Move to Jagran APP

लोकसभा के 17वें सत्र में कुछ विशेष चेहरों को तलाशती रह जाएंगी नजरें

भारतीय चुनाव के इतिहास में इस बार बदलाव होगा और लोकसभा से कई विशेष शख्‍सियतें नहीं होंगी और न ही उनकी बुलंद आवाजों को सुना जा सकेगा।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 29 May 2019 02:32 PM (IST)Updated: Wed, 29 May 2019 02:32 PM (IST)
लोकसभा के 17वें सत्र में कुछ विशेष चेहरों को तलाशती रह जाएंगी नजरें
लोकसभा के 17वें सत्र में कुछ विशेष चेहरों को तलाशती रह जाएंगी नजरें

नई दिल्‍ली, आइएएनएस। पिछले तीन दशकों के चुनावी इतिहास में जो मुख्‍य चेहरे दिखाई देते थे और बुलंद आवाजें सुनने मिलती थी वह इस बार के 17वीं लोकसभा से गायब हैं। दूसरे शब्‍दों में नरेंद्र मोदी सरकार को इन्‍हीं आवाजों के जरिए निर्णायक जनादेश मिलता था।

prime article banner

दशकों से राष्‍ट्रीय राजनीति पर छाप छोड़ने वाले चेहरों में भारतीय जनता पार्टी के लाल कृष्‍ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुमित्रा महाजन, हुकुमदेव नारायण यादव, पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा, लोकसभा में पूर्व कांग्रेस नेता मल्‍लिकार्जुन खड़गे व ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया हैं जो इस बार लोकसभा में देखने को नहीं मिलेंगे।

इन भाजपा वरिष्‍ठों को उम्र के लिहाज से लोकसभा चुनाव 2019 में टिकट नहीं दिया गया वहीं मोदी के आलोचक देवेगौड़ा, खड़गे और सिंधिया को उनके निर्वाचन क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा।

लोकसभा का पहला सत्र छह जून से शुरू हो सकता है। सूत्रों ने बताया कि इसके छह से 15 जून तक चलने की संभावना है। इस सत्र की शुरुआत नवनिर्वाचित सदस्‍यों को शपथ ग्रहण से होगी।

नहीं दिखेंगे भाजपा के भीष्‍म पितामह

इस बार लोकसभा से नहीं दिखने वालों में से सबसे वरिष्‍ठ 91 वर्षीय आडवाणी हैं। आडवाणी को भाजपा का 'भीष्म पितामह' कहा जाता है। 1970 में वे पहली बार राज्यसभा सदस्य चुने गए, लेकिन 1991 में पहली बार लोकसभा चुनाव गांधीनगर सीट से जीत दर्ज की थी। फिर 2014 तक लगातार छह चुनाव जीता। चार बार राज्यसभा और 6 बार लोकसभा के सदस्य रहे आडवाणी को इस बार पार्टी की ओर से टिकट नहीं दिया गया था।

यदि आडवाणी इस बार भी चुनावी मैदान में होते तो लोकसभा चुनाव लड़ने वाले वे दूसरे सबसे अधिक उम्र वाले सांसद होते। पहले सांसद जदयू के राम सुंदर दास हैं। 88 वर्ष की उम्र में इन्‍होंने हाजीपुर से जीत हासिल की 93 वर्ष में कार्यकाल खत्‍म किया। उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री रह चुके आडवाणी को 1990 में किए गए रथ यात्रा के लिए सबसे अधिक याद किया जाता है। उनकी इस यात्रा से एक ओर जहां अयोध्‍या में विवादित ढांचे को गिराने को लेकर गतिविधियां तेज हुई वहीं देश में भाजपा बड़े राजनीतिक ताकत के तौर पर उभरी। आडवाणी के अलावा पार्टी के प्रमुख चेहरे जोशी, महाजन, शांता कुमार, कलराज मिश्रा और भगत सिंह कोशयारी ने भी लोकसभा चुनाव 2019 से किनारा कर लिया।

इन्‍हें नहीं मिला था टिकट

भाजपा के संस्थापक सदस्य रहे डॉ. मुरली मनोहर जोशी इस बार लोकसभा में नजर नहीं आएंगे। 1996 से लेकर 2014 तक वे लोकसभा सदस्य रहे। 1996 में 13 दिनों के लिए बनी वाजपेयी सरकार में गृहमंत्री का पदभार संभाला था। 1999 में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री की जिम्मेदारी संभाली। इस बार के चुनाव में पार्टी ने मुरली मनोहर जोशी को टिकट नहीं दिया था।

