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हताश पाकिस्तान का आतंकवाद को जीवित रखने का नया तरीका, मादक तस्करी को बनाया हथियार

भारत में हथियारों के साथ मादक पदार्थ भेजकर उनसे जुटाई जाने वाली धनराशि का प्रयोग आतंकवाद को जीवित करने के लिए किया जा रहा है।

By Arti YadavEdited By: Published: Tue, 07 Aug 2018 07:56 AM (IST)Updated: Tue, 07 Aug 2018 08:44 AM (IST)
हताश पाकिस्तान का आतंकवाद को जीवित रखने का नया तरीका, मादक तस्करी को बनाया हथियार
हताश पाकिस्तान का आतंकवाद को जीवित रखने का नया तरीका, मादक तस्करी को बनाया हथियार

जम्मू (जागरण संवाददाता)। कश्मीर में सुरक्षाबलों के हाथों मारे जा रहे दहशतगर्दो से हताश पाकिस्तान ने आतंकवाद को जीवित रखने के लिए मादक तस्करी को अपना हथियार बनाया है। भारत में हथियारों के साथ मादक पदार्थ भेजकर उनसे जुटाई जाने वाली धनराशि का प्रयोग आतंकवाद को जीवित करने के लिए किया जा रहा है। आइजीपी जम्मू एसडी सिंह का कहना है कि नोटबंदी के बाद से आतंकियों को आर्थिक मदद पहुंचाना पाकिस्तान के लिए मुश्किल हो रहा था। इसके लिए पाकिस्तान ने मादक पदार्थ का सहारा लिया।

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अंतरराष्ट्रीय सीमा से नशे की खेप को भारत में भेजा जाता है। यहां से कुरियर की मदद से मादक तस्कर गिरोह को सौंप कर खेप मेट्रो शहरों में सप्लाई की जाती है, जहां उन्हें मोटी कमाई होती है। कमाई का बड़ा हिस्सा आतंकी संगठनों को भेजा जाता है। सीमा पार से आने वाली नशे की खेप पर अफगानिस्तान की मुहर इसलिए लगी होती है, ताकि मादक तस्कर गिरोह के सदस्य उसकी गुणवत्ता पर प्रश्न चिन्ह ना लगा पाएं। पाकिस्तान से अक्सर नशे की खेप कश्मीर के कुपवाड़ा, जम्मू के पुंछ तथा जम्मू से लगी सीमा से भारत में लाई जाती है। इसके बाद नशे की खेप को जम्मू और वहां से पंजाब, दिल्ली या फिर मुंबई में भेजा जाता है।

जिनका आपराधिक रिकॉर्ड नहीं उन्हें तस्करी में धकेला जा रहा 

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ नशीले पदार्थो की तस्करी के लिए बेरोजगार युवाओं के अलावा उन लोगों को लालच देकर इस अवैध धंधे में लगा रही है, जिनका पुलिस में कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है। कश्मीर से नशे की खेप को विभिन्न राज्यों में भेजने के लिए युवाओं का कुरियर की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ के राज्य में काम करने वाले लोग उन व्यक्तियों की पहचान करते हैं जो नशे के आदी हों। उनकी इस लत को पूरा करने के लिए उसे नशा परोसा जाता है। बाद में जब वह इन लोगों के जाल में फंस जाते हैं तो उन्हें तस्करी करने के लिए मजबूर किया जाता है।

पाकिस्तान के साथ लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कंटीली तार लगाए जाने के बाद घुसपैठ में काफी हद तक कमी आई है, ऐसे में आतंकवाद को पोषित करने के लिए पाकिस्तान का यह घिनौना मंसूबा सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बना हुआ है। पिछले एक वर्ष में तस्करी के ऐसे डेढ़ दर्जन मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें नशे की बड़ी खेप पाकिस्तान के रास्ते भारत में लाई गई है।


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