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राजनाथ ने बताया, टीएमसी नेताओं को हिरासत में लेने की क्या वजह थी..

सम के सिलचर हवाई अड्डे पर कल हिरासत में लिए गए टीएमसी नेताओं को अब छोड़ दिया गया है।

By Srishti VermaEdited By: Published: Fri, 03 Aug 2018 09:17 AM (IST)Updated: Fri, 03 Aug 2018 01:11 PM (IST)
राजनाथ ने बताया, टीएमसी नेताओं को हिरासत में लेने की क्या वजह थी..
राजनाथ ने बताया, टीएमसी नेताओं को हिरासत में लेने की क्या वजह थी..

नई दिल्ली (प्रेट्र)। असम के सिलचर हवाई अड्डे पर कल हिरासत में लिए गए टीएमसी नेताओं को अब छोड़ दिया गया है। जानकारी के मुताबिक, कल टीएमसी के छह सांसदों और दो विधायकों को हवाई अड्डे से बाहर निकलने से पहले ही रोक लिया गया था। अब खबर आ रही है कि इनमें से छह टीएमसी नेताओं को रातभर की हिरासत के बाद छोड़ दिया गया है, औऱ वे कोलकाता लौट गए हैं। हालांकि दो अभी भी एयरपोर्ट पर ही डटे हुए हैं और उन्होंने वहां धरना शुरू कर दिया है। पुलिस के मुताबिक, उन्हें आज शाम तक छोड़ दिया जाएगा। अब इस पर संसद सत्र में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपना बयान दिया है। 

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संसद सत्र में राजनाथ सिंह ने कहा-
2 अगस्त को टीएमसी नेताओं को सिलचर हवाई अड्डे पर पूरे प्रोटोकॉल के साथ रोका गया था। वहां धारा 144 लागू था इसलिए उन्हें वहां से वापस जाने को कहा गया था लेकिन टीएमसी नेताओं ने उनकी बात ना मानते हुए बहस और हाथापाई पर उतर आए। जिसमें दो सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। कुछ यात्रियों को भी इस घटना से असुविधाएं हुईं।

इसी के बाद पुलिस ने उन्हें सीआरपीसी 151 के तहत हिरासत में लिया और उन्हें एक रात के लिए हवाई अड्डे के नजदीक ही एक गेस्ट हाउस में रखा था। गृह मंत्री ने कहा कि कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए ही प्रशासन के द्वारा ये कदम उठाया गया। 3 अगस्त को टीएमसी सदस्य सिलचर से दिल्ली के लिए रवाना हो गए। 

कोलकाता लौटे टीएमसी नेता फिरहाद हाकिम ने कहा-
हम एनआरसी मामलों को स्टडी करने वहां गए थे ताकि किसी सुझाव पर पहुंच कर संसद में इसे रख सकें। सरकार ने ऐसा करके किसी तरह के सुधार की कोई गुंजाइश नहीं रखी है। जो भी सिलचर हवाई अड्डे पर हुआ वह गैर-लोकतात्रिक था। लोकतंत्र के अंदर ऐसी घटना अकाल्पनिक है। कैसे वह किसी चुने हुए प्रतिनिधि को आम लोगों से मिलने से रोक सकते हैं। भारत सभी लोगों के लिए है, यहां कोई भी कहीं भी जा सकता है। लेकिन असम में भाजपा सरकार ने इस अधिकार को भी छीन लिया है। कल्पना करें, अगर चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ ऐसा सलूक किया जाता है तो उन लाखों आम नागरिकों, छोटे किसानों, बाढ़ पीड़ितों का क्या हाल होता होगा? क्या कभी उनकी सुनी जाएगी?

बंगाल सांप्रदायिक सौहार्द्र वाली भूमि है। असम इसके उल्टा है। एक लाख नेपालियों को, बिहारियों को , बंगालियों को एनआरसी से बाहर कर दिया गया है। सभी को टार्गेट किया गया है। ममता बनर्जी ने अपने प्रतिनिधियों को वहा भेजा था ये पता लगाने के लिए क्या कहां गलती हुई है ताकि उसके बाद सुझावों पर विचार किया जा सकें। लेकिन उन्हें रोक दिया गया। हम इस सरकार की निंदा करते हैं। हमारी पार्टी हमेशा लोगों के साथ है। हम मता बनर्जी के नेतृत्व में उनके लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। हम इस घटना के लिए विरोध में प्रदर्शन करेंगे। इसे पुलिस बल के द्वारा काबू में नहीं किया जा सकता है।

टीएमसी के ही नेता एसएस रॉय ने इस पूरे मामले पर कहा कि उसी विमान में हमारे नेताओं के अलावा 77 अन्य यात्री भी सवार थे लेकिन उन्हें जाने दे दिया गया। केवल हमारे छह लोगों को रोक लिया गया।

क्या था मामला
बता दें कि, कल तृणमूल कांग्रेस के छह सांसदों और दो विधायकों को असम के सिलचर हवाई अड्डे पर धारा 144 के बीच कानून व्यवस्था तोड़ने के आरोप में रोक लिया गया था। जैसे ही वे एयरपोर्ट पर पहुंचे उन्हें वहां से बाहर निकलने से पहले ही पुलिस हिरासत में ले लिया गया। पुलिस के मुताबिक, सुरक्षा के लिहाज से उन्हें रोका गया था। इसके बाद टीएमसी नेताओं ने कहा था कि उन्हें धारा 144 के लागू होने की जानकारी नहीं थी और कानून व्यवस्था तोड़ने का उनका कोई इरादा नहीं था।

इस पूरे मामले पर टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने केंद्र पर अपनी भड़ास निकाली और कहा कि देश में पूर्ण रुप से आपातकाल जैसी स्थिति पैदा हो गई है। हमारे लोगों को सिलचर हवाई अड्डे पर रोक लिया गया है। हमारे लोगों से मिलना हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है। 

बताया जाता है कि टीएमसी नेताओं की ये टीम सिलचर में एनआरसी फाइनल ड्राफ्ट पर एक जन सभा को संबोधित करने आई थी। इनमें सुखेंदु सेखर राय, काकोली घोष दास्तीदार, रत्ना दे नाग, नादिमुल हक, अर्पिता घोष और ममता ठाकुर शामिल थे। इस पूरी टीम को पश्चिम बंगाल के मंत्री फिरहाद हकीम लीड कर रहे थे।

टीएमसी सांसदों ने आरोप लगाया है कि उन्हें पुलिस के द्वारा पीटा भी गया था। इस पूरे मामले का वीडियो भी जारी किया गया है। 


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