Article 370 हटाने के बाद विश्व बिरादरी को साथ लेने के लिए टॉप गियर में भारत की कूटनीति
चार पड़ोसी देश भूटान श्रीलंका अफगानिस्तान और नेपाल ने कश्मीर मुद्दे पर भारतीय पक्ष का समर्थन किया है। मोदी व फ्रांस के राष्ट्रपति मैनुएल मैक्रा के बीच कश्मीर भी उठ सकता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जम्मू व कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद भारत की कूटनीति भी टॉप गियर में चल रही है। पीएम नरेंद्र मोदी एक साथ दो मुस्लिम देशों यूएई और बहरीन की यात्रा पर जा रहे हैं। मोदी संयुक्त राष्ट्र के स्थाई सदस्य व अहम रणनीतिक साझेदार फ्रांस की यात्रा पर भी जाएंगे जहां उनकी द्विपक्षीय वार्ता भी होगी और वहां होने वाली समूह-7 देशों की बैठक में दिग्गज देशों के राष्ट्र प्रमुखों से मिलने की सूरत भी बन रही है। दूसरी तरफ, विदेश मंत्री एस जयशंकर पड़ोसी देशों को साधने की कोशिश में बांग्लादेश पहुंच चुके हैं और उधर से ही वह मंगलवार (21 अगस्त) को नेपाल पहुंचेंगे।
मोदी की फ्रांस, यूएई और बहरीन की यात्रा
पीएम मोदी की फ्रांस, यूएई और बहरीन की यात्रा और विदेश मंत्री की पड़ोसी देशों की यात्रा के दौरान अलग अलग कई द्विपक्षीय एजेंडा होगा लेकिन जिस तरह से पड़ोसी कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की कोशिश में है उसे देखते हुए निश्चित तौर पर भारत अपने मित्र देशों के साथ उस पर भी स्थिति स्पष्ट करेगा।
मोदी व मैक्रा के बीच कश्मीर मुद्दा
मसलन, पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान द्विपक्षीय एजेंडे बहुतेरे हैं मसलन युद्धक विमान राफेल की आपूर्ति को लेकर बात होनी है, दूसरे रक्षा सौदों पर बात होनी है, जैतापुर आणविक ऊर्जा संयंत्र से जुड़े मुद्दे भी हैं, लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थाई सदस्य होने के नाते मोदी व फ्रांस के राष्ट्रपति मैनुएल मैक्रा के बीच कश्मीर भी उठ सकता है।
सनद रहे कि पिछले हफ्ते जब यूएनएससी के सदस्यों के बीच कश्मीर पर चर्चा हुई थी तब फ्रांस भारतीय पक्ष को रखने वाला सबसे अहम देश था। चीन आगे भी पाकिस्तान की शह पर कश्मीर को यूएनएससी में उठा सकता है, इस संभावना को देखते हुए भारत को फ्रांस के सतत सहयोग की दरकार होगी।
समूह-7 देशों की बैठक में मोदी विशेष अतिथि
पीएम मोदी फ्रांस में समूह-7 देशों की बैठक में विशेष अतिथि के तौर पर भी हिस्सा लेंगे। उसमें फ्रांस के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, इटली, कनाडा और जर्मनी के राष्ट्र प्रमुख होंगे। वैसे मोदी की इन देशों के प्रमुखों के साथ मुलाकात अभी तक तय नहीं है, लेकिन विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक कई अहम राष्ट्र प्रमुखों के साथ मुलाकात होने के आसार है।
इसी तरह से यूएई की यात्रा के दौरान ऊर्जा सहयोग और पीएम मोदी को मिलने वाले वहां के सबसे बड़े नागरिक सम्मान आर्डर ऑफ जायद का एजेंडा अहम होगा लेकिन इस तथ्य को नहीं भुलाया जा सकता कि यूएई और बहरीन इस्लामिक देशों के संगठन (ओआइसी) के महत्वपूर्ण सदस्य हैं।
पाक का ओआइसी पर दबाव
पाकिस्तान लगातार ओआइसी पर दबाव बना रहा है कि वह कश्मीर मुद्दे पर कोई बड़ा बयान दे या अलग से बैठक बुलाये। ऐसे में इन दोनों देशों की मदद की जरुरी होगी। यूएई वैसे ही पहले यह स्पष्ट कर चुका है कि कश्मीर से धारा 370 हटाना भारत का आतंरिक मामला है। सनद रहे कि कुछ महीने पहले ही ओआइसी के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत के तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को भी आमंत्रित किया गया था।
बहरहाल, यूएई की यात्रा के दौरान ऊर्जा संबंधों और द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ाने संबंधी अहम समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे। सचिव (आर्थिक संबंध) टी एस त्रिमूर्ति ने बताया कि पीएम मोदी बहरीन की यात्रा पर जाने वाले देश के पहले पीएम होंगे। यात्रा के दौरान यूएई व बहरीन के साथ भारत का वहां रूपे कार्ड के इस्तेमाल करने को लेकर भी समझौता होगा।
विदेश मंत्री की बांग्लादेश व नेपाल यात्रा
विदेश मंत्री जयशंकर की बांग्लादेश व नेपाल यात्रा को नई सरकार की तरफ से पड़ोसी देशों के साथ संपर्क साधने की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। कश्मीर में उपजे नए हालात के बाद पड़ोसी देशों को साथ ले कर चलना और जरुरी हो गया है।
जयशंकर 27 अगस्त को मास्को जाएंगे
जयशंकर के काठमांडू पहुंचने से पहले ही नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्वायाली ने कश्मीर पर महत्वपूर्ण बयान दिया कि यह विशुद्ध रूप से भारत व पाकिस्तान के बीच का मामला है। इस तरह से देखा जाए तो चार पड़ोसी देश भूटान, श्रीलंका, अफगानिस्तान और नेपाल ने कश्मीर मुद्दे पर भारतीय पक्ष का समर्थन कर चुके हैं। यह भी बताते चलें कि जयशंकर इन दोनों देशों की यात्रा के बाद अगले मंगलवार (27 अगस्त) को मास्को भी जाएंगे।
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