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मध्य प्रदेश में 18 फीसद किसानों ने कर्जमाफी के लिए नहीं किया आवेदन, फर्जीवाड़े की आशंका

दो लाख रुपये तक के कर्ज की माफी के लिए सहकारी बैंकों के 18 फीसदी पात्र किसानों ने आवेदन (दावा)ही नहीं किया।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 08:33 PM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 09:49 PM (IST)
मध्य प्रदेश में 18 फीसद किसानों ने कर्जमाफी के लिए नहीं किया आवेदन, फर्जीवाड़े की आशंका
मध्य प्रदेश में 18 फीसद किसानों ने कर्जमाफी के लिए नहीं किया आवेदन, फर्जीवाड़े की आशंका

भोपाल, [वैभव श्रीधर]। दो लाख रुपये तक के कर्ज की माफी के लिए सहकारी बैंकों के 18 फीसदी पात्र किसानों ने आवेदन (दावा) ही नहीं किया। इन सभी के नाम बैंकों की ओर से शाखा और पंचायतों में चस्पा की गई सूची में शामिल थे। इनके द्वारा आवेदन न करने को लेकर सरकार भी हैरान है, क्योंकि अभी तक प्रदेश में इतने ब़़डे स्तर पर कभी कर्जमाफी नहीं हुई। इससे फर्जीवाड़े की आशंका भी पैदा हो रही है। इसे देखते हुए सहकारिता विभाग ने तय किया है कि जय किसान फसल ऋण मुक्ति योजना की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जांच-पड़ताल कराई जाएगी, ताकि वास्तविक स्थिति सामने आ सके।

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उधर, फर्जी ऋण मामले को लेकर सरकार ने 10 जिलों में 43 दोषियों के खिलाफ 21 एफआइआर दर्ज करवाई हैं। सूत्रों के मुताबिक सहकारी समितियों के 31 लाख 31 हजार सदस्यों (किसान) के ऊपर 16 हजार करो़ड़ रपये से ज्यादा नियमित और पुराने कर्ज है। इन सभी के नाम बैंकों की ओर से निकाली गई सूची में भी शामिल हैं। इसके बावजूद पांच फरवरी तक 18 फीसदी ने कर्ज माफी के लिए आवेदन ही नहीं किया। इसमें सर्वाधिक 34 फीसदी किसान जबलपुर के बताए जा रहे हैें। ऐसे मामलों में ज्यादा संख्या शहर से जु़ड़े जिलों में सामने आ रही है।

22 फरवरी तक स्थिति पूरी तरह होगी साफ
इस मामले के सामने आने से यह आशंका ब़़ढ गई कि प्रदेश में किसानों के कर्ज के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। अभी तक कर्ज से जुड़ी एक हजार से ज्यादा शिकायतें आ चुकी हैं। 10 जिलों में 21 से ज्यादा एफआइआर 43 समितियों के अधिकारियों के ऊपर दर्ज हो चुकी हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि कलेक्टरों को व्यापक जांच कराने के लिए अधिकृत कर दिया गया है। वाणिज्यिक बैंकों के बड़े कर्ज की माफी भी हो सकती है। सहकारिता और कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसानों द्वारा कर्ज माफी के आवेदन न करने की वजह फर्जीवा़ड़े के अलावा बड़े बैंकों का कर्ज माफ कराने की मंशा भी हो सकती है।

दरअसल, सहकारी बैंकों से कर्ज लेने की सीमा अन्य बैंकों की तुलना में कम होती है। इस वजह से किसान वाणिज्यिक बैंकों से भी कर्ज लेते हैें। सरकार ने कर्ज माफी में सहकारी बैंकों को प्राथमिकता में रखा है। ऐसे में यदि वे आवेदन कर देते तो सहकारी बैंक वाला कर्ज माफ हो जाता और बड़ी रकम की देनदारी बनी रहती। एक वजह यह भी हो सकती है कि किसान आयकरदाता हो या फिर सरकारी नौकरी करता हो। नियमानुसार ऐसे किसानों के कर्जदार होने पर भी कर्ज माफी नहीं मिलेगी।

इन जिलों में दर्ज कराई एफआइआर 
आगर-मालवा, कटनी, सागर, हरदा, उज्जैन, दतिया, बैतूल, विदिशा, झाबुआ और ग्वालियर में इससे संबंधित शिकायत दर्ज कराई गई है। सहकारी बैंकों में तबादले और छुट्टी पर प्रतिबंध कर्ज माफी योजना के क्रियान्वयन को देखते हुए अपेक्स बैंक ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक और प्राथमिक सहकारी समितियों के अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादलों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही विशेष परिस्थिति को छो़ड़कर छुट्टी भी नहीं दी जाएगी।

जांच में होगा दूध का दूध, पानी का पानी : कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि अन्नदाता का कोई दोषष नहीं है। भाजपा से जु़़डे लोगों ने किसानों के नाम पर फर्जीवा़़डा किया है। कर्जदार होने के बावजूद भी जिन्होंने कर्ज माफी का दावा प्रस्तुत नहीं किया, संभव है कि उनमें से कुछ मामले फर्जी भी निकलें। सरकार ने जांच शुरू कर दी है। इसमें दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। 


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