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महाराष्ट्र के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अब करेंगे राजनीति, जानें इनके बारे में

चर्चा है कि एनकाउंटर विशेषज्ञ प्रदीप शर्मा को भाजपा उत्तर-पूर्व मुंबई की अंधेरी या पालघर जिले की नालासोपारा सीट से मैदान में उतार सकती है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 20 Jul 2019 09:20 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jul 2019 09:20 PM (IST)
महाराष्ट्र के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अब करेंगे राजनीति, जानें इनके बारे में
महाराष्ट्र के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अब करेंगे राजनीति, जानें इनके बारे में

मुंबई, आइएएनएस। महाराष्ट्र पुलिस के सीनियर इंस्पेक्टर और एनकाउंटर विशेषज्ञ प्रदीप शर्मा ने त्यागपत्र दे दिया है। शर्मा के भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना है। एक समय टाइम मैग्जीन के कवर पेज पर स्थान बनाने वाले प्रदीप शर्मा 150 से ज्यादा एनकाउंटर में शामिल रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश में पैदा हुए और महाराष्ट्र के धुले में पले-बढ़े प्रदीप शर्मा 1983 में महाराष्ट्र पुलिस में शामिल हुए थे। प्रदीप शर्मा ने 15 दिन पहले अपना त्यागपत्र डीजीपी को भेजा था, लेकिन अभी तक स्वीकार नहीं हुआ है। मई 2020 में सेवानिवृत्त होने वाले प्रदीप शर्मा लंबे समय से खुलेआम अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा बताते रहे हैं।

हालांकि शनिवार को जब मीडिया ने इस बारे में पूछा तो उन्होंने सीधा जवाब नहीं दिया। उन्होंने दावा किया कि अभी कुछ तय नहीं किया है। चर्चा है कि भाजपा उन्हें उत्तर-पूर्व मुंबई की अंधेरी या पालघर जिले की नालासोपारा सीट से मैदान में उतार सकती है।

दाऊद के भाई को किया था गिरफ्तार
महाराष्ट्र पुलिस में शामिल होने के कुछ दिन बाद उन्हें मुंबई क्राइम ब्रांच टीम का हिस्सा बनाया गया था। यह वह दौर था जब मुंबई में अंडरव‌र्ल्ड का राज हुआ करता था। इस टीम को ही मुंबई से अंडरव‌र्ल्ड को खत्म करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस टीम ने मुंबई में अंडरव‌र्ल्ड के 300 से ज्यादा अपराधियों को मार गिराया। शर्मा ने दाऊद के भाई इकबाल कासकर को गिरफ्तार कर जबरन वसूली रैकेट का पर्दाफाश किया था। प्रदीप शर्मा को अंडरव‌र्ल्ड में अपने नेटवर्क के लिए भी जाना जाता है।

फर्जी मुठभेड़ मामले में निलंबित भी हुए
2003 में संदिग्ध आतंकी की हिरासत में मौत पर उन्हें अमरावती ट्रांसफर कर दिया गया था। प्रदीप शर्मा को 2008 में एक फर्जी मुठभेड़ मामले में निलंबित कर दिया गया था। उन्होंने निलंबन के खिलाफ महाराष्ट्र हाई कोर्ट और महाराष्ट्र प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में लंबी लड़ाई लड़ी। 2016 में उन्हें बरी कर दिया गया।


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