अभिनेता सोनू सूद की मदद कुछ नेताओं को नहीं आई रास, काम नहीं; ‘मातोश्री’ पर हाजिरी जरूरी!
संजय राउत ने बड़े गर्व से ट्वीट किया आखिर सोनू सूद महाशय को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पता मिल गया। वह मातोश्री पहुंच गए। जय महाराष्ट्र।
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। संत कबीर कह गए हैं कि नि:स्वार्थ सेवा करनेवाले व्यक्ति पर काल भी घात नहीं करता। लेकिन वक्त ऐसा आ गया है कि सियासत ऐसे हर व्यक्ति पर घात और आघात कर सकती है, जो उसके अनुकूल नहीं चल रहा हो। कोरोना संकट शुरू होने के बाद से देश के कोने-कोने में जिससे जो बन पड़ा, जरूरतमंदों के लिए वह सेवा अर्पित करता रहा है। किसी ने राह चलते श्रमिकों के लिए भोजन का इंतजाम किया तो किसी ने पानी का। कोई उनके पांवों के छाले पोंछ उन्हें चप्पल ही पहनाने में जुट गया।
मुंबई में आइआरएस अधिकारियों का एक समूह देश भर के अपने साथियों को जोड़कर लोगों को भोजन मुहैया कराने में लगा तो अब तक लाखों लोगों को राशन एवं भोजन पैकेट पहुंचा चुका है। आइआइटी मुंबई में पीएचडी कर रहीं हिमाचल प्रदेश की प्रिया शर्मा ने झारखंड के श्रमिकों को उनके घर भेजने का बीड़ा उठाया तो किसी वाट्सएप समूह में उनका परिचय बेंगलुरु के नेशनल लॉ स्कूल के कुछ पूर्व छात्रों से हो गया। इस समूह की ताकत ऐसी बढ़ी कि अब तक हजारों श्रमिकों को हवाई जहाज से उनके घर भेजा जा चुका है। मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री के लोगों ने भी तरह-तरह से लोगों की मदद की। किसी के द्वारा किया गया काम सुíखयां बना तो कोई चुपचाप लोगों की मदद करके संतोष का अनुभव करता रहा।
इन्हीं में से एक हैं अभिनेता सोनू सूद, जिन्हें सड़क पर पैदल चलते श्रमिकों का दर्द सहा नहीं गया तो उन्हें बसों से घर पहुंचाने में लग गए। एक-दो बसें भेजीं तो जानेवालों की लाइन लग गई। इस पुण्य कार्य में सोनू को सहयोग करनेवाले भी आगे आने लगे। ऐसा होता भी है। शिरडी के साईंबाबा एवं तिरुपति बालाजी की हुंडी में लोग इसी भरोसे पर करोड़ों रुपये का दान बिना किसी को बताए डालकर चले जाते हैं कि इसका उपयोग सही कार्य में होगा। वे साईंबाबा के भंडारे में हजारों लोगों को भोजन करते देखते हैं। वहां के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में लोगों का सस्ते में इलाज होते देखते हैं।
सोनू सूद को भी अच्छा काम करते देख कुछ लोगों ने ऐसी मदद की होगी। लेकिन अब उनके द्वारा किया गया काम और उन्हें इस पुण्य कार्य में मिली मदद कुछ लोगों की आंख की किरकिरी बन गई है। राज्य में सत्तारूढ़ दल के एक सांसद को उनके द्वारा किया गया यह कार्य रास नहीं आया। श्रमिकों को सुरक्षित घर भेजने का जो काम सरकार खुद ठीक से नहीं कर पाई हो, उसे एक अभिनेता भला कैसे कर सकता है! सांसद महोदय को सोनू सूद का यह सेवाकार्य इतना बुरा नहीं लगा, जितना कि उनका राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी से जाकर मिलना। वह भी मुख्यमंत्री के निजी आवास ‘मातोश्री’ को नजरंदाज करके।
दरअसल सोनू सूद अपने इसी सेवाकार्य के बीच एक दिन राजभवन जाकर राज्यपाल से मिल आए थे। राज्यपाल ने उन्हें हर प्रकार से मदद का आश्वासन भी दिया था। चूंकि राज्यपाल खुद पिछले कुछ समय से महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ दलों के निशाने पर चल रहे हैं, इसलिए उनसे सोनू सूद का मिलना भी शिवसेना सांसद संजय राउत को रास नहीं आया। फलस्वरूप शिवसेना मुखपत्र ‘सामना’ के अपने साप्ताहिक स्तंभ में वह सोनू सूद पर जमकर बरसे। उन्होंने लिखा, ‘सोनू सूद कोई देवदूत नहीं है। यह सिर्फ प्रचार माध्यमों का खेल है। सोनू सूद के माध्यम से महाराष्ट्र का एक राजनीतिक घटक ठाकरे सरकार के अपयश का प्रयत्न कर रहा है।’ संभवत: यह लिखते हुए राउत का इशारा भाजपा की ओर रहा होगा, क्योंकि राज्य में सक्रिय बाकी दो बड़े राजनीतिक दल तो महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ ही हैं। राउत ने लिखा कि इस संकट के समय में हमें विमान नहीं मिल रहा है। इन्हें कहां से मिल गया? जाहिर है सोनू के सूद के पीछे कोई और भी है। उन्होंने यह कहते हुए राज्यपाल पर भी निशाना साधा कि हमारे डॉक्टर, नर्स, पुलिस सभी काम कर रहे हैं। उन्हें तो कोई चाय पीने के लिए नहीं बुलाता।
सत्तारूढ़ दल की अपनी ताकत होती है और समझदार को इशारा काफी होता है। शायद यही कारण रहा होगा कि सोनू सूद एक शाम लंबे समय से सत्ता का केंद्र माने जाते रहे ठाकरे परिवार के बांद्रा स्थित आवास ‘मातोश्री’ पर नजर आए। थोड़ी ही देर बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे एवं उनके पुत्र राज्य सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे के साथ सोनू सूद की तस्वीर ट्विटर पर दिखाई देने लगी। और संजय राउत ने बड़े गर्व से ट्वीट किया, आखिर सोनू सूद महाशय को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पता मिल गया। वह मातोश्री पहुंच गए। जय महाराष्ट्र।
[मुंबई ब्यूरो प्रमुख]