'महिलाओं के लिए खतरनाक है तालिबान से हुआ समझौता, वर्षों की मेहनत पर फिर जाएगा पानी'
एक तरफ तालिबान कैदियों की रिहाई पर अफगानिस्तान सरकार ने मुहर लगा दी है तो दूसरी तरफ अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी ने समझौते को महिलाओं के लिए खतरनाक बताया है।
काबुल/न्यूयॉर्क। अफगानिस्तान सरकार के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने सभी तालिबानी कैदियों की रिहाई पर दस्तखत कर दिए हैं। उनके इस आदेश को तालिबान के साथ अफगानिस्तान सरकार के बातचीत शुरू करने से पहले सदभावना की कार्यवाही माना जा रहा है। अफगानिस्तान के अखबार टोलो न्यज के मुताबिक आदेश के तहत अफगानिस्तान की सरकार बायोमैट्रिक प्रोसेस के बाद सभी 5000 तालिबानी लड़ाकों को रिहा कर देगी। इनकी रिहाई को लेकर एक रोड़मैप भी तैयार कर लिया गया है। लेकिन तालिबानी लड़ाकों की वापसी और उनके सरकार की तरफ बढ़ते कदमों को अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन खतरनाक समझौता मान रही हैं।रॉयटर के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र में अफगान महिलाओं के हकों पर बोलते हुए उन्होंने साफतौर पर अमेरिका-तालिबान समझौते को वहां की महिलाओं के लिए नुकसानदेह माना है। उनका कहना है कि इस समझौते के बाद वहां की महिलाओं को अपनी आजादी छिन जाने का खौफ है।
आगे बढ़ने से पहले आपको बता दें कि अफगानिस्तान सरकार ने तालिबानी लड़ाकों की रिहाई पर जो अंतिम मुहर लगाई है उसके मुताबिक सभी लड़ाकों को लिखित तौर पर ये देना होगा कि वह दोबारा लड़ाई की तरफ अपना रुख नहीं करेंगे। 14 मार्च से अफगानिस्तान की सरकार करीब 1500 तालिबानी कैदियों को रिहा करेगी। हर रोज करीब 100 कैदियों की रिहाई की जाएगी। कैदियों की ये रिहाई उनकी उम्र, हैल्थ स्टेटस और उनकी सजा का बचा समय को देखते हुए तय की जाएगी। तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच वार्ता की शुरुआत होने के बाद दो सप्ताह के अंदर 500 कैदियों की रिहाई की जाएगी। धीरे-धीरे सभी कैदियों को रिहा कर दिया जाएगा।
टोलो न्यूज के मुताबिक तालिबान कैदियों की ये रिहाई और इससे जुड़ा पूरा प्रोसेस नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की देखरेख में होगा। अफगानिस्तान की एक स्वतंत्र संस्था मानवाधिकार आयोग ने सरकार के इस कदम को आपसी विश्वास बहाल करना करार दिया है। हालांकि इसके उप प्रमुख नईम नाजरी का कहना है कि देश और अंतरराष्ट्रीय कानून इस बात की इजाजत नहीं देता है कि राष्ट्रपति किसी भी ऐसे व्यक्ति को रिहा करे जो युद्ध अपराध के तहत पकड़ा गया हो। गौरतलब है कि तालिबान ने अपने सभी 5 हजार कैदियों की लिस्ट अमेरिका के मातहत अफगान सरकार को पहले ही सौंप दी थीं।
अमेरिका तालिबान समझौते से खफा अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने यहां तक कहा कि ये समझौता अफगानिस्तान में शांति की राह नहीं खोलेगा क्योंकि इसमें वहां की सरकार को शामिल नहीं किया गया था। अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी द्वारा तालिबान कैदियों की रिहाई के आदेश पर दस्तखत करने से दो दिन पहले उन्होंने ये बात कही थी। उन्होंने ये भी कहा है कि अफगान महिलाओं को जो आजादी अमेरिका की पूर्व की सरकारों की बदौलत मिली थी इस समझौते से वो खो जाएगी और इतने वर्षों की मेहनत पर पानी फिर जाएगा। ।
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