई होगी।


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