NPR के विरोध पर अलग-थलग पड़ा बंगाल, कल बैठक में हिस्सा लेंगे बाकी राज्य
एनपीआर (National Population Register) के लिए गृह मंत्रालय की ओर से बुलाई गई बैठक में शामिल होने के लिए बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों ने सहमति दे दी है।
नई दिल्ली, नीलू रंजन। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के विरोध को लेकर बंगाल अलग-थलग पड़ गया है। जनगणना और एनपीआर के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से बुलाई गई बैठक में शामिल होने के लिए बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों ने सहमति दे दी है। बैठक में सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और जनगणना निदेशकों को बुलाया गया है। इसमें केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय मौजूद होंगे।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि शुक्रवार को बैठक के दौरान जनगणना के पहले चरण में मकानों की गणना और इसके साथ-साथ एनपीआर के लिए आंकड़े जुटाने के तौर तरीकों के बारे में चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि बंगाल को छोड़कर अन्य सभी राज्यों ने बताया है कि उनके अधिकारी बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली आ रहे हैं। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सार्वजनिक तौर पर इस बैठक में अपने अधिकारियों को नहीं भेजने की घोषणा कर दी है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार बैठक में सभी राज्यों में जनगणना और एनपीआर के आंकड़े जुटाने के लिए समय निर्धारित करने की कोशिश की जाएगी। दरअसल, इसके लिए एक अप्रैल से 30 सितंबर तक का समय है, लेकिन हकीकत में किसी राज्य में सभी आंकड़े जुटाने में 40-45 दिन का समय लगता है। सभी राज्य अपनी-अपनी सुविधानुसार एक अप्रैल से 30 सितंबर के बीच कोई भी 40-45 दिन का समय आंकड़े जुटाने के लिए तय कर सकते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कुछ राज्यों ने इसे तय करके सूचित भी कर दिया है। बाकी बचे राज्यों को भी इसे तय करने को कहा जाएगा।
केंद्र सरकार की ओर से सभी राज्यों को एक बार फिर साफ कर दिया जाएगा कि आंकड़े लेते समय किसी पर भी कोई दस्तावेज दिखाने का दबाव नहीं डाला जाना चाहिए। यही नहीं, जनगणना कर्मी लोगों को यह भी समझाने की कोशिश करें कि एनपीआर के तहत दिए गए आंकड़े किस तरह उनके लिए लाभकारी हो सकते हैं और इससे उन्हें सरकार की लाभकारी योजनाओं का फायदा मिल सकता है। इससे लोग खुद ही सही जानकारी देने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
मालूम हो कि एनपीआर और जनगणना के लिए फंड की मंजूरी देते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट बैठक में ही यह साफ कर दिया गया था कि इस बार एनपीआर के दौरान कोई बायोमेट्रिक नहीं ली जाएगी और न ही कोई दस्तावेज मांगा जाएगा। जबकि 2010 में हुए एनपीआर के दौरान लोगों का बायोमेट्रिक भी लिया गया था और दस्तावेज भी मांगे गए थे।