Move to Jagran APP

अभिजीत मखर्जी बोले- पिता प्रणब के संस्मरण के प्रकाशन के खिलाफ नहीं, पहले पढ़ना चाहता हूं

प्रणब मुखर्जी के बेटे और कांग्रेस के पूर्व सांसद अभिजीत मुखर्जी ने कहा है कि वह पूर्व राष्ट्रपति के संस्मरण द प्रेसिडेंशियल ईयर्स के प्रकाशन के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने कहा है कि किताब जारी होने से पहले वह इसके कंटेंट को पढ़ना चाहते हैं।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 16 Dec 2020 01:26 PM (IST)Updated: Wed, 16 Dec 2020 01:26 PM (IST)
अभिजीत मखर्जी बोले- पिता प्रणब के संस्मरण के प्रकाशन के खिलाफ नहीं, पहले पढ़ना चाहता हूं
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी। (एएनआइ)

नई दिल्ली, एएनआइ। प्रणब मुखर्जी के बेटे और कांग्रेस के पूर्व सांसद अभिजीत मुखर्जी ने पूर्व राष्ट्रपति के संस्मरण 'द प्रेसिडेंशियल ईयर्स' के प्रकाशन के खिलाफ नहीं हैं। मंगलवार को उन्होंने इस पर रोक लगाने की मांग थी। उन्होंने कहा है कि किताब की प्रकाशन से पहले वह उसकी अंतिम कॉपी को पढ़ना चाहते हैं। उन्होंने ट्वीट करके यह बात कही। ट्वीट में उन्होंने कहा, 'कुछ लोगों की राय के विपरीत, मैं अपने पिता के संस्मरण के प्रकाशन के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन मैंने प्रकाशक से अनुरोध किया है कि किताब की प्रकाशन से पहले मुझे इसकी अंतिम कॉपी को पढ़ने दिया जाए और मेरा मानना है कि उनके पुत्र के तौर पर मेरा अनुरोध वैध है और इसका मुझे पूरा अधिकार है।'

loksabha election banner

उन्होंने प्रकाशक से 'चीप पब्लिसिटी हासिल करने' के लिए इसके 'चुनिंदा अंशों' को प्रकाशित न करने का अनुरोध किया। एक अन्य ट्वीट में अभिजीत ने कहा, ' यदि मेरे पिता जीवित होते, तो वह भी जारी होने से पहले इस किताब को पढ़ते। उन्होंने अन्य संस्करणों के मामले में ऐसा किया। तब तक, और मैं दोहराता हूं, तब तक, प्रकाशकों से प्रकाशन रोकने का अनुरोध किया गया है। चीप पब्लिसिटी हासिल करने के लिए इसके चुनिंदा अंश जारी करना बंद कीजिए।'

 

गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति के संस्मरण के प्रकाशन को लेकर उनके बेटा और बेटी मंगलवार को भिड़ गए।अभिजीत मुखर्जी के उनकी सहमति के बिना किताब का प्रकाशन नहीं होने की बात कहने पर पुत्री शर्मिष्ठा मुखर्जी ने बाधा नहीं उत्पन्न करने को कहा। उन्होंने अपने भाई से अनुरोध किया कि उन्हें पिता की अंतिम किताब के प्रकाशन में अनावश्यक बाधा नहीं उत्पन्न करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सस्ते प्रचार के लिए किसी को इसका प्रकाशन रोकने का प्रयास नहीं करना चाहिए।

कांग्रेस पर आलोचनात्मक टिप्पणी को लेकर प्रणब का यह संस्मरण हाल में सुर्खियों में रहा। इसमें उन्होंने लिखा है कि उनको राष्ट्रपति बनाए जाने के बाद पार्टी अपनी राजनीतिक दिशा से भटक गई। रूपा प्रकाशन इस पुस्तक को अगले महीने लांच करने की तैयारी कर रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.