अफस्पा मामला: हित सुरक्षित रखने की गुहार लेकर सेना के जवान पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
अफस्पा कानून में संशोधन किए बिना सैन्य अधिकारियों के खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सेना के 356 जवान और अधिकारी अपने हितों को सुरक्षित किये जाने की गुहार लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। उन्होंने याचिका दाखिल कर मांग की है कि देश की सुरक्षा के लिए आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (अफस्पा) के तहत कर्तव्य निर्वहन में किये गए कार्य के लिए उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई कर उनका उत्पीड़न न किया जाए। इस संबंध में उनके हित सुरक्षित रखने के लिए कोर्ट दिशा निर्देश जारी करे। कोर्ट याचिका पर सोमवार को सुनवाई के लिए राजी हो गया है।
मंगलवार को सैन्य अधिकारियों की वकील ऐश्वर्या भाटी ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर की पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए मामले पर शीघ्र सुनवाई की मांग की। कोर्ट ने आग्रह स्वीकार करते हुए 20 अगस्त को सुनवाई की मंजूरी दे दी।
दाखिल याचिका में कहा गया है कि अफस्पा के तहत सेना के जवान देश में उग्रवाद और छद्म युद्धों को रोकने के लिए लड़ाई लड़ते हैं। ऐसे में अफस्पा प्रोटेक्शन के अंतर्गत सशस्त्र बलों को मिले अधिकारों में कमी किया जाना देश की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। अफस्पा कानून में संशोधन किए बिना सैन्य अधिकारियों के खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है। सैन्य अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने के लिए केंद्र सरकार की इजाजत लेनी होगी।
यह याचिका सीमा पर कठिन परिस्थितियों में देश की सुरक्षा करने वाले जवानों का आत्मविश्वास और मनोबल बनाए रखने के लिए भारतीय सेना के अधिकारियों और जवानों की ओर से सामूहिक तौर पर दाखिल की गई है। जवान अपने कर्तव्य निर्वहन और देश की संप्रभुता व सुरक्षा कायम रखने के लिए विपरीत परिस्थितियों में काम करते हैं। वे इसके लिए अपना जीवन न्योछावर करने में भी नहीं हिचकते, लेकिन उनके सहयोगियों के खिलाफ कर्तव्य निर्वाहन मे किये गये इन कार्यो के लिए आपराधिक मामला दर्ज कर कार्रवाई हो रही है जिससे उन्हें याचिका दाखिल करने के लिए मजबूर होना पड़ा। संविधान में भी देश की संप्रभुता और सुरक्षा को सर्वोपरि माना गया है। ऐसे में अगर सेना को संरक्षण नहीं दिया गया तो देश की सुरक्षा और संप्रभुता को खतरा होगा।
याचिका में यह भी मांग है कि सरकार को आदेश दिया जाए कि वह सैनिकों के खिलाफ दुर्भावना से प्रेरित अभियोजनों और एफआइआर को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए। केन्द्र की पूर्व इजाजत के बगैर अफस्पा में प्राप्त शक्तियों के तहत की गई कार्रवाई के लिए कोई एफआईआर या अभियोजन नहीं होगा। उन लोगों और संस्थाओं के खिलाफ जांच हो जो कर्तव्य निर्वहन में लगे सैनिकों को दुर्भावनापूर्ण शिकायतें दाखिल कर निशाना बना रहें हैं। अनावश्यक एफआईआर दर्ज कर परेशान किये गए सैन्य अधिकारियों को उचित मुआवजा दिलाया जाए।