सुषमा ने कहा- गांधी और मंडेला ने भेदभाव का सामना कर रहे लोगों में जगाई थी उम्मीद
सुषमा स्वराज ने महात्मा गांधी को ट्रेन से उतारे जाने की घटना की याद में गुरुवार को पेंट्रिच से पीटरमारित्जबर्ग तक की यात्रा ट्रेन से की।
पीटरमारित्जबर्ग, प्रेट्र। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार को यहां कहा कि महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका में भेदभाव का सामना कर रहे लोगों में उम्मीद जगाई थी। अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत और दक्षिण अफ्रीका की नई भूमिका का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'हमारी वजह से दुनिया बेहतर स्थान है। दुनिया को हमसे बहुत कुछ पाना है। अगुआई के लिए दुनिया हमारी ओर देख रही है।'
-विदेश मंत्री ने कहा, नेतृत्व के लिए भारत और दक्षिण अफ्रीका की ओर देख रही दुनिया
दक्षिण अफ्रीका के पांच दिवसीय दौरे पर आई भारतीय विदेश मंत्री यहां महात्मा गांधी को एक ट्रेन से जबरन उतारे जाने की घटना की 125वीं बरसी पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित रही थीं। सात जून, 1993 को युवा वकील मोहनदास करमचंद गांधी को पीटरमारित्जबर्ग स्टेशन पर उस समय ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया था जब वह प्रथम श्रेणी के डिब्बे में सफर कर रहे थे। यह डिब्बा श्वेत लोगों के लिए आरक्षित था। सुषमा ने कहा, 'यह वही पीटरमारित्जबर्ग है जहां दोनों महान नेताओं ने लोगों की उम्मीद को नए सिरे से परिभाषित किया था।' सुषमा ने मंडेला के उस बयान का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने 25 साल पहले गांधी की एक प्रतिमा के अनावरण के मौके पर कहा था, 'हमें महात्मा गांधी की शिक्षाओं पर हमेशा गौर करना होगा।'
विदेश मंत्री ने रंगभेद के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका के लोगों के संघर्ष में भारतवंशियों की भूमिका का जिक्र करते हुए उनकी सराहना की। उन्होंने यह भी बताया कि 1946 में भारत पहला देश था जिसने दक्षिण अफ्रीका की नस्ली सरकार से राजनयिक, कारोबारी और सांस्कृतिक संबंध तोड़ लिए थे। रंगभेद समाप्त होने के बाद 1993 में भारत ने दक्षिण अफ्रीका से फिर संबंध स्थापित कर लिए थे।
स्वराज ने की ट्रेन यात्रा
सुषमा स्वराज ने महात्मा गांधी को ट्रेन से उतारे जाने की घटना की याद में गुरुवार को पेंट्रिच से पीटरमारित्जबर्ग तक की यात्रा ट्रेन से की। उन्होंने इस मौके पर महात्मा गांधी की एक प्रतिमा का अनावरण किया।