बड़ा खुलासा: मोदी राज में 80 फीसद कम हुआ स्विस बैंक में भारतीयों का 'कालाधन'
राज्यसभा में वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि 2014 में मोदी सरकार के गठन के बाद कालेधन पर लगाम लगाने के लिए सख्त कदम उठाए गए हैं, जिनका असर देखने को भी मिला है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कालेधन के मुद्दे को हवा देने में जुटी कांग्रेस को उलटा केंद्र सरकार ने घेर लिया है। स्विटजरलैंड से आधिकारिक जानकारी मंगाकर सरकार ने बताया कि 2016 के मुकाबले 2017 में स्विस बैंकों में भारतीयों की राशि (लोन या डिपॉजिट खाते) में 34.5 फीसद की कमी हुई है। जबकि 2013 से 2017 के बीच व्यक्तिगत या कारपोरेट खातों के जरिये स्विस बैंकों में रखी जाने वाली राशि या कर्ज में 80.2 फीसद की कमी हुई है।
मालूम हो कि पिछले महीने आई एक रिपोर्ट में स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) के हवाले से बताया गया था कि 2017 में स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा 50 फीसद बढ़ी है। इस रिपोर्ट के जरिये राहुल गांधी व विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की थी। विपक्ष राफेल और कालेधन को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश में जुटा है। उसी लिहाज से सरकार ने पलटवार की रणनीति तय की है।
सरकार के तेवर इस बात से समझे जा सकते हैं कि पहले कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने इस पर राज्यसभा में जवाब दिया, फिर संवाददाता सम्मेलन में जानकारी दी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्विटर हैंडल से स्विस बैंकों में रखे धन पर फैल रहे भ्रम को दूर करते हुए स्थिति स्पष्ट की गई। इसका सार यह है कि जब से राजग सरकार आई है तब से स्विस बैंकों में जमा भारतीयों की राशि में लगातार कमी हो रही है।
स्विस बैंकों में सारा पैसा कालाधन नहीं
पीयूष गोयल ने बताया कि स्विस प्रशासन की तरफ से स्विटजरलैंड के बैंकों में भारतीयों की जमा राशि का ब्योरा दिया गया है। उन्हें बताया गया कि भारतीय मीडिया में जो आंकड़े आ रहे हैं, वे सही स्थिति प्रदर्शित नहीं करते। स्विटजरलैंड में भारतीयों का रखा सारा पैसा कालाधन नहीं है। इसमें बताया गया है कि वहां के बैंकों में भारतीयों ने कितनी राशि रखी है इसे सामने लाने के लिए स्विस नेशनल बैंक ने बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट (बीआइएस) की मदद से आंकड़े सामने रखे हैं। इन्हीं आंकड़ों में उक्त कमी की बात उजागर हुई है।
विपक्ष दल जवाब से संतुष्ट नहीं
एक सवाल के जवाब में जब पीयूष गोयल ने राज्यसभा में उक्त जानकारी दी तो विपक्षी दल इससे संतुष्ट नहीं हुए। इस पर टीएमसी व कांग्रेस के सदस्यों ने जमकर हंगामा किया। इस वजह से सदन को स्थगित करना पड़ा। बाद में यही जानकारी गोयल ने संवाददाता सम्मेलन में दी। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने स्विस बैंकों में रखी राशि पर एक बेबुनियाद रिपोर्ट के आधार पर कुछ सवाल पूछे थे। अब उन्हें देश को जवाब देना चाहिए कि उन्होंने देश की छवि खराब करने की कोशिश क्यों की। तथ्यों को जाने बगैर उसे उछालने की उनकी पुरानी आदत है। अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भी उन्होंने कुछ ऐसी ही कोशिश की थी।'
मीडिया ने की थी गलत व्याख्या
दरअसल, वित्त मंत्री के जरिये सरकार ने कालेधन व स्विस बैंकों में छिपाए गए धन को वापस लाने के मुद्दे पर अपनी सफाई पुरजोर तरीके से रखी है। क्योंकि राज्यसभा में कालेधन के बारे में पूछे गए दो और सवालों के जवाब भी वित्त मंत्री की तरफ से बेहद विस्तार से दिए गए हैं। पीयूष गोयल ने कहा, उन्होंने स्विस अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर बात की तो उन्होंने लिखित जवाब में बताया कि मीडिया रिपोर्टो में एसएनबी के आंकड़ों की उस ढंग से व्याख्या नहीं की गई, जैसी की होनी चाहिए थी।
अगले साल से मिलेगी ज्यादा स्पष्ट जानकारी
पीयूष गोयल ने बताया कि स्विटजरलैंड सरकार के साथ दोहरे कराधान पर किए गए नए समझौते के मुताबिक 2019 से ज्यादा स्पष्ट जानकारी मिलने लगेगी। इस समझौते के मुताबिक एक जनवरी, 2018 के बाद वहां के बैंकों में भारतीयों ने कितनी राशि जमा कराई है इसकी पूरी जानकारी अगले वर्ष मिल जाएगी। यह सिलसिला आगे भी चलता रहेगा।