राजस्थान में प्रशासनिक ढिलाई की भेंट चढ़ी 30 हजार करोड़ की 450 पेयजल योजनाएं
प्रदेश के विभिन्न जिलों में छोटी-बड़ी 54 पेयजल योजनाओं में से 450 योजनाओं की गति काफी धीमी है।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में पेयजल संकट से जहां आम आदमी परेशान है, वहीं चुनाव निकट आते देख सरकार की भी चिंता बढ़ गई है, लेकिन कैग की रिपोर्ट में सामने आया कि प्रदेश में 30 हजार करोड़ की 450 से अधिक पेयजल योजनाएं प्रशासनिक ढिलाई की भेंट चढ़ गई और अब चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण नए काम शुरू नहीं हो पा रहे है। इनमें कई योजनाएं तो ऐसी भी है जो करीब एक दशक पहले शुरू हुई, लेकिन उनका 50 फीसदी काम भी पूरा नहीं हो सका। राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के कई जिले पेयजल समस्या से जूझ रहे है।
कई पेयजल योजनाएं अधूरी
जयपुर सहित कई जिलों में पेयजल आपूर्ति करने वाले बीसलपुर बांध में पानी की आवक कम होने से पेयजल आपूर्ति में कटौती की जा रही है। कई ऐसी पेयजल योजनाएं है जो करीब एक दशक से भी अधिक समय से अधूरी है। इनमें धौलपुर जिले के 106, भरतपुर जिले के 945 गांव और 5 कस्बों में पानी पहुंचाने के लिए चंबल-भरतपुर-धौलपुर पर परियोजना पर काम साल 1999 में शुरू हुआ था, लेकिन अब तक इसके 7 में से मात्र 5 पैकेज पूरे हुए है। अब तक 378 करोड़ रूपए ही खर्च हो सके है।
इसी तरह 1194 करोड़ रूपए की लागत वाली नागौर लिफ्ट परियोजना 2006 में शुरू हुई थी, यह अब तक अधूरी है। इससे 494 गांवों में पानी की सप्लाई होनी थी। कोटा के लाडपुरा की 77 बस्तियों में पानी पहुंचाने के लिए नया गांव पेयजल योजना पिछले भी अधूरी है।
जलदाय विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के विभिन्न जिलों में छोटी-बड़ी 54 पेयजल योजनाओं में से 450 योजनाओं की गति काफी धीमी है। इनकी कुल लागत 30 हजार करोड़ रूपए की है। इस बारे में पीएचईडी मंत्री सुरेन्द्र गोयल का कहना है कि कभी ठेकेदार के काम बीच में काम छोड़ने और कभी प्रशासनिक कारणों से योजनाओं की गति धीमी रही, लेकिन अब इन्हे पूरा कराने के प्रयास किए जा रहे है।