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श्रीलंका में दो प्रधानमंत्री, संकट गहराया; संसद में होगा बहुमत का फैसला

स्पीकर ने कहा है कि राष्ट्रपति सिरिसेना प्रधानमंत्री के रूप में विक्रमसिंघे की सुरक्षा और अन्य सुविधाओं को बहाल करें, क्योंकि उन्हें उस हैसियत के लिए जनादेश मिला है।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 29 Oct 2018 09:45 AM (IST)Updated: Mon, 29 Oct 2018 09:45 AM (IST)
श्रीलंका में दो प्रधानमंत्री, संकट गहराया; संसद में होगा बहुमत का फैसला
श्रीलंका में दो प्रधानमंत्री, संकट गहराया; संसद में होगा बहुमत का फैसला

कोलंबो, एजेंसी। श्रीलंका में राष्ट्रपति के फैसले को झटका देते हुए संसद के स्पीकर कारू जयसूर्या ने रानिल विक्रमसिंघे को देश के प्रधानमंत्री के रूप में मान्यता दी है। उन्होंने कहा, विक्रमसिंघे को लोकतंत्र मजबूत करने और सुशासन के लिए जनादेश मिला है। स्पीकर के रुख से बर्खास्त प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे के दावे को ताकत मिली है। श्रीलंका में दो प्रधानमंत्री होने के हालात पैदा हो गए हैं।

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राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने शुक्रवार को विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिला दी थी। रविवार को राष्ट्रपति ने देश के समक्ष फैसले को सही ठहराने की कोशिश की, जबकि नवनियुक्त प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने देश में जल्द संसदीय चुनाव करवाने की बात कही है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें बधाई दी है।

एक अन्य घटनाक्रम में निवर्तमान पेट्रोलियम मंत्री अर्जुन रणतुंगा को बंधक बनाने की कोशिश की गई। सुरक्षाकर्मियों द्वारा की गई फायरिंग में एक व्यक्ति की मौत हो गई, दो घायल हुए हैं। राष्ट्रपति सिरिसेना को लिखे पत्र में स्पीकर जयसूर्या ने संसद को 16 नवंबर तक निलंबित करने के फैसले पर भी सवाल उठाया है। कहा है कि इस फैसले का देश पर गंभीर और नकारात्मक असर पड़ सकता है। संसद के निलंबन के फैसले से पहले राष्ट्रपति की स्पीकर से परामर्श की भी जिम्मेदारी बनती है। फैसले के पुनर्विचार की मांग की गई है।

स्पीकर ने कहा है कि राष्ट्रपति सिरिसेना प्रधानमंत्री के रूप में विक्रमसिंघे की सुरक्षा और अन्य सुविधाओं को बहाल करें, क्योंकि उन्हें उस हैसियत के लिए जनादेश मिला है। विक्रमसिंघे ने अपने पक्ष में बहुमत होने का दावा करते हुए शनिवार को जयसूर्या से मुलाकात की थी और संसद आहूत करने का अनुरोध किया था। सिरिसेना के संसद को निलंबित करने के फैसले के पीछे राजपक्षे को बहुमत का इंतजाम करने के लिए समय देना माना जा रहा है।

इस बीच भारतीय मूल के तमिल यूएनपी सांसद वाडीवेल सुरेश के रविवार सुबह पाला बदलने की सूचना है। वह विक्रमसिंघे का साथ छोड़कर राजपक्षे से मिल गए हैं। शुक्रवार रात से पाला बदलने वाले वह दूसरे यूएनपी सांसद हैं। स्पीकर जयसूर्या ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा है कि संसद में बहुमत खोने के बाद ही विक्रमसिंघे प्रधानमंत्री पद से हट सकते हैं और अन्य कोई प्रधानमंत्री बन सकता है। जयसूर्या ने पत्र में राजपक्षे के पद संभालने के बाद कुछ संस्थाओं पर जबरन कब्जे की घटनाओं का जिक्र करते हुए आपत्ति जताई है। संसद में विक्रमसिंघे हैं भारी 225 सदस्यीय श्रीलंकाई संसद में विक्रमसिंघे की पार्टी यूएनपी के 106 सदस्य हैं, जो बहुमत से सिर्फ सात सदस्य कम है। विक्रमसिंघे को अन्य कई दलों का भी समर्थन प्राप्त है, जबकि सिरिसेना और राजपक्षे गठबंधन के पास 98 सदस्य हैं। मा‌र्क्सवादी जेवी पार्टी के सदन में छह और तमिल नेशनल एलायंस के 16 सांसद हैं। ये दोनों ही पूरे घटनाक्रम पर शांत हैं और तटस्थ बने हुए हैं। पालाबदल की स्थिति में समर्थन का यह आंकड़ा बदल सकता है।

सुशासन के मानदंडों को विक्रमसिंघे ने बर्बाद किया
सिरिसेना विक्रमसिंघे को बर्खास्त करने के बाद राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति सिरिसेना ने कहा कि प्रधानमंत्री के रूप में विक्रमसिंघे को आम आदमी की आकांक्षाओं का खयाल नहीं था। वह अपने इर्द--गिर्द के चंद लोगों के बीच फंसकर रह गए थे और उनकी सलाह पर काम करते थे। विक्रमसिंघे ने सुशासन के मानदंडों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया। भ्रष्टाचार और अराजक तरीके से सरकार चला रहे थे। वह अहंकार में डूबकर मनमाने फैसले कर रहे थे और सरकार चलाने की सामूहिक जिम्मेदारी का मजाक उड़ा रहे थे। इसी के चलते हमारे बीच नीतियों को लेकर भारी मतभेद पैदा हो गया। राष्ट्रपति ने गठबंधन सरकार में शामिल यूएनपी नेताओं पर अपनी (सिरिसेना की) हत्या की साजिश की जांच में ढिलाई बरतने का भी आरोप लगाया। राष्ट्रपति ने कहा, राजपक्षे की नियुक्ति कानून के विशेषज्ञों की राय लेकर की गई

श्रीलंका राजनीतिक हालात पर भारत की नजर
भारत ने कहा है कि वह श्रीलंका के राजनीतिक हालात पर नजर रखे हुए है। उसे उम्मीद है कि वहां पर लोकतांत्रिक मूल्यों संवैधानिक मान्यताओं का सम्मान किया जाएगा। श्रीलंका में तीन दिन से बदल रहे राजनीतिक हालात पर भारत बारीकी से नजर रख रहा है। विदेश मंत्रालय ने रविवार को सधी हुई प्रतिक्रिया व्यक्त की। प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, भारत अपने घनिष्ठ पड़ोसी और लोकतांत्रिक देश श्रीलंका की राजनीतिक गतिविधियों पर नजर रखे हुए है। वह चाहता है कि वहां पर सब कुछ लोकतांत्रिक और संवैधानिक मान्यताओं के अनुरूप हो। प्रवक्ता ने कहा, श्रीलंका के साथ मैत्री संबंध को बरकरार रखते हुए भारत उसके विकास में लगातार योगदान देता रहेगा। भारत इस द्वीपीय देश की कई विकास परियोजनाओं में शामिल है।


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