Quad Summit 2022: ...तो इसलिए क्वाड से भयभीत है चीन, भारत को हो सकते ये पांच आर्थिक लाभ
क्वाड के विस्तार को लेकर सबसे अहम पहल हुई तीन मार्च 2021 को जब व्हाइट हाउस ने अंतरिम राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतिक दिशानिर्देश जारी किए। 12 मार्च 2021 को जो बाइडन की अध्यक्षता में क्वाड देशों के प्रमुखों की वचरुअल बैठक हुई।
नई दिल्ली, जेएनएन। एक समुद्री आपदा से आरंभ हुआ आपसी सहयोग का सिलसिला अब रक्षा, तकनीक, ऊर्जा, व्यापार में एक दूसरे सहायता से होता हुआ हिंद व प्रशांत महासागर क्षेत्र की रणनीतिक व सामरिक सुरक्षा तक आ गया है। बात हो रही है क्वाड यानी क्वाडिलैटरल सिक्योरिटी डायलाग की जो भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के बीच एक मजबूत मंच है।
विश्व को बेहतर व शांत स्थान बनाए रखने और चीन की विस्तारवादी महत्वाकांक्षाओं को नियंत्रण में रखने के लिए इसी क्वाड की अहम बैठक टोक्यो में 24 मई को होनी है। चीन को क्वाड से आपत्ति है और वह इसे एशियाई नाटो बता चुका है। क्वाड देश आपसी सहयोग के साथ ही चीन के बढ़ते प्रभाव को थामने पर भी विचार करते रहे हैं। इस क्रम में यह बैठक बहुत अहम है। आइए समझें क्या है क्वाड और चीन इससे भयभीत क्यों होता है:
2010 में ड्रैगन का अवरोध
- वर्ष 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने क्वाड का विधिवत गठन किया। तब से वर्ष 2010 तक प्रतिवर्ष क्वाड की बैठक हुईं। फिर अगले सात वर्ष के लिए विराम लग गया।
- चीन ने आस्ट्रेलिया पर काफी दबाव बनाया जिसके बाद वहां के तत्कालीन पीएम केविन रुड ने 2010 में इस संगठन की बैठकों में शामिल न होने का निर्णय किया।
- एकबारगी चीन क्वाड को समाप्त करने की अपनी साजिश में सफल होता दिख रहा था, लेकिन सात वर्ष बाद 2017 में जापान के पीएम शिंजो आबे,भारतीय पीएम नरेन्द्र मोदी, अमेरिका के तब के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और आस्ट्रेलिया के तत्कालीन पीएम मैल्कम टर्नबुल ने फिर क्वाड शुरू करने का निर्णय किया।
- सबसे अहम रहा वर्ष 2021 का वचरुअल शिखर सम्मेलन जब क्वाड नेताओं ने चीन को स्पष्ट संदेश देते हुए एक मुक्त, खुला और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने की बात कही।
चीन की आपत्ति और नाटो से तुलना
- वर्ष 2020 में मालाबार में नौसेना अभ्यास के समय तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने क्वाड को एशिया का नाटो बनाने के लिए इसके सदस्यों से विमर्श किया था।
- इस कदम को साउथ चाइना मार्निग पोस्ट अखबार में लेख के माध्यम से एक विशेषज्ञ ने चीन की बढ़ती शक्ति को रोकने के लिए बनाया जा रहा बांध कहा था। चीन के एक राजनयिक ने क्वाड देशों के इस प्रयास का विरोध किया था।
- उस समय श्रीलंका के विदेश सचिव ने क्वाड को नाटो बनाने की पहल को हंिदू महासागर का सैन्यीकरण बताया था। इसके बीच ही जापान, अमेरिका और कनाडा ने अक्टूबर में ताइवान स्ट्रेट्स में साझा नौसेना अभ्यास किया था।
तो इसलिए क्वाड से भयभीत है चीन
- चीन बीते कुछ वर्षो से एशिया में अपनी ताकत बढ़ा रहा है क्योंकि वह अमेरिका के बराबर विश्व शक्ति बनना चाहता है। क्वाड का सदस्य होने और मजबूत होती इकोनमी के कारण भारत को दबा पाना चीन के लिए आसान नहीं है और विश्व के तीन कोनों में बैठे अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के साथ उसकी बढ़ती नजदीकी चीन के लिए चिंता का सबब है।
