मध्य प्रदेश उपचुनाव में हार के बाद कांग्रेस में बढ़ा नई पीढ़ी को कमान सौंपने का दबाव
MP By Election 2020 उपचुनाव में भी सारे सूत्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के हाथ में थे। चुनाव अभियान समिति तक गठित नहीं की गई थी। इस सबसे मैदानी नेता व कार्यकर्ता उपेक्षित महसूस कर रहे थे।
वैभव श्रीधर, भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस में नई पीढ़ी को कमान सौंपने का दबाव बढ़ा है। चुनाव परिणाम के अगले ही दिन बुधवार को परिवर्तन के स्वर सुनाई दिए। प्रदेश में पार्टी के कामकाज और तौर-तरीकों पर भी सवाल उठे हैं। पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता नरेंद्र नाहटा ने स्पष्ट लहजे में कहा कि कांग्रेस के पास ना तो प्रतिबद्ध कार्यकर्ता हैं और ना ही संगठन। पूर्व मंत्री मुकेश नायक का कहना है कि सभी मोर्चा संगठनों की पुनर्सरचना कर पार्टी में नए चेहरों को आगे लाना होगा।
मध्य प्रदेश कांग्रेस में परिवर्तन की आवाज काफी समय से उठ रही थी, मगर हार के बाद यह तेज हो गई है। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद जब पार्टी की सरकार बनी थी, तब ना तो मैदानी नेताओं व कार्यकर्ताओं को सरकार में जगह दी गई और ना ही दायित्व। हालात इतने बुरे थे कि कार्यकर्ताओं की सुनवाई तक नहीं होती थी। इसे लेकर विधायक दल की बैठकों में भी नाराजगी के स्वर उठते थे। उपचुनाव में भी सारे सूत्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के हाथ में थे। चुनाव अभियान समिति तक गठित नहीं की गई थी। इस सबसे मैदानी नेता व कार्यकर्ता उपेक्षित महसूस कर रहे थे।
भाजपा का मुकाबला नहीं कर सकता हमारा संगठन
पूर्व मंत्री नाहटा का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस के पास वह संगठन ही नहीं है, जो भाजपा का मुकाबला कर सके। हम आज भी यही समझ रहे हैं कि 50-60 साल पहले जिस तरह चुनाव होते थे, उसी तरह लड़े जाएंगे। जबकि, ऐसा है नहीं। भाजपा ने तरीका बदल दिया है। हमने सोचा कि वे हिंदुओं की बात करते हैं और हम नहीं, इसलिए जनता बदल गई। यह बेकार की बात है। कमल नाथ पर तंज कसते हुए नाहटा ने कहा 'हम हनुमान चालीसा पढ़ने लग गए, लेकिन इसका कोई मतलब नहीं है।' उधर, नायक ने कहा कि मैदानी स्तर पर उत्प्रेरक समूह गठित करना पड़ेंगे, जो पार्टी के संदेश को निचले स्तर तक ले जाएं। युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक कुणाल चौधरी का कहना है कि युवा कांग्रेस में जल्द ही बड़े परिवर्तन किए जाएंगे।