कॉमन सिविल कोड अगले दस साल तक संभव नहींः एआइएमपीएलबी
विधि आयोग के मुताबिक अगले दस सालों तक यूनिफॉर्म सिविल कोड भारत में लागू नहीं किया जा सकता।
नई दिल्ली [प्रेट्र]। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआइएमपीएलबी) ने कहा है कि विधि आयोग के प्रमुख ने उन्हें बताया है कि यूनिफार्म सिविल कोड (यूसीसी) को भारत में अगले दस साल तक लागू नहीं किया जा सकेगा।
मुसलमानों से जुड़े फैसले लेने वाले सर्वोच्च निकाय एआइएमपीएलबी के एक प्रतिनिधिदल ने मंगलवार को विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस (सेवानिवृत्त) बीएस चौहान से मुलाकात की। साथ ही उनसे यूनिफार्म सिविल कोड के खिलाफ अपना कड़ा विरोध जताया।
बैठक के बाद बोर्ड के सदस्यों ने बताया कि उन्होंने चौहान को यह भी स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें मुस्लिम पर्सनल लॉ में कोई भी बदलाव मंजूर नहीं है। चूंकि यूसीसी दिव्य है और धार्मिक तथ्यों पर आधारित है।
उल्लेखनीय है कि यूनिफार्म सिविल कोड को लागू करना भाजपा के प्रमुख एजेंडों में से एक है। विधि आयोग इस संबंध में सभी राजनीतिक दलों की राय ले रहा है। यूसीसी के तहत विभिन्न धर्मो के पर्सनल कानूनों को हटाकर उनके साथ पर ऐसे साझा कानूनी नियमों का पालन किया जाए जो सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू हों।
एआइएमपीएलबी के उपाध्यक्ष सैयद जलालुद्दीन उमरी ने कहा है कि अच्छी बात यह है कि चौहान ने कहा कि भारत में कॉमन सिविल कोड लागू होने की कोई संभावना कम से कम दस साल तक नहीं है। कम से कम दस सालों के लिए किसी भी सरकार को यह मुद्दा नहीं उठाना चाहिए। पर हमने कहा कि ना सिर्फ अगले दस साल बल्कि इसको कभी भी लागू नहीं किया जाना चाहिए।
एक साथ तीन तलाक पर एआइएमपीएलबी के सचिव फजर्लुरहमान मुज्जादीदी ने कहा कि तीन तलाक नासिर्फ महिलाओं के खिलाफ है बल्कि यह वैवाहिक जीवन में बंधे दंपतियों के खिलाफ भी है।