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राहुल के पद छोड़ने के 50 दिन बाद भी कांग्रेस ने नहीं चुना पार्टी प्रमुख, बढ़ रही मुश्किलें

सियासी विश्‍लेषकों की मानें तो कांग्रेस की ओर से पार्टी प्रमुख नहीं चुने जाने से नेताओं के बीच भीतरी टकराव खुलकर सामने आने लगा है। राज्‍यों में पार्टी कमजोर होती जा रही है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 12:52 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jul 2019 01:13 PM (IST)
राहुल के पद छोड़ने के 50 दिन बाद भी कांग्रेस ने नहीं चुना पार्टी प्रमुख, बढ़ रही मुश्किलें
राहुल के पद छोड़ने के 50 दिन बाद भी कांग्रेस ने नहीं चुना पार्टी प्रमुख, बढ़ रही मुश्किलें

नई दिल्‍ली, एएनआइ। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को कांग्रेस अध्‍यक्ष का पद छोड़े लगभग 50 दिन हो चुके हैं लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी ने अभी तक अपना नया प्रमुख नहीं चुना है। इन 50 दिनों में राहुल का त्‍याग पत्र लोगों के सामने आ चुका है। साथ ही उन्‍होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडलर से कांग्रेस अध्‍यक्ष का टैग भी हटा दिया है। इसी दौरान कांग्रेस को राज्‍यों में भी कई झटके लग चुके हैं। सियासी विश्‍लेषकों की मानें तो कांग्रेस की ओर से पार्टी प्रमुख नहीं चुने जाने से नेताओं के बीच भीतरी टकराव खुलकर सामने आने लगा है। इससे पार्टी की स्थितियां राज्‍यों में कमजोर होती जा रही हैं।

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मौजूदा वक्‍त में पार्टी कर्नाटक में गठबंधन सरकार को बचाने की जी तोड़ कोशिशों में जुटी हुर्इ है जबकि गोवा और तेलंगाना में गुपचुप तरीके से तीन तिहाई विधायकों ने पार्टी का हाथ छोड़ दिया है। ऐसे में नजरें केवल कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक पर ही जाकर ठहरती हैं। क्‍योंकि कांग्रेस के संविधान के मुताबिक, पार्टी कार्यकारिणी के पास ही नया अध्‍यक्ष चुनने का अधिकार है।

सूत्रों ने बताया कि पार्टी के वरिष्‍ठ नेता संभावित नेताओं के नामों पर माथापच्‍ची कर रहे हैं। पार्टी के वरिष्‍ठ नेताओं की कांग्रेस वॉर रूम में दो बैठकें भी हो चुकी हैं लेकिन दोनों में कर्नाटक में जारी सियासी संकट को लेकर ही बात हुई है। हालांकि इस बीच पार्टी ने महाराष्‍ट्र और छत्‍तीसगढ़ के प्रदेश अध्‍यक्षों का चयन कर लिया है। दिल्‍ली में भी पार्टी प्रदेश अध्‍यक्ष शीला दीक्षित (Sheila Dikshit) और प्रभारी पीसी चाको (PC Chacko) के बीच रस्साकशी जारी है।

हरियाणा में भी पार्टी का अंदरूनी टकराव खुलकर सामने आ गया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर (Ashok Tanwar) द्वारा बनाई गई एक चुनाव समिति को प्रभारी गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने रद कर दिया है। महाराष्‍ट्र में मिलिंद देवड़ा और संजय निरूपम के बीच कोल्‍ड वार जारी है। झारखंड में समीक्षा बैठक के दौरान प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार और प्रभारी आरपीएन सिंह को कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ा। वहीं पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्‍टन अमरेंदर सिंह का टकराव चरम पर पहुंच चुका है। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए सियासत के जानकार कहने लगे हैं कि कांग्रेस की स्थिति बिना मुखिया वाले घर की हो गई है, जहां हर कोई अपनी मनमर्जी का चला रहा है।

बता दें कि केरल (Kerala) के वायनाड (Wayanad) से सांसद के तौर पर निर्वाचित हुए राहुल गांधी ने लोकसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार की जिम्‍मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया था। बीते 25 मई को कांग्रेस कार्यकारिणी (Congress Working Committee, CWC) की बैठक में राहुल ने पार्टी अध्‍यक्ष का पद छोड़ने की पेशकश की थी। साल 2017 में राहुल को कांग्रेस का अध्‍यक्ष बनाया गया था।  


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