कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बोले, सब्सिडी की बैसाखी पर कब तक खड़ा रहेगा किसान
केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए सरकार का जितना बड़ा निवेश खेती में है किसी दूसरे क्षेत्र में इतना निवेश नहीं है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कृषि क्षेत्र में निवेश और किसानों को लगातार दी जा रही सब्सिडी को लेकर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रगतिशील किसानों के बीच यह मुद्दा उछालते हुए पूछा, 'क्या बगैर सरकारी मदद के आप जैसे किसान अपने बूते खड़े नहीं हो सकते हैं।' किसानों की यह प्रवृत्ति बनती जा रही है कि सब्सिडी तो उन्हें मिलेगी ही। कृषि मंत्री तोमर सोमवार को यहां मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रगतिशील किसानों के एक सम्मेलन में बोल रहे थे।
तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए सरकार का जितना बड़ा निवेश खेती में है, किसी दूसरे क्षेत्र में इतना निवेश नहीं है। लेकिन इसका अपेक्षित नतीजा नहीं मिल पाता है। इतनी सब्सिडी के बावजूद उसका परिणाम खेती में नहीं दिख रहा है। विकास दर बढ़ाए नहीं बढ़ रही है। इन मुद्दों पर प्रगतिशील किसानों को गांव में अपने लोगों के बीच बैठकर विचार करने की जरूरत है।
खेती जीवनयापन का साधन
केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा 'देश के छोटे किसान के लिए तो खेती जीवनयापन का साधन है। लेकिन प्रगतिशील किसानों को एक बिना सब्सिडी वाली आत्मनिर्भर खेती का मॉडल पेश करना चाहिए।' तोमर के भाषण ने आयोजन में हिस्से ले रहे प्रगतिशील किसानों के होश उड़ा दिये। हालांकि तोमर ने तुरंत जोर देकर कहा कि कृषि क्षेत्र में निवेश और किसानों को दी जाने वाले सब्सिडी के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।
कृषि मंत्री तोमर ने किसानों से बातचीत करने के अंदाज में कहा 'खेती में इतना परिश्रम, फर्टिलाइजर, कीटनाशक, उत्पादन और किसान कर्मण पुरस्कार मिलने के बावजूद भी सरकार का सहयोग न हो तो खड़ा नहीं रह पाते।' फिर तो कुछ और करने की जरूरत है ताकि सरकार की मदद के बगैर खड़ा रह सकें।
फसल में सरकार और किसान दोनों का निवेश ज्यादा
उन्होंने वैज्ञानिकों के सुझाये कुछ उपाय बताये, जिनमें मत्स्य, पशुपालन व बागवानी प्रमुख है। कृषि की विकास दर में फसलों की खेती की हिस्सेदारी कितनी है और अन्य उद्यम का योगदान कितना है? फसल में सरकार और किसान दोनों का निवेश ज्यादा है। किसान अपना शौक फसलों की खेती से तो पूरा नहीं कर पायेगा, उसके लिए मत्स्य, पशुधन और बागवान पर ध्यान केंद्रित करना होगा। तभी उसकी आमदनी भी दोगुनी हो सकती है।
कृषि मंत्री तोमर ने प्रगतिशील किसानों से आग्रह किया कि वे कृषि दूत बनकर खेती को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के एक हाथ के साथ किसान के दूसरे हाथ का जुड़ना जरूरी है। इससे पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने कृषि ऋण देने में होने वाली दिक्कतों को दूर करने की जानकारी किसानों को दी।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डाक्टर त्रिलोचन महापात्र ने किसानों की आमदनी बढ़ाने की रणनीति का ब्यौरा दिया। उप महानिदेशक (प्रसार) डाक्टर अशोक सिंह ने सम्मेलन में पधारे सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए आयोजन के उद्देश्यों से सभी को परिचित कराया।
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