इदलिब में पहले तुर्की तो अब सीरिया का हवाई हमला, वर्षों से बना है युद्ध का 'Testing Ground'
सीरियाई प्रांत इदलिब बीते कुछ दिनों से लगातार हमले झेल रहा है। ईयू ने भी इस पर चिंता जताई है। वहीं जानकार इन सभी के पीछे अमेरिका को दोष दे रहे हैं।
दमिश्क। सीरिया की जमीन वर्षों से अमेरिका, रूस, तुर्की, इजरायल के लिए किसी युद्ध क्षेत्र की तरह बन गया है। यहां पर दो दशक से जंग छिड़ी हुई है। हर रोज यहां पर लोग मरते हैं, हर रोज बमबारी होती है। कहने का अर्थ है कि यहां के लोगों का जीवन हर रोज डर के साए में गुजरता है। यहां के शहर इदलिब पर दो दिन पहले तुर्की ने सीरियाई फौज पर हमला किया था। इसके जवाब में अब सीरिया ने तुर्की पर जबरदस्त हवाई हमला किया है। इस हमले में तुर्की के 33 जवानों के मारे जाने की खबर है। इसके अलावा कई अन्य घायल हुए हैं। बीते कुछ वर्षों में एक ही दिन में पहली बार इतनी संख्या में मौत हुई है। इसके जवाब में तुर्की के रक्षा मंत्री ने 200 से अधिक सीरियाई ठिकानों पर ड्रोन से हमला करने की बात कही है। तुर्की की तरफ से ये हला राष्ट्रपति की आपात बैठक के बाद किया गया है।
इदलिब में फिलहाल जिन विद्रोहियों का कब्जा है उन्हें सीरियाई सरकार तुर्की समर्थक मानती आई है। वहीं रूस भी इसी कोशिश में रहता है कि इन विद्रोहियों को यहां से खदेड़ा जा सके। रूस भी इदलिब में मौजूद सीरियाई विद्रोहियों को आतंकी बताता आया है और तुर्की पर इनको समर्थन देने का आरोप भी लगाता आया है। हालांकि इस बार रूस ने तुर्की के साथ मिलकर इदलिब की समस्या हल करने की बात जरूर कही है। इस बाबत रूस के विदेश मंत्री ने तुर्की के राष्ट्रपति से भी बात की है। इदलिब की समस्या को लेकर यूरापीय संघ भी चिंतित दिखाई दे रहा है। ईयू की तरफ से कहा गया है कि यदि ये समस्या समय रहते हल न हुई तो दुनिया के सामने बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।
समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक सीरिया की सीमा से सटे तुर्की के हातय प्रांत के गवर्नर रहमी डोगन ने कहा है कि घायल सैनिकों को इलाज के लिए तुर्की के अस्पताल ले जाया गया है। अमेरिका ने जहां इस हमले की निंदा की है वहीं तुर्की को समर्थन देने की बात कही है। आपको बता दें कि तुर्की नाटो में शामिल है। नाटो प्रमुख जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने इस स्थिति को खतरनाक करार देते हुए सभी पक्षों से तनाव कम करने की अपील की है। उन्होंने इस बाबत तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत चावुशोग्लु से फोन पर बात भी की है।
अमेरिका ने यहां तक कहा है कि इस हमले के बाद तुर्की को रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली को लेकर किया गया सौदा रद कर देना चाहिए। वहीं रूस ने अपने हाथ खड़े करते हुए साफ कर दिया है कि ये हमला उसने नहीं किया है। इदलिब की हालत पर इन देशों के अलावा संयुक्त राष्ट्र की भी नजर लगी हुई है। संयुक्त राष्ट्र यहां पर काफी समय से शांति बहाली की अपील करता रहा है। इस बार भी संयुक्त राष्ट्र ने इदलिब में हुए हमले के बाद तेजी से बढ़ते जोखिम पर चिंता जाहिर की है। यूएन महासचिव अंटोनियो गुटेरेस ने तत्काल युद्धविराम की अपील करते हुए एक बयान में चेतावनी भी दी है कि यदि ऐसा न हुआ तो जोखिम और तनाव दोनों ही बढ़ जाएंगे।
इदलिब की स्थिति को यदि थोड़ा और ध्यान से देखा जाए तो इसमें वर्ष 2018 में रूस और तुर्की के बीच हुआ समझौते को जानना जरूरी हो जाता है। इसके तहत इदलिब के सीमावर्ती इलाकों में तुर्की की 12 निगरानी चौकियां स्थापित की गई थीं। लेकिन इनके बन जाने के बाद से ही ये सीरियाई सेना के निशाने पर रही हैं। सीरियाई पत्रकार वईल अवाद वहां के खराब होते हालातों के लिए अमेरिका को एकमात्र बड़ा कारण मानते हैं। उनका कहना है कि अमेरिका जहां-जहां गया वहां केवल तबाही ही मचाई, फिर चाहे वो अफगानिस्तान हो या इराक। उनके मुताबिक जब तक अमेरिका वहां से पूरी तरह से नहीं चला जाता है तब तक हालात काबू में नहीं होंगे।
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