Kulbhushan Jadhav: कुलभूषण जाधव की मानसिक स्थिति ठीक नहीं, स्वास्थ्य को लेकर भारत चिंतित
पाकिस्तानी जेल में बंद कुलभूषण जाधव (49) से भारतीय राजनयिक की मुलाकात तो सोमवार को हो गई लेकिन जाधव की जो स्थिति सामने आई है वह उत्साहवर्द्धक नहीं है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पाकिस्तानी जेल में बंद कुलभूषण जाधव (49) से भारतीय राजनयिक की मुलाकात तो सोमवार को हो गई, लेकिन जाधव की जो स्थिति सामने आई है वह उत्साहवर्द्धक नहीं है। इस्लामाबाद स्थित भारतीय उपउच्चायुक्त गौरव अहलूवालिया से मुलाकात के दौरान जाधव का रवैया कुछ वैसा ही रहा जैसा पिछले वर्ष अपनी पत्नी और मां से मुलाकात के दौरान रहा था।
पूरी तरह पाकिस्तानी प्रभाव में दिखे
मुलाकात के दौरान जाधव एक तरह से वहीं बोल रहे थे जितना पाकिस्तानी सेना की तरफ से उन्हें सिखाया गया था। एक तरह से वह पूरी तरह पाकिस्तानी प्रभाव में दिखे। मुलाकात के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने उनके स्वास्थ्य के प्रति चिंता जताते हुए कहा कि वह बेहद दबाव में दिख रहे थे और पाकिस्तान के झूठे दावों के बारे में ही बात कर रहे थे। वर्ष 2016 की शुरुआत में पाकिस्तान द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद पहली बार जाधव किसी भारतीय से बंद कमरे में मिले हैं।
करीब दो घंटे तक चली मुलाकात
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने रविवार को भारत को बताया था कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) के आदेशानुसार जाधव को भारतीय राजनयिक से मिलने की सुविधा दी जाएगी। भारत ने उस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए सोमवार दोपहर उपउच्चायुक्त अहलूवालिया को मुलाकात के लिए भेजा था। मुलाकात एक सुरक्षित जगह पर तकरीबन दो घंटे तक चली।
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उपउच्चायुक्त की रिपोर्ट का इंतजार
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बाद में बताया कि, 'अभी विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार है, लेकिन यह साफ है कि जाधव काफी दबाव में थे। वह उन्हीं बातों को दोहरा रहे थे जिनका पाकिस्तान की तरफ से अभी तक दावा किया जा रहा था। आगे क्या करना है इसके बारे में बाद में फैसला किया जाएगा। उपउच्चायुक्त की रिपोर्ट के बाद ही भारत यह तय करेगा कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले का पूरी तरह पालन किया गया है या नहीं।'
जाधव की माताजी को दी पूरी जानकारी
उन्होंने यह भी बताया कि इस मुलाकात के बारे में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जाधव की माताजी को भी जानकारी दी है। भारत ने यह भी कहा है कि वह जाधव को न्याय दिलाने और उन्हें सुरक्षित भारत लाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
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लगातार किया गया मानसिक और शारीरिक शोषण
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, जाधव का लगातार मानसिक और शारीरिक तौर पर शोषण किया गया है जिससे उनकी ऐसी स्थिति हो गई है। दिसंबर, 2017 में पाकिस्तान ने जाधव को उनकी मां और पत्नी से मिलने की इजाजत दी थी। यह मुलाकात शीशे की दीवार के बीच करवाई गई थी। उस समय भी जाधव की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी।
जाधव रोबोट की तरह बोल रहे थे
अपने परिवार के सामने भी जाधव रोबोट की तरह बोल रहे थे और सवालों का कोई सीधा जवाब नहीं दे रहे थे। वह अपनी तरफ से ही यह बता रहे थे कि किस तरह से वह भारत के लिए जासूसी करते रहे हैं और पाकिस्तान में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए आए थे।
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मां-पत्नी से किया था आपत्तिजनक व्यवहार
मुलाकात के दौरान जाधव की मां और पत्नी के साथ पाकिस्तान ने जैसा व्यवहार किया गया था, उसको लेकर भारत में काफी रोष व्यक्त किया गया था। इस पर भारतीय संसद में भी काफी हंगामा हुआ था।
भारत ने ठुकरा दी थीं पाक की शर्ते
17 जुलाई, 2019 को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले के बाद एक अगस्त, 2019 को पाकिस्तान ने जाधव को कुछ शर्तो के साथ भारतीय राजनयिकों से मिलने का प्रस्ताव किया था, लेकिन भारत ने उसे खारिज कर दिया था। तब पाकिस्तान ने अपने एक राजनयिक की उपस्थिति में जाधव से मिलने का प्रस्ताव रखा था। बता दें कि भारत कहता रहा है कि नौसेना के पूर्व अधिकारी जाधव का ईरान में कारोबार था जहां से पाकिस्तान ने उनका अपहरण किया है।
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पाकिस्तान ने की इस मुलाकात की रिकॉर्डिग
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी सूचना में बताया गया है कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले के मुताबिक पाकिस्तान ने एक जिम्मेदार वैश्विक नागरिक होने का फर्ज निभाया है और कुलभूषण जाधव को भारतीय राजनयिक से मिलने की सुविधा मुहैया कराई है। भारत के आग्रह पर मुलाकात के दौरान संवाद की भाषा पर कोई नियंत्रण नहीं रखा गया। भारत को पहले ही बता दिया गया था कि इस मुलाकात की रिकॉर्डिग की जाएगी। यह रिकॉर्डिग पारदर्शिता बनाए रखने के लिए की गई है।
क्या है राजनयिक पहुंच
वियना कंवेंशन ऑन काउंसलर रिलेशन (वीसीसीआर) के अनुच्छेद 36(1)(बी) में कहा गया है कि अगर किसी एक देश के नागरिक को किसी दूसरे देश में गिरफ्तार किया जाता है तो दूसरे देश को बिना देरी किए वीसीसीआर के अधिकारों के तहत पहले देश को जानकारी देनी होगी।
इसमें पहले देश के अधिकारियों को जानकारी देना और उनसे मदद लेना शामिल है। अनुच्छेद 36(1)(सी) में कहा गया है कि पहले देश के अधिकारियों को उस देश में सफर करने का अधिकार है जिस देश में उसके नागरिक को गिरफ्तार या हिरासत में लिया गया है। इसमें गिरफ्तार व्यक्ति को कानूनी सहायता देने का भी प्रावधान है।