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विदेश मंत्रालय की दो-टूक, कहा- अफगानिस्तान नहीं बने भारत विरोधी गतिविधियों का केंद्र

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा कि हमारा उद्देश्‍य केवल इतना है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी तरह की आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए। पढ़ें विदेश मंत्रालय का पूरा बयान...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 02 Sep 2021 05:31 PM (IST)Updated: Fri, 03 Sep 2021 01:02 AM (IST)
विदेश मंत्रालय की दो-टूक, कहा- अफगानिस्तान नहीं बने भारत विरोधी गतिविधियों का केंद्र
भारत ने कहा कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी तरह की आतंकी गतिविधि के लिए नहीं होना चाहिए।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अब जबकि यह स्पष्ट हो गया है कि अगले कुछ ही दिनों में अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार का गठन हो जाएगा तो भारत ने फिर से यह चिंता दोहराई है कि कहीं अफगानिस्तान भारत विरोधी गतिविधियों का केंद्र ना बन जाए। दो दिन पहले तालिबान के शीर्ष नेता के साथ बातचीत में भी भारत ने प्रमुख तौर पर यही मांग रखी थी लेकिन तालिबान की तरफ से इस मुलाकात को लेकर कोई बात अभी तक सार्वजनिक तौर पर नहीं कही गई है।

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अभी कुछ कहना जल्दबाजी

तालिबान की सरकार को मान्यता देने के बारे में भी बागची ने यही कहा है कि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। मीडिया कि तरफ से दोहा में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल और तालिबान के शीर्ष राजनीतिक नेता मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई की मुलाकात को लेकर पूछे गये दर्जनों सवालों का बागची ने काफी संक्षिप्त में जवाब दिया।

अफगानिस्तान की जमीन का ना हो गलत इस्‍तेमाल 

बागची ने कहा कि अभी हमारी प्रमुख चिंता यह है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए ना हो और भारत विरोधी गतिविधियों के लिए ना हो। हमने दोहा बैठक में ही बात तालिबान के सामने रखी थी और हमें उसका सकारात्मक जवाब मिला था।

आगे देखिए क्या होता है

जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत तालिबान को एक आतंकी संगठन मानता है या नहीं तो उन्होंने कहा कि यह हमारा फोकस नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत ने तालिबान से मुलाकात सोच समझ कर ही की है। आगे क्या तालिबान से मुलाकात होगी या नहीं, इस पर भी बागची ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया और कहा कि आगे देखिए अभी क्या होता है।

भारतीयों को लाने की होगी कोशिशें

अफगानिस्तान से शेष भारतीयों को वापस लाने पर उन्होंने कहा कि काबुल हवाई अड्डे का संचालन फिर से शुरू होने के बाद भारत मामले पर फिर से विचार कर सकेगा। बागची ने कहा कि हम अपने नागरिकों के साथ-साथ कुछ अफगानों को भी निकालने को प्राथमिकता दे रहे हैं।

बेवजह नहीं है भारत की चिंता 

भारत की यह चिंता बेवजह नहीं है। पूर्व में जब तालिबान सत्ता में था तब पाकिस्तान के इशारे पर वहां से काफी भारत विरोधी गतिविधियां हुई थीं। आज का तालिबान भी पूरी तरह से पाकिस्तान के शिकंजे में है। तालिबान की तरफ से कहा जा रहा है कि वह भारत के साथ सामान्य मित्रवत रिश्ता रखना चाहता है लेकिन भारत इस बात को बखूबी समझ रहा है कि वहां जो लोग सत्ता में होंगे वो वर्षों से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ के साथ काम करते रहे हैं।

धमकी दे चुुका है अल कायदा

जानकारों का कहना है कि हाल के दिनों में भारतीय विदेश मंत्री ने अमेरिका, ब्रिटेन व यूरोपीय संघ के देशों के विदेश मंत्रियों से जो बात की है उसमें प्रमुख तौर पर इसी मुद्दे पर बात हुई है कि किस तरह से अंतरराष्ट्रीय बिरादरी अफगानिस्तान को आतंकी गतिविधियों का केंद्र बनाने से रोक सकता है। भारत की चिंता की वजह यह भी है कि अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों के अफगानिस्तान में मजबूत होने के संकेत मिल रहे हैं। अल कायदा ने भारत को कश्मीर के मुद्दे पर धमकी भी दी है।


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