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ओमिक्रोन की तेज रफ्तार को देखते हुए आल इंडिया बार एसोसिएशन ने निर्वाचन आयोग से लगाई यह गुहार

कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट के तेज संक्रमण को देखते हुए आल इंडिया बार एसोसिएशन ने निर्वाचन आयोग को एक ज्ञापन भेजकर गोवा मणिपुर पंजाब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनावों को स्थगित करने का अनुरोध किया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 02 Jan 2022 10:22 PM (IST)Updated: Sun, 02 Jan 2022 10:39 PM (IST)
ओमिक्रोन की तेज रफ्तार को देखते हुए आल इंडिया बार एसोसिएशन ने निर्वाचन आयोग से लगाई यह गुहार
आल इंडिया बार एसोसिएशन विधानसभा चुनावों को स्थगित करने का अनुरोध किया है।

नई दिल्‍ली, एएनआइ। कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट के तेज संक्रमण को देखते हुए आल इंडिया बार एसोसिएशन (All India Bar Association, AIBA) ने निर्वाचन आयोग को एक ज्ञापन भेजकर गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनावों को स्थगित करने का अनुरोध किया है। एआईबीए के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता डा. आदिश सी अग्रवाल ने कहा कि आजकल चुनावी रैलियों में बिना कोविड प्रोटोकाल का पालन किए बड़ी संख्या में लोग जमा हो रहे हैं। ऐसे में ओमिक्रोन के प्रकोप के थमने तक यदि इन राज्यों में चुनाव स्थगित नहीं किए जाते हैं तो केंद्र और राज्य सरकारों के महामारी की रोकथाम के तमाम प्रयासों के बावजूद देश में फिर लाखों लोग मारे जाएंगे। 

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आल इंडिया बार एसोसिएशन (All India Bar Association, AIBA) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि COVID-19 की दूसरी लहर भी चार राज्यों असम, केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल और एक केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में हुए चुनाव के दौरान लोगों की लापरवाही से फैल गई थी। निर्वाचन आयोग ने तब कोविड-19 के खतरे को नजरंदाज करते हुए चुनाव कराए थे।

अब पांच अन्य राज्यों गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसा तब हो रहा है जब ओमिक्रोन चरम पर पहुंच रहा है और कई राज्‍यों में स्वास्थ्य आपात स्थितियां लागू की जा रही हैं। विभिन्न देशों जैसे कि चीन, नीदरलैंड, जर्मनी आदि ने COVID-19 के बढ़ते मामलों के कारण आंशिक या पूर्ण लाकडाउन लागू कर दिया है। देश में एकबार फिर वही स्थिति विधानसभा चुनाव के लिए चुनावी प्रचार के कारण बन रही है। COVID-19 के मामले दिन-प्रतिदिन तेजी से बढ़ रहे हैं।

आल इंडिया बार एसोसिएशन ने आगे कहा है कि मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा का राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मिलने के बाद यह बयान देना कि विधानसभा चुनाव कराने में कोई देरी नहीं होगी... हैरान करता है। ऐसा लगता है कि चुनाव आयुक्त ने राजनीतिक दलों के हितों को सुनिश्चित करने के लिए निर्णय लिया है, न कि हम नागरिकों का। संविधान का अनुच्छेद-21 जीवन के अधिकार को अनिवार्य करता है। ऐसे में किसी भी संवैधानिक प्राधिकरण की ओर से इस सबसे मूल्यवान अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए।


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