Move to Jagran APP

EXCLUSIVE: वर्मा पर रिश्वतखोरी का एक और आरोप- जांच रोकने को लिए 36 करोड़ रुपये

ऐसे में सीबीआइ का कोर्ट से बार बार जांच पूरी करने के लिए समय मांगना संदेह में आता है। किसानों के वकील के इस खुलासे को कोर्ट ने गंभीर बताते हुए कहा कि वह इस तरह किसी को नहीं छोड़ेंगे।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Fri, 30 Nov 2018 10:47 PM (IST)Updated: Sat, 01 Dec 2018 10:47 AM (IST)
EXCLUSIVE: वर्मा पर रिश्वतखोरी का एक और आरोप- जांच रोकने को लिए 36 करोड़ रुपये
EXCLUSIVE: वर्मा पर रिश्वतखोरी का एक और आरोप- जांच रोकने को लिए 36 करोड़ रुपये

माला दीक्षित, नई दिल्ली। कार्यभार से मुक्त किए गए सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। वह 36 करोड़ की रिश्वत के एक और मामले में घिर सकते हैं। शुक्रवार को हरियाणा में भूमि अधिग्रहण के एक मामले में किसानों के वकील जसबीर सिंह मलिक ने सुप्रीम कोर्ट में सीबीआइ के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाली कैबिनेट सचिव से की गई शिकायत का हवाला देकर कहा कि उसमें सीबीआइ निदेशक को 36 करोड़ रुपये जांच बंद करने के लिए देने के आरोप लगाए गए हैं।

prime article banner

ऐसे में सीबीआइ का कोर्ट से बार बार जांच पूरी करने के लिए समय मांगना संदेह में आता है। किसानों के वकील के इस खुलासे को कोर्ट ने गंभीर बताते हुए कहा कि वह इस तरह किसी को नहीं छोड़ेंगे। कोर्ट ने वकील को संबंधित दस्तावेज दाखिल करने का आदेश देते हुए जनवरी के दूसरे सप्ताह में फिर सुनवाई पर लगाए जाने का आदेश दिया।

यह मामला गुरूग्राम में रिहायशी और व्यवसायिक विकास के लिए 2009-2010 में अधिग्रहित की गई 1400 एकड़ जमीन में से हरियाणा सरकार द्वारा बाद में 1313 एकड़ जमीन छोड़े जाने का है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष नवंबर में अधिग्रहित जमीन छोड़े जाने के मामले की सीबीआइ जांच के आदेश दिये थे ताकि यह पता चल सके कि जमीन छोड़ने के पीछे पैसे के लेनदेन या बिल्डरों से सांठगांठ तो नहीं थी। कोर्ट ने सीबीआइ को जांच करके छह महीने में रिपोर्ट देने को कहा था।

शुक्रवार को मामला न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने सुनवाई पर लगा था। सीबीआइ की ओर से जांच पूरी करने के लिए आखिरी मौका मांगते हुए कुछ और समय देने की गुहार लगाई गई। तभी भूस्वामी किसानों की ओर से पेश वकील जसबीर सिंह मलिक ने सीबीआइ की मांग पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सीबीआइ पहले भी जांच पूरी करने के लिए अतिरिक्त समय मांग चुकी है। समय मांगने के पीछे सीबीआइ की मंशा ठीक नहीं है। उन्होंने अपनी आपत्ति का कारण बताते हुए कहा कि सीबीआइ के विशेष निदेशक (राकेश अस्थाना का नाम लिये बगैर) ने गत 24 अगस्त 2018 को कैबिनेट सचिव को चिट्ठी लिखी है जिसमें आरोप लगाया गया है कि हरियाणा कैडर के आइएएस अधिकारी ने सीबीआइ निदेशक को 36 करोड़ रुपये जांच बंद करने के लिए दिए हैं।

जसबीर सिंह मलिक ने कहा कि उनके पास इससे संबंधित पत्राचार है। हरियाणा सरकार के वकील ने भी जसबीर मलिक की बात का समर्थन किया। इस खुलासे पर कोर्ट ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है। वह किसी को इस तरह नहीं छोडे़ंगे। कोर्ट ने मलिक को संबंधित दस्तावेज दाखिल करने का निर्देश दिया और सुनवाई जनवरी तक के लिए टाल दी।

क्या है मामला
मामला गुड़गांव के 58 से 67 सेक्टर के बीच पड़ने वाले आठ गांव बादशाहपुर, बेहरामपुर, नागली उमारपुरा, तिगरा, उल्लावास, खादरपुर, घाटा और मडवास की 1400 एकड़ जमीन का है। हरियाणा सरकार ने रिहायशी और व्यवसायिक विकास के लिए 2009 में इन गावों की 1400 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की धारा 4 की अधिसूचना निकाली। लेकिन 2010 में सिर्फ 800 एकड़ जमीन के लिए ही धारा 6 की अधिसूचना जारी हुई बाकी जमीन छोड़ दी गई। इसके बाद मई 2012 में अवार्ड सिर्फ 87 एकड़ जमीन का ही हुआ बाकी सारी जमीन छोड़ दी गई। इस पर जिन लोगों की जमीन अंतत: अधिग्रहित कर अवार्ड जारी किया गया उनमें से छह लोगों ने अधिग्रहण को हाईकोर्ट में चुनौती दी और हाईकोर्ट ने अधिग्रहण रद कर दिया था। जिसके खिलाफ हरियाणा सरकार सुप्रीम कोर्ट आयी थी।

सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई के दौरान दौरान किसानों के वकील जसबीर सिंह मलिक ने आरोप लगाया था कि जिन लोगों ने बिल्डरों को जमीन दे दी है उनकी जमीनें अधिग्रहण से छोड़ दी गई हैं और याचिकाकर्ताओं ने बिल्डरों को जमीन नहीं दी थी इसलिए उनकी जमीन अधिग्रहित कर ली गई। कहा कि सरकार की बिल्डरों के साथ मिली भगत है। हालांकि सरकार ने आरोपों का खंडन किया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पूरा मामला देखने से लगता है कि सरकार ने शक्तियों का दुरुपयोग किया है। सरकार ने बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रावधानों का बेजा इस्तेमाल किया है। मामले की सीबीआइ जांच होनी चाहिए ताकि पता चल सके कि जो जमीन छोड़ी गई उसमें पैसे का लेनदेन तो नहीं हुआ। कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी और सरकार की अपील खारिज कर दी थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.