जानिए - नेपाल में भारतीय बसों के संचालन पर क्यों उठ रहे सवाल Gorakhpur News
नेपाल में इस दिनों प्राइवेट भारतीय बसों का संचालन बढ़ता जा रहा है। जो भंसार कराकर नेपाल की सड़कों पर फर्राटा भरते हैं। जिससे नेपाल वाहन संचालकों का कार्य प्रभावित हो रहा है।
गोरखपुर, जेएनएन। नेपाल में इस दिनों प्राइवेट भारतीय बसों का संचालन बढ़ता जा रहा है। जो भंसार कराकर नेपाल की सड़कों पर फर्राटा भरते हैं। जिससे नेपाल वाहन संचालकों का कार्य प्रभावित हो रहा है।
अधिकारियों से की गई शिकायत
नेपाल के रुपंदेही जिले के विधायक संतोष पांडेय, समाजवादी पार्टी के नेता उज्ज्वल पोखरेल, नरेश अधिकारी, ओमप्रकाश श्रेष्ठ, अजय शर्मा, विक्रम गुरुंग, सूरज सिंह भाने, उत्तम पुन आदि ने शिकायती पत्र के माध्यम से कहा कि भारतीय चारपहिया वाहन व बस भंसार शुल्क जमा कर नेपाल में प्रवेश कर लेती है लेकिन वह नेपाल में आकर सवारियों को भरती है। जो कि नेपाली वाहनों के साथ डग्गामारी है।
काठमांडू से दिल्ली चलने वाली बसों पर भी उठाए सवाल
इसमें कई बसे यात्रियों को काठमांडू व पोखरा तक छोडऩे जाती हैं। लेकिन वापसी में रुक-रुक कर सवारी भरते हुए आती है। लोगों ने अवैध रूप से संचालित भारतीय वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग किया है। इसके अलावा काठमांडू से दिल्ली चलने वाली बसों पर भी सवाल उठाए गए हैं।
नेपाल के पूर्व मंत्री देवेंद्र राज कंडेल ने भारतीय नागरिक होने से किया इन्कार
उधर, नेपाल के पूर्व मंत्री देवेंद्र राज कंडेल ने अपने को भारत का नागरिक मानने से इन्कार किया है। यूपी के महराजगंज जिले में एक शिक्षण संस्थान प्रबंधन का नेतृत्व करने वाले कंडेल ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि यह निराशाजनक है कि झूठी जानकारी के आधार पर उन्हें विवाद में घसीटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी दादी राधा कुमारी के नाम पर उनके परिवार ने शिक्षण संस्थान की स्थापना नेपाल-भारत सीमा से लगभग 200 मीटर की दूरी पर की थी। भारत में स्कूल की स्थापना इसलिए करनी पड़ी क्योंकि तत्कालीन नेपाली शासन ने नेपाल में स्थापना की अनुमति नहीं दी। विद्यालय स्थापना के समय से ही मेरे परिवार के संरक्षण में रहा है। पहले मेरी दादी इसकी संरक्षक थीं, फिर मेरे पिता पृथ्वी राज कंडेल और अब मैं इसका संरक्षक हूं।
कहा, प्रतिद्वंद्वी मुझे भारतीय नागरिक साबित करना चाहते हैं
मुझे केवल इसलिए भारतीय नागरिक करार देना गलत है कि मैं विद्यालय का प्रबंधन संभालता हूं। मेरे प्रतिद्वंदियों ने इसे लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमा दायर कर रखा है। आश्चर्य है कि नेपाल में कुछ लोग मुझे एक भारतीय के रूप में साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। चूंकि मैं भारत में एक अदालती मामला लड़ रहा हूं, इसलिए मेरे प्रतिद्वंद्वी मुझे भारतीय नागरिक साबित करना चाहते हैं। अगर भारत में किसी भी मतदाता सूची में उनका नाम दर्ज हो, तो वह कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार हैं। जब वह भारत में पढ़ रहे थे, वहां ड्राइविंग लाइसेंस जरूर हासिल किया था। लेकिन इससे यह साबित नहीं होता कि वह भारतीय नागरिक हैं। जब वह 2002 में राज्य के गृह मंत्री थे, माओवाद आंदोलन के दौरान विद्रोहियों ने उन पर 16 गोलियां चलाई थीं। उनके सीने में भी एक गोली लगी थी।