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अमेरिका ने ईरान के तेल खरीदारों को प्रतिबंधों में छूट नहीं देने का फैसला किया, भारत को भी झटका

ट्रंप ने भारत समेत ईरान के आठ तेल खरीदारों को मई से प्रतिबंधों में कोई भी छूट नहीं देने का फैसला किया। अमेरिका के इस कदम से भारत के ऊर्जा सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 08:45 PM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 10:05 PM (IST)
अमेरिका ने ईरान के तेल खरीदारों को प्रतिबंधों में छूट नहीं देने का फैसला किया, भारत को भी झटका
अमेरिका ने ईरान के तेल खरीदारों को प्रतिबंधों में छूट नहीं देने का फैसला किया, भारत को भी झटका

वाशिंगटन/नई दिल्‍ली, एजेंसी। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने सोमवार को भारत समेत ईरान के आठ तेल खरीदारों को मई महीने से प्रतिबंधों में कोई भी छूट नहीं देने का फैसला किया है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सेंडर्स ने यह जानकारी दी। अमेरिका के इस कदम से भारत के ऊर्जा सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, भारत ने कहा है कि वह तेल आपूर्ति में संभावित कमी को पूरा करने के लिए अपने वैकल्पिक स्रोतों को आजमाएगा। बता दें कि भारत, ईरान का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार है।

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व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राष्‍ट्रपति ट्रंप ने तेल खरीद प्रतिबंधों संबंधी छूट 'सिग्निफ‍िकेंट रिडक्‍शन एक्‍सेप्‍शंस' (महत्वपूर्ण कटौती अपवाद, SREs) को फिर से जारी नहीं करने का फैसला किया है। तेल खरीद प्रतिबंधों संबंधी इस छूट की मियाद मई की शुरुआत में समाप्‍त हो रही थी। इस फैसले का मकसद ईरान के तेल निर्यात को धरातल पर लाना है, जो कि इस देश के राजस्व का प्रमुख जरिया है।

उल्‍लेखनीय है कि ईरान के परमाणु समझौते से बाहर जाने के बाद अमेरिका ने पिछले साल नवंबर में ईरान पर प्रतिबंधों को फिर से लगा दिया था। अमेरिका के मौजूदा कदम को ईरान पर ट्रंप प्रशासन के 'अधिकतम दबाव' के तौर पर देखा जा रहा है। पिछले साल अमेरिका ने ईरान से तेल आयात पर भारत, चीन, तुर्की और जापान सहित आठ देशों को 180 दिनों की अस्थायी छूट दी थी। इस छूट के खत्म होने से एशियाई खरीदारों पर तगड़ी मार पड़ने की आशंका है। 

ट्रंप प्रशासन के ताजा फैसले से भारत समेत आठ देशों को आगामी दो मई तक ईरान से तेल के अपने आयात को नीचे लाना होगा। जबकि, ग्रीस, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान ने पहले ही ईरान से अपने तेल आयात में भारी कमी कर दी है। दुनिया में सऊदी अरब और इराक के बाद ईरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। ईरान ने अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 के दौरान भारत को 18.4 मिलियन टन कच्चे तेल की आपूर्ति की है।  

ईरान से क्रूड आयात पर लगे अमेरिकी प्रतिबंध से भारत सहित कुछ देशों को मिली छूट के खत्म होने की आशंका से सोमवार को देश के शेयर बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गई। बीएसई का सेंसेक्स 495.10 अंकों की गिरावट के साथ 38,645.18 पर जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 158.35 अंकों की गिरावट के साथ 11,594.45 पर बंद हुआ। सेंसेक्स और निफ्टी में 21 दिसंबर के बाद की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट है। 

इस नए घटनाक्रम के बाद रियाद ने कहा है कि अमेरिका के फैसले के मद्देनजर वह बाजार में तेल की किमतों को स्थिर रखने के लिए प्रतिबद्ध है। सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री खालिद अल-फलीह ने कहा है कि देश लंबे समय से चली आ रही अपनी नीति पर अडिग है। हमारी नीति है कि हम बाजारों में तेल की कीमतें स्थिर रखने की कोशिश करेंगे। इसके अलावा, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात ने भी बाजार में वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए उचित कदम उठाने को लेकर रजामंदी जताई है।


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