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बदायूं में आस्था के नाम पर चल रहे मानसिक अस्‍पताल से 17 रोगियों को मुक्‍त कराया

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आस्था के नाम पर चल रहे एक मानसिक अस्पताल में जंजीरों से बांधकर रखे गए 17 मानसिक रोगियों को मुक्त करा दिया गया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 07 Jan 2019 08:46 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jan 2019 08:46 PM (IST)
बदायूं में आस्था के नाम पर चल रहे मानसिक अस्‍पताल से 17 रोगियों को मुक्‍त कराया
बदायूं में आस्था के नाम पर चल रहे मानसिक अस्‍पताल से 17 रोगियों को मुक्‍त कराया

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उत्तर प्रदेश में आस्था के नाम पर चल रहे एक मानसिक अस्पताल में जंजीरों से बांधकर रखे गए 17 मानसिक रोगियों को मुक्त करा दिया गया है।

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जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एसए नजीर की पीठ को सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सूचित किया कि अधिकारियों ने इस मामले का संज्ञान लिया। उन्होंने एक दल का गठन किया जो उत्तर प्रदेश के बदायूं जिला गया।

मेहता ने पीठ से कहा, 'यह मानसिक अस्पताल नहीं है। यह एक दरगाह जैसी है। ऐसी आस्था है कि मानसिक रोग से पीडि़त वहां पर रखे जाने से ठीक हो जाते हैं। लोगों को जंजीर से बांधकर रखा जाता है, ताकि वे भाग न जाएं। वहां 17 व्यक्ति जंजीरों से बंधे थे। सभी को मुक्त कर दिया गया। अब वे अपने परिवार के साथ हैं।'

शीर्ष अदालत अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल द्वारा दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बंसल का कहना था कि बदायूं जिले में आस्था पर आधारित मानसिक अस्पताल में मानसिक रोगियों को जंजीर में बांध कर रखा जा रहा है। यह मानसिक स्वास्थ्य देखभाल कानून-2017 का उल्लंघन है।

मेहता ने बताया कि अधिकारियों ने मरीजों को ठीक करने का दावा करने वाली एक महिला से इस तरह की गतिविधियां बंद करने को कहा। वहां एक बोर्ड लगा दिया गया कि इस तरह का उपचार नहीं किया जाता। मरीजों को उनके परिजन ही लेकर आए थे।

पीठ ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति मानसिक रोग से ग्रस्त है तो उसके इलाज की भी एक प्रक्रिया है। जस्टिस सीकरी ने टिप्पणी की, 'हम सभी अस्थायी रूप से ठीक हैं। कोई नहीं जानता कि कल क्या होगा?' इस पर हल्के-फुल्के अंदाज में मेहता ने कहा, अमेरिका में यह माना जाता है कि हर चौथा व्यक्ति किसी न किसी वजह से मनोचिकित्सक की सलाह ले रहा है।

पूरे देश में चल रही हैं ऐसी गतिविधियां
पीठ ने टिप्पणी की कि वहां ले जाए गए व्यक्ति रोगी हैं, लेकिन उन्हें लाने वाले मानसिक रोगी हैं। पीठ ने जानना चाहा, 'क्या इस तरह की गतिविधियां देश भर में चल रही हैं?' मेहता ने जवाब दिया, 'हां, पूरे देश में और सभी धर्मों में ऐसी गतिविधियां चल रही हैं।'

सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जारी किया नोटिस
इस बीच, कोर्ट ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल कानून-2017 के प्रावधानों पर अमल नहीं किए जाने को लेकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया। कोर्ट इस मामले में अब चार सप्ताह बाद सुनवाई करेगा।


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