वोटर आईडी को 'आधार' से जोड़ने की मुहिम जल्द होगी शुरु
फैसले में आधार को वोटर कार्ड से जोड़ने पर कोई निषेध नहीं है, इसलिए आयोग इस मुहिम को फिर से शुरु करना चाहता है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। आधार की वैधता और अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट का चर्चित फैसला आने के बाद चुनाव आयोग फिर से वोटर आईडी कार्ड को आधार से जोड़ने पर विचार कर रहा है। आयोग इस फैसले की रोशनी में विधि विशेषज्ञों की राय लेकर अध्ययन कर रहा है। फैसले में आधार को वोटर कार्ड से जोड़ने पर कोई निषेध नहीं है, इसलिए आयोग इस मुहिम को फिर से शुरु करना चाहता है। कोर्ट के फैसले के बाद वोटर आईडी कार्ड को आधार से जोड़ने की चुनाव आयोग की पुरानी मुहिम को फिर नई ऊर्जा मिल गई है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने इन फैसलों को लागू करने के बारे में साफ किया है कि आयोग ने अपने विधि सचिवालय को आधार पर आए फैसले का अध्ययन करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन होने की वजह से वोटर आईडी को आधार से जोड़ने की यह महत्वाकांक्षी परियोजना बीच मे ही रोकनी पड़ी थी। अब फैसले के अध्ययन के बाद अदालत के आदेश के अनुरूप इसे फिर से शुरु किया जा सकेगा।
आयोग ने मतदाता सूची को ज्यादा विश्वस्त बनाने के लिये फरवरी 2015 में आधार से मतदाता पहचान पत्र को जोड़ने की योजना पर काम शुरु किया था। जिसके कुछ महीने बाद ही आधार की वैधता और दुरूपयोग का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर पहुंच गया। इससे यह योजना खटाई में पड़ गई। आयोग के मुताबिक अब तक लगभग 38 करोड़ मतदाताओं के पहचान पत्र आधार से जोड़े जा चुके है।
सूत्रों ने बताया कि भविष्य में आने वाली सेवाएं जैसे इलैक्ट्रानिक या इंटरनेट वोटिंग केवल उन्ही मतदाताओं को मिलेगी, जिनके आधार नंबर वोटर कार्ड से जुड़ चुके होंगे। आधार को जोड़ने से न केवल मतदाता सूची में दोहराव को रोका जा सकेगा, बल्कि एडवांस मैकेनिज्म जैसे प्रवासियों को भी रिमोट वोटिंग का अधिकार दिया जा सकेगा।
आयोग का दावा है कि इससे लाखों ऐसे फर्जी मतदाताओं का पता चलेगा जो देश भर में न जाने कितने ही राज्यों और क्षेत्रों में कई मतदाता पहचान पत्र बनवा कर चुनाव प्रक्रिया को नुकसान पहुंचा रहे है।
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