- क्वाड में शामिल किसी भी देश से चीन के संबंध बहुत मजबूत नहीं हैं। भारत के साथ उसकी सीमा लगती है, दक्षिण व पूर्वी चीन सागर में उसकी हरकतों के कारण आस्ट्रेलिया और जापान को आपत्ति होती है। अमेरिका तो वैश्विक सुपरपावर है ही। इसी कारण चीन को क्वाड से भय लगता है।
- चीन ने कई बार क्वाड को एशियाई नाटो कहा है और उसके विदेश प्रवक्ता वांग वेनबिन ने इसे शीतयुद्ध के साथ जोड़ते हुए सैन्य टकराव की आशंका तक जाहिर की थी।
क्वाड के विस्तार की योजना
- 12 मार्च 2021 को जो बाइडन की अध्यक्षता में क्वाड देशों के प्रमुखों की वचरुअल बैठक हुई और उच्च स्तरीय क्वाड वैक्सीन विशेषज्ञ समूह, द क्वाड क्लाइमेट वर्किग ग्रुप और द क्वाड क्रिटिकल एंड इमर्जिग टेक्नोलाजी ग्रुप बनाने की घोषणा की गई।
- क्वाड देशों की रणनीति थी कि एशियाई देशों को वैक्सीन वितरण किया जाए ताकि इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम किया जा सके।
- मार्च 2020 में क्वाड सदस्यों ने न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया और वियतनाम के साथ के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की, मुद्दा था कोरोना महामारी से निपटने की तैयारियां। हंिदू-प्रशांत क्षेत्र में आकार ले रहे देशों के इस नए समूह को क्वाड प्लस की संज्ञा दी गई।
भारत को हो सकते ये पांच आर्थिक लाभ
सेमीकंडक्टर: सेमीकंडक्टर बनाने में आत्मनिर्भरता क्वाड देशों का एजेंडा है। यह भारत का भी प्रमुख उद्देश्य है। वह क्वाड देशों के साथ अपनी धरती पर सेमीकंडक्टर उत्पादन इकाई के लिए आगे बढ़ सकता है।
नए जमाने की तकनीकी सेवाएं : संचार के क्षेत्र में 5जी सेवा को विस्तार देने पर क्वाड देशों में सहमति है। सुरक्षा कारणों से चीनी कंपनियों पर सदस्य देश प्रतिबंध लगा चुके हैं। भारतीय कंपनियां इसका लाभ ले सकती हैं।
दुर्लभ खनिजों के क्षेत्र में : बढ़ती तकनीकी दुनिया में स्मार्टफोन, लैपटाप, हाइब्रिड कार, पनचक्की, सोलर सेल व अन्य कई तकनीकी वस्तुओं में प्रयोग किए जाने वाले दुर्लभ खनिज के लिए चीन पर निर्भरता अधिक है। भारत में इस प्रकार के खनिज तत्वों (लैंथेनाइड, स्कैंडियम और यटियम) के वैश्विक भंडार का छह प्रतिशत भंडार है।
व्यापार बढ़ाना : वर्ष 2019-2020 में भारत के कुल व्यापार का 15 प्रतिशत अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के साथ था। इस व्यापारिक रिश्ते को क्वाड के माध्यम से और मजबूत किया जा सकता है।
बुनियादी ढांचे का विकास : चीन की बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव योजना को टक्कर देने के लिए क्वाड देशों ने क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट योजना बनाई है। भारत में भी नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआइपी) पर काम हो रहा है। जापान पहले से ही भारत में कई परियोजनाओं में काम कर रहा है। अमेरिका और आस्ट्रेलिया के साथ भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ा जा सकता है।
अब हो रही बैठक में क्या होगा
- 24 मई को होने वाली बैठक में क्वाड नेताओं के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी जिसमें रक्षा, विज्ञान, तकनीक, ऊर्जा, व्यापार शामिल हैं।
- चीन की आपत्ति और नाटो से तुलना
- वर्ष 2021 में चीन के राजदूत ली जिमिंग ने भी बांग्लादेश को यह कहते हुए क्वाड का सदस्य न बनने के लिए चेतावनी दी थी कि इससे दोनों देशों के बीच संबंध खराब होंगे। बांग्लादेश ने चीन की इस टिप्पणी का कड़ा प्रतिरोध करते हुए इसे संप्रभुता पर हमला बताया था।
- चीन के विदेश मंत्रलय ने इस मामले में अपने राजनयिक का बचाव किया था और कहा था कि हम सब जानते हैं कि क्वाड किस तरह का संगठन है। इसका हम विरोध करते हैं।