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लोकपाल की नियुक्ति पर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट दाखिल किया हलफनामा

संप्रग सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान लोकपाल और लोकायुक्त बनाने की मांग केंद्र में रही। आखिरकार अन्ना हजारे के दबाव में संसद में इसे बनाने का कानून बन भी गया।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 12:13 PM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 12:13 PM (IST)
लोकपाल की नियुक्ति पर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट दाखिल किया हलफनामा
लोकपाल की नियुक्ति पर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट दाखिल किया हलफनामा

नई दिल्‍ली, एएनआइ। लोकपाल की नियुक्ति में अभी लंबा समय लग सकता है। केंद्र की मोदी सरकार ने लोकपाल की नियुक्ति के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दाखिल किया है, उससे यही प्रतीत होता है। हलफनामे में केंद्र सरकार ने लोकपाल की नियुक्ति को लेकर कोई तय समयसीमा नहीं दी है। केंद्र सरकार ने कहा कि पहले सर्च कमेटी में इस बारे में बात की जाएगी, उसके बाद आगे कदम उठाए जाएंगे। केंद्र ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सर्च कमेटी को लेकर 19 जुलाई को बैठक होगी।

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हलफनामे में बताया कि सेलेक्शन कमेटी में प्रधानमंत्री, लोकसभा सभापति, भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके नामांकित और प्रतिष्ठित न्यायवादी शामिल हैं। इन सबको सर्च कमेटी के लिए कम से कम सात लोगों को नामित करना होगा। इसके बाद सर्च कमेटी सेलेक्शन की प्रक्रिया निर्धारित करेगी, जिसके बाद चयन समिति उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करेगी। केंद्र ने हलफनामे में बताया कि अभी कोई सर्च कमेटी ही नहीं है। इसलिए लोकपाल की नियुक्ति में कोई तय समयसीमा नहीं बताई जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को हलफनामा दाखिल कर ये बताने का निर्देश दिया है कि लोकपाल की नियुक्ति कब तक होगी? कोर्ट ने 10 दिन में हलफनामा दायर कर लोकपाल की नियुक्ति के लिए लगने वाले समय और उठाए जा रहे कदमों की जानकारी मांगी।संसद में कानून बनने के बावजूद अभी तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट के बार-बार निर्देश देने के बावजूद लोकपाल गठन टलता रहा है।

संप्रग सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान लोकपाल और लोकायुक्त बनाने की मांग केंद्र में रही। आखिरकार अन्ना हजारे के दबाव में संसद में इसे बनाने का कानून बन भी गया। लेकिन साढ़े चार साल बाद भी लोकपाल की संस्था वजूद में नहीं आ पाई है। भ्रष्टाचार और कालेधन पर लगाम लगाने में मोदी सरकार ने जो तत्परता दिखाई, वो लोकपाल के मामले में नहीं दिखी। पहले तो कहा गया कि लोकपाल के चयन के लिए नेता प्रतिपक्ष की जरूरत है, जो मौजूदा सरकार में नहीं है। इसीलिए लोकपाल के गठन में दिक्कत आ रही है। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि लोकसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी यानी कांग्रेस के सदन में नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को नेता प्रतिपक्ष मानते हुए लोकपाल के गठन की प्रक्रिया पूरी की जाए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद एक बार लोकपाल के चयन समिति की बैठक भी बुलाई गई, लेकिन किन्हीं कारणों से वह नहीं हो पाई।


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