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सभी दल एक साथ चुनाव पर विचार करें : उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सभी राजनीतिक दलों से लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के विकल्प पर विचार करने और सहमति बनाने की अपील की।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 08:39 AM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 08:39 AM (IST)
सभी दल एक साथ चुनाव पर विचार करें : उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू
सभी दल एक साथ चुनाव पर विचार करें : उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू

हैदराबाद, प्रेट्र। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सभी राजनीतिक दलों से लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के विकल्प पर विचार करने और सहमति बनाने की अपील की। उपराष्ट्रपति ने यहां एक सम्मेलन में कहा, 'मैं राजनीतिक पार्टियों से आह्वान करता हूं कि वे गंभीरता से एक साथ चुनाव कराने के विकल्प पर विचार करें और आम सहमति बनाएं।'

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इस सम्मेलन का आयोजन इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में किया गया है। उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से निर्वाचन आयोग को चुनाव कराने में खर्च होने वाली राशि में कमी लाने में मदद मिलेगी और इससे लोगों एवं दलों का लगातार ध्यान भटकाने से रोका जा सकेगा। नायडू ने कहा, 'सरकारी अधिकारियों की भी जिम्मेदारी होती है जो शासन की सेवाएं मुहैया कराने की मूल जिम्मेदारी और लगातार चुनाव की वजह से वितरण प्रणाली में सुधार से इतर है।'

राजनीतिक पार्टियों द्वारा वित्तीय स्थिति का आकलन किए बिना लोकलुभावन वादे करने पर चिंता जताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इससे निपटने के लिए एफआरबीएम (FRBM) अधिनियम जैसे कानून बनाए जा सकते हैं. हम यह कानून बना सकते हैं कि कोई भी वादा करने से पहले पर्याप्त राशि हो. क्या हम एफआरबीएम (वित्तीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन) जैसे कानून बनाने पर विचार कर सकते हैं? क्या हम ऐसा राज्यों के लिए कुछ कर सकते हैं?'

उन्‍होंने इस संदर्भ में मौजूदा लोकसभा के 475 सांसदों की जांच में पायी गयी करोड़ों रूपए की संपत्ति का जिक्र करते हुए कहा कि यह 533 सांसदों की कुल संपत्ति का 88 प्रतिशत है। नायडू ने कहा, “ देश की लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था में राजनीतिक की दो भयावह विकृतियों का समाधान राजनीतिक व्‍यवस्‍था द्वारा तत्‍काल किए जाने की जरूरत है।

इसमें पहला चुनाव और राजनीति में बेहिसाब पैसे की ताकत का दुरुपयोग है जो अक्‍सर अवैध और गैर कानूनी होता है, और दूसरा बुनियादी सुविधाओं, बुनियादी ढांचे, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल, विकास और नौकरी के अवसरों को सुनिश्चित करने के दीर्घकालिक लक्ष्यों का प्रचार कर अल्पकालिक लाभ पाने के लिए सरकारों द्वारा मतदाताओं को लुभाने की बढ़ती कोशिश है।’


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