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अकाली दल ने राष्‍ट्रपति से की मुलाकात, विपक्ष भी लामबंद, कृषि विधेयकों पर हस्‍ताक्षर नहीं करने की लगाई गुहार

शिरोमणि अकाली दल के प्रतिनिधि मंडल ने सोमवार को राष्ट्रपति से मुलाकात की और कहा कि किसानों के खिलाफ जो विधेयक जबरदस्ती राज्यसभा में पास किए गए हैं... वह उनपर हस्ताक्षर नहीं करें। ये बिल देश के किसानों के खिलाफ हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 06:17 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 06:29 PM (IST)
अकाली दल ने राष्‍ट्रपति से की मुलाकात, विपक्ष भी लामबंद, कृषि विधेयकों पर हस्‍ताक्षर नहीं करने की लगाई गुहार
शिरोमणि अकाली दल के अध्‍यक्ष सुखबीर सिंह बादल...

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। राज्यसभा में कृषि संबंधी दो विवादास्पद विधेयकों के हंगामे में पारित होने के बाद भी विपक्षी लामबंदी थमने का नाम नहीं ले रही है। शिरोमणि अकाली दल भी इस मसले पर विपक्ष के सुर में सुर मिलाती नजर आ रही है। आज सोमवार को शिरोमणि अकाली दल के प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। शिअद के अध्‍यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने बताया कि प्रतिनिधि मंडल ने राष्‍ट्रपति से गुजारिश की कि 'किसानों के खिलाफ' जो विधेयक जबरदस्ती राज्यसभा में पास किए गए हैं वह उन पर हस्ताक्षर नहीं करें।  

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राज्यसभा में कृषि विधेयकों के पारित होने के एक दिन बाद कई विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से गुजारिश की है कि वह इन दोनों प्रस्तावित विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं करें। इसके अलावा कांग्रेस, वाम दलों, राकांपा, द्रमुक, सपा, तृणमूल कांग्रेस और राजद समेत विभिन्न दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति को पत्र भी लिखा है। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार ने जिस तरीके से अपने एजेंडा को आगे बढ़ाया है वह उचित नहीं है। विपक्षी दलों ने ज्ञापन में इस मसले पर राष्‍ट्रपति से हस्तक्षेप करने और विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं करने की गुजारिश की है। मालूम हो कि राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद विधेयक कानून का रूप ले लेते हैं।  

गौरतलब है कि सरकार जहां उक्‍त दोनों विधेयकों को कृषि क्षेत्र में सबसे बड़ा सुधार बता रही है तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष इन्‍हें किसान विरोधी बता रहा है। विपक्षी दलों ने राष्‍ट्रपति से मुलाकात के लिए समय भी मांगा है। माना जा रहा है कि राष्‍ट्रपति के साथ विपक्ष की मंगलवार को बैठक हो सकती है। सूत्रों ने बताया कि राज्यसभा से पारित विधेयकों को विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ भाजपा की ओर से लोकतंत्र की हत्या बताया गया है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि उक्‍त विधेयक कृषि क्षेत्र के लिए 'मौत का फरमान' साबित होंगे। 


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