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शाह के गृहमंत्री बनने के बाद आतंकवाद, नक्सलवाद के खिलाफ 'zero-tolerance' पर आगे बढ़ेगी सरकार!

कश्मीर में पिछला पांच साल मोदी सरकार के लिए प्रयोगों का साल रहा। अलगाववादियों को अलग-थलग करने और बड़ी संख्या में आतंकियों को मार गिराने के बावजूद घाटी में चुनौती बरकरार है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Fri, 31 May 2019 09:27 PM (IST)Updated: Fri, 31 May 2019 09:27 PM (IST)
शाह के गृहमंत्री बनने के बाद आतंकवाद, नक्सलवाद के खिलाफ 'zero-tolerance' पर आगे बढ़ेगी सरकार!
शाह के गृहमंत्री बनने के बाद आतंकवाद, नक्सलवाद के खिलाफ 'zero-tolerance' पर आगे बढ़ेगी सरकार!

नई दिल्ली, नीलू रंजन। अमित शाह के गृहमंत्री बनने के बाद आतंकवाद, अलगाववाद, नक्सलवाद के खिलाफ मोदी सरकार की जीरो टालरेंस की नीति को नई धार मिल सकती है। पिछले पांच सालों में आतंकी व नक्सली हिंसा में काफी कमी आई है, लेकिन उन्हें पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सका है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दशकों पुरानी इन समस्याओं को जड़मूल से खत्म करने के लिए भाजपा की ऐतिहासिक जीत के रणनीतिकार अमित शाह पर भरोसा जताया है। यही नहीं, सबका साथ-सबका विकास के साथ-साथ सबका विश्वास जीतने के मोदी सरकार के नए लक्ष्य को हासिल करने में भी अमित शाह सफल हो सकते हैं।

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कश्मीर में पिछला पांच साल मोदी सरकार के लिए प्रयोगों का साल रहा। अलगाववादियों को अलग-थलग करने और बड़ी संख्या में आतंकियों को मार गिराने के बावजूद घाटी में चुनौती बरकरार है। पत्थरबाजी की घटनाएं जरूर कम हुई हैं, लेकिन आतंकियों के साथ मुठभेड़ के दौरान यह अब भी जारी है। ऐसे में कश्मीर में पिछले चार दशक से जड़ जमाए आतंकी तंत्र को ध्वस्त करना जरुरी है। उम्मीद की जा रही है कि विस्तृत रणनीति बनाने और जमीनी स्तर पर उसका क्रियान्वयन सुनिश्चित कराने वाले अमित शाह इस तंत्र को ध्वस्त करने में सफल होंगे। लगभग ऐसी ही स्थिति नक्सली और पूर्वोत्तर के अलगाववादी संगठनों के साथ भी है।

चुनाव के दौरान विपक्षी दल भले ही अल्पसंख्यकों को अमित शाह को गृहमंत्री बनने का भय दिखा रहे हों, लेकिन सबका विश्वास जीतने की प्रधानमंत्री मोदी की कोशिश में शाह अहम कड़ी साबित हो सकते हैं। गुजरात में गृहमंत्री रहते हुए अमित शाह ऐसा करने में सफल हुए हैं। दरअसल अमित शाह ने गोधरा कांड और उसके बाद दंगों के कारण धार्मिक आधार पर बुरी तरह बंटे गुजरात के गृहमंत्री का काम संभाला था। वे 2003 से 2010 तक गुजरात में गृहमंत्री रहे। इस दौरान गुजरात में न तो कोई दंगा हुआ और न ही अल्पसंख्यकों के साथ किसी तरह भेदभाव होने दिया गया। जाहिर है धीरे-धीरे गुजरात के अल्पसंख्यकों का भरोसा मोदी सरकार पर लौटा।

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