जब पार्टी ने वाराणसी से नरेंद्र मोदी का नाम चुना तब 2014 में वे कानपुर आ गए। दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी के बाद आडवाणी और जोशी भाजपा के शीर्ष नेताओं में हैं।

चुनावी मैदान से रहीं दूर

16वीं लोकसभा में सुमित्रा महाजन को स्‍पीकर चुना गया लेकिन इस बार आम चुनाव में वे खड़ी नहीं हुई। 2014 में आठवीं बार वे लोकसभा से चुनी गईं। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन (76) ने वर्ष 2014 के चुनावों में इंदौर क्षेत्र में अपने नजदीकी प्रतिद्वन्द्वी कांग्रेस उम्मीदवार सत्यनारायण पटेल को चार लाख 66 हजार 901 मतों के विशाल अंतर से हराया था। तब वह एक ही सीट और एक ही पार्टी से लगातार आठ बार लोकसभा पहुंचने वाली देश की पहली महिला सांसद बन गयी थीं। वर्तमान में वे सबसे अधिक समय तक सेवा देने वाली महिला सदस्‍य हैं। 1989 से ही उन्‍होंने मध्‍यप्रदेश के इंदौर सीट का प्रतिनिधित्‍व किया। केंद्रीय मंत्री के तौर पर वे मानव संसाधन विकास, दूरसंचार और पेट्रोलियम मंत्री रही हैं।

बोलने का अंदाज प्रभावशाली

पांच बार लोकसभा सांसद रहे भाजपा के दिग्‍गज नेता हुकुमदेव नारायण यादव को लोकसभा में उनके बोलने के प्रभावशाली अंदाज के लिए जाना जाता है। ग्राम पंचायत से लेकर देश की पंचायत लोकसभा तक का सफर तय करने वाले हुकुमदेव नारायण ने 60 के दशक में राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। 1950 में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए। 10 साल तक सक्रिय भूमिका निभाने वाले हुकुमदेव 1977 में पहली बार सांसद बने इसके बाद से लगातार लोकसभा पहुंचते रहे हैं।

पहली बार लोकसभा में नहीं होंगे देवगौड़ा

पिछले तीन दशकों से कर्नाटक की बुलंद आवाज रहे पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा पहली बार लोकसभा में नजर नहीं आएंगे। इस बार के चुनाव में वह कर्नाटक की हासल सीट के बजाय तुमकुर क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन भाजपा प्रत्‍याशी वासवराज के हाथों 13 हजार मतों से हार गए हैं।

इससे पहले नहीं हारे थे कभी

कांग्रेस के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खड़गे अपनी राजनीतिक जीवन में कभी चुनाव नहीं हारे थे, लेकिन इस बार उन्‍हें भाजपा के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा। मल्लिकार्जुन खड़गे 2009 में पहली बार लोकसभा सदस्य चुने गए थे और 2014 में दूसरी बार चुनाव जीते तो उन्हें पार्टी ने कांग्रेस के संसदीय दल के नेता चुने गए। लोकसभा सदन में पांच साल तक मोदी सरकार को घेरने का काम करते रहे। कांग्रेस के पक्ष में मुद्दों को दमदार तरीके से उठाने का काम किया था। लेकिन चुनाव हार जाने के बाद इस बार लोकसभा में नहीं दिखेंगे।

मोदी के खिलाफ जमकर आवाज उठाते थे ज्योतिरादित्य सिंधिया

लोकसभा के सदन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ परछाईं की तरह नजर आने वाले पार्टी के दिग्गज और युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया  चुनाव हार गए । सदन में सिंधिया पांच साल तक मोदी सरकार के खिलाफ जमकर आवाज उठाते रहे। हालांकि अब सिंधिया लोकसभा के इस सत्र में सदन में नजर नहीं आएंगे।

इसके अलावा तारीक अनवर ने भी अपना कटिहार सीट खो दिया वहीं शिवसेना के अनंत गीते भी लोकसभा की राह पर रास्‍ता नहीं तय कर सकेंगे। लोकसभा का यह नया चेहरा भारतीय राजनीति में बदलाव लाने के संकेत दे रहा है। कुल नवनिर्वाचित 542 सदस्‍यों में से पहली बार लोकसभा आने वाले 300 नए चेहरे हैं।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.