अब्दुल्ला अब्दुल्ला की विदेश मंत्री एस जयशंकर से बैठक, शांति समझौते के साथ कई मुद्दों पर हुई बातचीत
अफगानिस्तान के शीर्ष शांति वार्ताकार अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में स्थिरता लाने के मकसद से चल रही महत्वपूर्ण शांति वार्ता के मसले पर चर्चा की।
नई दिल्ली, एजेंसियां। अफगानिस्तान के शीर्ष शांति वार्ताकार अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में स्थिरता लाने के मकसद से चल रही महत्वपूर्ण शांति वार्ता के मसले पर चर्चा की। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बातचीत के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि हमने द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्रीय मुद्दों पर बात की। हाल के घटनाक्रमों पर विचार साझा किए। भारत एक पड़ोसी के तौर पर फगानिस्तान में शांति, समृद्धि और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है।
बता दें कि अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने कल प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी से मुलाकात की थी। बैठक के बाद अब्दुल्ला ने ट्वीट कर बताया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया का भारत की ओर से समर्थन जारी रखने का भरोसा दिया है। वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बताया गया कि मोदी ने भारत-अफगानिस्तान संबंधों को और मजबूती देने की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दोहराया। इससे एक दिन पहले बुधवार को अब्दुल्ला ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ वार्ता की थी।
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हर हाल में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी चाहते हैं। अफगानिस्तान में शांति कायम रहे इसको लेकर अमेरिका अर्से से कोशिशें भी कर रहा है। समाचार एजेंसी आइएएनएस के मुताबिक, अफगान सुलह को लेकर अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जल्माय खलीलजाद पाकिस्तान के दौरे पर हैं। तालिबान को संघर्ष विराम के लिए राजी करने की कोशिशों के बीच उन्होंने शुक्रवार को पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से मुलाकात की।
जानकारों की मानें तो अफगानिस्तान में होने वाले शांति समझौते को लेकर अगले हफ्ते-दस दिनों में अहम घोषणा होने की उम्मीद है। अमेरिका पाकिस्तान से यह गारंटी चाहता है कि काबुल में शांति वार्ता के बाद गठित होने वाली नई सत्ता को वह अपने हितों के लिए प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेगा। दरअसल भारत तीन अरब डॉलर की मदद से अभी अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में सैकड़ों परियोजनाओं को चला रहा है। यही कारण है कि अफगानिस्तान शांति वार्ता के किसी मुकाम पर पहुंचने के साथ ही भारत भी अपनी भावी भूमिका को लेकर ज्यादा सतर्क है।