संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार पर भारत का ये है सुझाव..
उन्होंने कहा कि यह हमारा मामला नहीं है कि जिस दस्तावेज को आपने तैयार किया है उसे केवल एक ही विकल्प माना जाना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र (आइएएनएस)। भारत ने कहा है कि सुरक्षा परिषद के सुधार पर सभी राष्ट्रों के विभिन्न विकल्पों और उनके अलग-अलग विचारों को एक दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। साथ ही उनके विचार या प्रस्तुतियों को अन्य दूसरों के मुकाबले प्राथमिकता देने का दबाव नहीं होनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सईद अकबरुद्दीन ने परिषद पर सुधार के बारे में अंतर-सरकारी बातचीत (आइजीएन) में ये बातें कहीं। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अंतर सरकारी वार्ता गुरुवार को शुरु की गई।
सुझाव पेश करने का मिले समान अवसर
अकबरुद्दीन ने कहा कि बहुपक्षवाद का पहला सिद्धांत समानता है। उन्होंने आगे कहा कि सभी को अपने सुझाव और विचारों को एक दस्तावेज के रूप में पेश करने का समान अवसर दिया जाना चाहिए। इस दौरान कोई भी ये नहीं कह सकता है कि उनके सिद्धांतों पर पहले चर्चा की जाए और बाकी देशों के सिद्धांतों पर चर्चा बाद में। उन्होंने कहा कि आईजीएन की प्रक्रिया एक दशक से इनपर चर्चा के लिए एक आधार बनाया गया है।
पाकिस्तान और इटली विरोध में
बताया जाता है कि इटली और पाकिस्तान दो ऐसे राष्ट्र हैं जो प्रारंभिक स्तर पर वार्ता के विरोध में शामिल है। उनका तर्क है कि जब तक सुधारों पर सहमति नहीं होती, तब तक इस संबंध में वार्ता नहीं की जा सकती। इस पर अकबरुद्दीन ने आगे कहा कि, एक प्रस्तुत दस्तावेज एक स्पष्टता प्रदान करेगा कि हम कहां खड़े हैं, हमारे पास विकल्प क्या हैं, और उसके अंतर-संबंध क्या है।
पेश किये जाने वाले दस्तावेज हों महत्वपूर्ण
उन्होंने कहा कि यह हमारा मामला नहीं है कि जिस दस्तावेज को आपने तैयार किया है उसे केवल एक ही विकल्प माना जाना चाहिए। हर समूह में हर विकल्प को बदला जा सकता है।" अकबरुद्दीन ने कहा कि सुधार की आवश्यकता पर आम सहमति है लेकिन दस्तावेज़ की कमी के चलते आगे की कार्रवाई नहीं हो पाई है जिसके आधार पर आगे की वार्ता की शुरुआत की जा सके। अकबरुद्दीन ने कहा, "जिस दस्तावेज को आप पेश करते हैं उसमें उन सिद्धांतों को बताने की जरूरत है जो महत्वपूर्ण हो और दूसरे राष्ट्र इसे एक विकल्प की तरह ले सकें।
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